एक सर्वेक्षण के अनुसार, यह बात सामने आई है कि अधिकांश लोगों का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य परामर्श को उनके स्वास्थ्य बीमा में शामिल किया जाना चाहिए और एक-तिहाई लागत निहितार्थ के कारण मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों तक पहुंचने में संकोच करते हैं। एक स्वास्थ्य बीमा रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 85 प्रतिशत आबादी कुछ लग्जरी आयटम्स में कटौती करना पसंद करेगी और स्वास्थ्य बीमा पर अधिक खर्च करना पसंद करेगी, जबकि 89 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य परामर्श को उनके स्वास्थ्य बीमा में शामिल किया जाना चाहिए।
इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है और बीमा क्षेत्र को अब सक्रिय रूप से शामिल किया जा रहा है, क्योंकि 'न्यू नॉर्मल' में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का पैमाना कभी बड़ा नहीं रहा है। एक प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह बता दें कि यह रिपोर्ट भारत के 19 शहरों में 6,600 उत्तरदाताओं के साथ किए गए शोध पर आधारित है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने ऑनलाइन फिटनेस वीडियो खोजे और देखे, जबकि 69 प्रतिशत ने अपने स्वास्थ्य आंकड़ों की जांच करने और अपने पैदल चलने की टारगेट की संख्या को ट्रैक करने के लिए कई टूल्स का इस्तेमाल किया है । हालांकि, हर तीन उत्तरदाताओं में से लगभग एक, लगभग 32 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि वे नियमित रूप से वजन और ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) जैसे स्वास्थ्य आंकड़ों पर पैनी नजर नहीं रखते हैं। बताते चलें कि यह बात भी सामने आई है कि महामारी के कारण ‘न्यू नॉर्मल’ में लोग सेहत से जुड़ी जीवन शैली के महत्व को महसूस करने लगे हैं और इसलिए अब लगातार लोग खुद को स्वस्थ रखने के लिए रास्ते भी तलाश रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है, और बीमा क्षेत्र सक्रिय रूप से शामिल हो रहा है, क्योंकि 'न्यू नॉर्मल' में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का पैमाना कभी बड़ा नहीं रहा है।