हाल ही में आये एक रिपोर्ट से बात सामने आई है कि भारत में महिलाओं के लिए दक्षिण भारत के शहर बेहद सुरक्षित हैं। दरअसल, अवतार रिपोर्ट ऐसा कहती है कि महिलाओं के लिए, दक्षिण भारतीय राज्य अपने उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में बेहतर हैं।
अवतार ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण भारतीय राज्यों ने शहरी समावेशन के मामले में महिलाओं के लिए शीर्ष शहरों की सूची में अपना दबदबा कायम रखा है, जिसमें मोटे तौर पर जीवनयापन, सुरक्षा, समावेशी संगठन और समावेशी उद्योग शामिल हैं। ऐसे में तमिलनाडु के शहर दोनों श्रेणियों में शीर्ष पर उभरे हैं, जिनमें दस लाख से अधिक आबादी वाले शहर और दस लाख से कम आबादी वाले शहर शामिल हैं।
अवतार के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने महिलाओं के अनुकूल शहरों को ऐसे शहरों के रूप में परिभाषित किया है जो स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के अवसर, व्यापक शहरी, सामाजिक सेवाओं और महिला आबादी को एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करते हैं। भारत में महिलाओं के लिए शीर्ष शहरों की रिपोर्ट के अनुसार, चेन्नई 78.41 के शहर समावेशन स्कोर (CIS) के साथ पहली श्रेणी में सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद पुणे और बेंगलुरु हैं। और फिर इसके बाद हैदराबाद का नाम सामने आता है। हैरानी की बात है कि हैदराबाद ने अपनी जगह राजधानी दिल्ली से भी ऊपर स्थापित की है, जिसने शीर्ष शहरों की तुलना में 30 अंक कम हासिल किया है और दस लाख से अधिक आबादी की श्रेणी में 14वें स्थान पर रही हैं।
यह अध्ययन अवतार समूह द्वारा जारी किया गया था, जिसने गुरुवार को 'भारत में महिलाओं के लिए शीर्ष शहर' रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट, जो एक साल के अभ्यास के आधार पर लिया गया है और इसमें 200 से अधिक स्रोतों से डेटा का एक एल्गोरिथम शामिल किया गया है, जिसमें वर्तमान ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स, पीएलएफएस, राष्ट्रीय जनगणना, अपराध रिकॉर्ड, एनएफएचएस, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट शामिल है।
एक आश्चर्यजनक बात यह उभर कर इस रिपोर्ट में सामने आई है कि भारत में महिलाओं के लिए शीर्ष शहर रिपोर्ट के अनुसार, 111 शहरों में से केवल नौ शहरों ने अपने 'शहर समावेशन स्कोर' में 50 से ऊपर स्कोर किया है। यहां तक कि कई राज्यों की राजधानी शीर्ष 25 में भी जगह नहीं बना पायी। इंफ्रास्ट्रक्चर और स्पेस के मामले में अपनी अनूठी स्थिति के साथ हैदराबाद एक मजबूत दावेदार था।
अवतार समूह का इस बारे में मानना है कि इस तरह के अध्ययन में राज्यों की राजधानी पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है। किसी भी राज्य की राजनीतिक, सामाजिक-आर्थिक, पर्यावरण और विकास की दृष्टि से, शीर्ष 25 में उनकी अनुपस्थिति नीति निर्माताओं की ओर से गहन जांच की आवश्यकता होती है, ताकि महिलाओं के लिए समावेशी होने में राज्य की राजधानियों के सामने आने वाली बाधाओं को समझा जा सके।
गौरतलब है कि एक और मापदंड, जिसने दक्षिण भारतीय शहरों को बेहतर दिखाया, वह तथ्य यह था कि विभिन्न श्रेणियों में भारत में महिलाओं के लिए शीर्ष 10 शहरों में तमिलनाडु के आठ शहर शामिल थे। बता दें कि इस अध्ययन में यह भी पाया गया है कि दिल्ली, नागपुर, औरंगाबाद और फरीदाबाद जैसे शहरों की सामाजिक समावेशन रैंकिंग औद्योगिक समावेशन रैंकिंग से कम है। जबकि पुडुचेरी, विशाखापत्तनम, सूरत और बिलासपुर जैसे शहरों में कम औद्योगिक समावेशन रैंकिंग के साथ एक उच्च सामाजिक समावेशन अंक है।