यह एक उल्लेखनीय बात है कि विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सार्वजनिक परिवहन की सबसे बड़ी उपयोगकर्ता महिलाएं हैं। रिपोर्ट के अनुसार 84% महिलाओं की यात्रा सार्वजनिक परिवहन द्वारा होने का अनुमान लगाया गया था। यह रिपोर्ट 'एनेबलिंग जेंडर रिस्पॉन्सिव अर्बन मोबिलिटी एंड पब्लिक स्पेसेज इन इंडिया' में पुरुषों और महिलाओं के यात्रा पैटर्न पर भी ध्यान दिया गया है। डब्ल्यूबी की रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं काम पर जाती हैं। तथ्यात्मक जानकारी पर प्रकाश डालते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि 45.4% महिलाएं पैदल काम पर जाती हैं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 27.4% है।
इस रिपोर्ट को भारतीय शहरों का मार्गदर्शन करने के लिए संकलित किया गया था कि सार्वजनिक परिवहन को कैसे डिजाइन किया जाए, जो महिलाओं की यात्रा आवश्यकताओं के लिए अधिक फ्रेंडली हो। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक महिलाएं भी बस से यात्रा करती हैं, क्योंकि वे अपनी खर्च की क्षमता को देखते हुए ही परिवहन का इस्तेमाल करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वे अक्सर परिवहन की धीमी साधन चुनती हैं, क्योंकि जल्द पहुंचाने वाले परिवहन अधिक महंगे होते हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सुरक्षा की कमी भी महिलाओं को बाहर निकलने से रोकती है, सार्वजनिक स्थानों पर उनकी उपस्थिति को कम करती है।
टूलकिट को मुंबई में 6,048 उत्तरदाताओं के वर्ष 2019 विश्व बैंक समर्थित सर्वेक्षण के जवाब के अनुसार तैयार किया गया है। इस सर्वेक्षण में पाया गया कि वर्ष 2004 से वर्ष 2019 के बीच, पुरुषों ने काम पर जाने के लिए दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल किया, जबकि महिलाओं ने ऑटो-रिक्शा या टैक्सी का इस्तेमाल किया, जो दोपहिया वाहनों की तुलना में अधिक महंगा (प्रति ट्रिप) होता है। गौर करें, तो इसमें व्यावहारिक उपकरण शामिल हैं, जो भारत में महिलाओं के लिए सुरक्षित और समावेशी सार्वजनिक स्थानों और सार्वजनिक परिवहन को सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए नीति निर्माताओं के साथ-साथ निजी या समुदाय-आधारित संगठनों के एक विस्तृत समूह को सूचित कर सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को परंपरागत रूप से महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर नहीं बनाया गया है। इसलिए, इसके परिणामस्वरूप कम महिलाएं काम पर जा रही हैं। भारत में वर्ष 2019-20 में 22.8% पर विश्व स्तर पर सबसे कम महिला श्रम बल भागीदारी दर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम किराया नीतियां तैयार करने से महिलाओं के लिए सवारी बढ़ सकती हैं। साथ ही एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली यौन उत्पीड़न की शिकायतों को तेजी से ट्रैक करने में मदद कर सकती है।