भारत में अब भी ऐसे कई राज्य हैं, जहां एनीमिया की समस्या से काफी लोग जूझ रहे हैं। ऐसे में एक नया अध्ययन सामने आया है, जिसमें बिहार राज्य की स्थिति गंभीर है, क्योंकि अध्ययन में बताया गया है कि बिहार में महिलाएं और बच्चे अधिक संख्या में एनीमिया से ग्रसित हैं। जी हां, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 ( NFHS-5) के अनुसार 69.4 प्रतिशत बच्चे, जिनकी उम्र 6 से 59 उम्र की है और लगभग 64 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं, जबकि पुरुषों में यह संख्या 30 प्रतिशत है।
बता दें कि एनीमिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें आपके खून में हीमोग्लोबिन की कमी आ जाती है। आयरन की कमी के कारण यह परेशानी सबसे अधिक होती है। एनीमिया की परेशानी खासतौर से आयरन की कमी के कारण होती है, लेकिन मलेरिया, अंकुश कृमि या हुकवर्म, कई अन्य पोषक तत्वों की कमी, पुराने संक्रमण और आनुवंशिक स्थिति के कारण भी यह बीमारी होती है। चिंताजनक बात यह है कि इसकी वजह से मातृ मृत्यु दर, कमजोरी, शारीरिक और मानसिक कमी, संक्रमित बीमारियां, प्रसवकालीन मृत्यु दर, समय से पहले प्रसव, जन्म के समय कम वजन जैसी कई बीमारियां या परेशानियां हो जाती हैं। बिहार राज्य की खासतौर से बात की जाए, तो एनएफएचएस-4 की तुलना में बच्चों और महिलाओं में एनीमिया में यह प्रतिशत अधिक है, जबकि पुरुषों में कम है। एनएफएचएस-4 के आंकड़ों के अनुसार, 63.5 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से पीड़ित पाए गए और एनएफएचएस-5 में यह बढ़कर 69.4 प्रतिशत हो गया। 15 वर्ष की आयु की महिलाओं (गर्भवती और सामान्य दोनों) के लिए, यह संख्या 60.3 प्रतिशत से बढ़कर 63.5 प्रतिशत हो गई है, जो कि सोचनीय है। वहीं पुरुषों में 15 से 49 साल के पुरुषों में खून की कमी 32.3 प्रतिशत से घटकर 29.5 प्रतिशत हो गई है।
एक अन्य आंकड़े, जो हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य द्वारा प्रकाशित किया गया है, उसके अनुसार इलाज के मामले में बिहार काफी पिछड़ा हुआ है। वर्ष 2021-22 में ऐसी 37.52% महिलाओं को इलाज मिला है, जबकि वर्ष 2020-21 में 43.82% ऐसी महिलाओं को इलाज दिया गया था। गौर करें तो इस प्रतिशत में कमी ही आई है।