विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट अनुसार दुनिया में महिलाओं को पुरुषों के साथ लैंगिक समानता हासिल करने के लिए 131 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा है। जी हां, यह जानकारी विश्व आर्थिक मंच की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में सामने आयी है। इस रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था, राजनीति, स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता का आकलन किया गया है, हालांकि भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को लेकर सुधार देखते हुए लिंग अंतर 64.3 प्रतिशत कम हुआ है, वहीं ग्लोबल स्तर पर भारत की रैंकिंग 127 वीं रही है। इस रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में शिक्षा के सभी स्तरों पर महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता दिखाई दी है, लेकिन देश की आर्थिक भागीदारी में महिलाओं ने केवल 36.7 प्रतिशत की समानता हासिल की है, जबकि वेतन और आय समानता में महिलाओं की प्रगति सकारात्मक दिखाई दी है। सोच का विषय यह है कि वरिष्ठ पदों और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पिछले साल से कम दिखाई दे रहा है। इसका असर आर्थिक सशक्तिकरण में भारत की प्रगति के लिए बड़ी चुनौती है। दूसरी तरफ राजनीतिक मोर्चे पर भारत में 15.1 प्रतिशत सांसदों का प्रतिनिधित्व महिलाओं ने किया है, ऐसे में 25.3 प्रतिशत की लैंगिक समानता दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि साल 2023 के केंद्रीय बजट से पहले जारी आर्थिक सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि भारत ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में खास तौर पर प्रगति की है। वाकई, यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि महिलाओं को समानता का अधिकार पाने में कई साल बीत गए हैं, लेकिन यह संतोषजनक है कि महिलाएं अपनी प्रगति को लेकर सतत प्रयास जारी रख रही हैं।
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