सरकार नारी शक्ति को आगे बढ़ाने की कोशिश लगातार कर रही है, इसके लिए कई सारे पहल किये जा रहे हैं। इसी क्रम में प्रधान मंत्री की विशेष आवास योजना के तहत निर्मित 69 प्रतिशत से अधिक घर या तो पूर्ण रूप से या संयुक्त रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के स्वामित्व में हैं। गौरतलब है कि सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 29 सितंबर, 2022 तक, स्वीकृत किए गए 2.46 करोड़ घरों में से कुल दो करोड़ घरों का निर्माण किया गया था। इसमें से 69% का स्वामित्व आंशिक या पूर्ण रूप से महिलाओं के पास है। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 2016 में 2.95 करोड़ घरों के निर्माण के उद्देश्य से की थी।
खास बात यह है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार की कोशिश रही है कि नारी शक्ति पहल के तहत महिलाओं को सरकारी योजनाओं में उचित हिस्सा मिले, उनका कहना है कि इस पहल के पीछे का विचार "महिलाओं के विकास" के बजाय "महिलाओं के नेतृत्व में" विकास करना अहम है, इस पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। बता दें कि पीएमएवाई-जी के तहत घर उपलब्ध करा कर, सरकार ने एक पक्का घर रखने की महिलाओं की आकांक्षाओं को पूरा किया है और घर के वित्तीय निर्णय लेने में उनकी भागीदारी को मजबूत किया है। सरकार का यह मानना है कि इन बुनियादी सुविधाओं वाले पक्के घर में रहने से सुरक्षा, गरिमा और बुनियादी सुविधाएं आर्थिक शक्ति मिलती है और उनके सामाजिक समावेश का उत्थान होता है।
सरकार के अनुसार, एक और पहल, जिसने महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद की है, वह है प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
उज्ज्वला योजना के तहत 9.4 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन जारी किए गए हैं। इस योजना को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी से भी वैश्विक मान्यता मिली, जिसने इसे महिलाओं के पर्यावरण और स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है। इसके अलावा, एक अन्य योजना, जिसने महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा हासिल करने में मदद की है, वह है स्वच्छ भारत मिशन जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 11.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है और शहरी क्षेत्रों में 70 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया।
सरकार ने एक रिपोर्ट में भी यह भी कहा है कि स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण भारत में महिलाओं की सुरक्षा, सुविधा और स्वाभिमान की भावना को लाता है। खास बात यह है कि शौचालयों के निर्माण के बाद, 93% महिलाओं ने यह माना है कि उन्हें अब चोट लगने का डर नहीं है। शौच करते समय किसी को या जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाएं अब नहीं हो रही हैं और 93% महिलाओं ने बताया कि वे अब स्वास्थ्य संक्रमण को लेकर अब चिंतित नहीं हैं और 92% महिलाओं ने कहा कि उन्हें अब रात के अंधेरे में शौचालय जाने से डर नहीं लगता।
वाकई, ग्रामीण इलाकों में ऐसी पहलों की बेहद जरूरत है और ऐसी पहलों को प्रोत्साहन मिलने की खास जरूरत है।
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