सरकार की स्टैंड-अप इंडिया योजना का सबसे अधिक लाभ महिला उद्यमियों को हो रहा है। जी हां, वर्ष 2016 के अप्रैल में इसकी शुरुआत होने के बाद से दिसंबर की शुरुआत तक 80.2 प्रतिशत बैंक ऋण महिलाओं के नेतृत्व वाली व्यावसायिक इकाइयों से संबंधित हैं। मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त मंत्रालय में राज्य सभा में भागवत कराड ने हाल ही में राज्यसभा में 2 दिसंबर, 2022 तक उद्यमियों के 1,59,961 ऋण को स्वीकृत किया गया , जिनमें से 1,28,361 ऋण महिला उद्यमियों के हैं, जबकि 23,797 ऋण अनुसूचित जाति के उद्यमियों को और 7,803 ऋण स्वीकृत किए गए।
गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को विनिर्माण, सेवाओं में ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने के लिए प्रति बैंक शाखा में कम से कम एक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उधारकर्ता और एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के बीच बैंक ऋण की सुविधा देकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए योजना शुरू की गई थी, ताकि वह व्यापार क्षेत्र और कृषि से जुड़ी गतिविधियों का हिस्सा बनें।
वहीं मार्च 2022 तक, योजना की शुरुआत के बाद से 1,33,995 लाभार्थियों को योजना के तहत 30,160 करोड़ रुपये मंजूर किए गए, जिनमें से 24,809 करोड़ रुपये 1,08,250 महिला उद्यमियों को, 3,976 करोड़ रुपये 19,310 अनुसूचित जाति लाभार्थियों को और 1,373 रुपये मंजूर किए गए।
योजना के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में उधारकर्ता द्वारा लाई जाने वाली मार्जिन राशि को परियोजना लागत के 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत तक करने की घोषणा की थी। इसने कृषि से जुड़ी गतिविधियों जैसे मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, पशुधन, पालन, ग्रेडिंग, छंटाई, एकत्रीकरण कृषि उद्योग, डेयरी, मत्स्य पालन, और अधिक में उद्यमों को योजना के दायरे में लाया गया।
गौरतलब है कि ऋण सहायता के अलावा, सिडबी का स्टैंडअप मित्र पोर्टल, जिसे इस योजना के लिए विकसित किया गया था, ताकि उद्यमियों को विशिष्ट विशेषज्ञता वाली विभिन्न एजेंसियों जैसे स्किलिंग सेंटर, मेंटरशिप सपोर्ट, उद्यमिता विकास कार्यक्रम केंद्र, और उन्हें विभिन्न एजेंसियों से जोड़ने में मदद मिले।
वहीं देश में महिलाओं के स्वामित्व वाले बहुत छोटे व्यवसायों डब्ल्यूवीएसई (WVSEs) द्वारा अनुमानित क्रेडिट मांग 83,600 करोड़ रुपये है, जैसा कि इस साल की शुरुआत में इंपैक्ट इंवेस्टमेंट फर्म आविष्कार ग्रुप की सलाहकार शाखा, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (IFC) और इंटलकैप (Intellecap) की एक रिपोर्ट में कहा गया है।
रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारत में लगभग 15 मिलियन महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई पूंजी, प्रौद्योगिकी और सूचना तक अपर्याप्त पहुंच और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करती हैं। ऐसे में इस ऋण योजना से निश्चिततौर पर महिला उद्यमियों को, जो अपना कुछ करने की हिम्मत दिखा रही हैं, उन्हें जरूर फायदा होगा।
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