कोविड -19 से जुड़े हुए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में नर्सों को कोरोना वायरस के दौरान सबसे अधिक चिंता और अवसाद का सामना करना पड़ा है। जी हां, हाल ही में इसे लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी है। बालामुरुगन, जी राधाकृष्णन और एम विजय रानी ने इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्रिक नर्सिंग में प्रकाशित अध्ययन में फ्रंटलाइन हेल्थ केयर वर्कर्स को लेकर कहा है कि स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कई कर्मचारियों ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान मानसिक समस्याओं का सामना किया है। इस अध्ययन में बताया गया है कि केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया में महामारी के समय नर्सों ने मानसिक परेशानी जैसे- डर,जलन, चिंता, थकान और अनिद्रा के साथ डिप्रेशन का गंभीर तौर पर सामना किया है। हाल ही में एक प्रेस वार्ता के दौरान इंडियन सोसायटी ऑफ साइकियाट्रिक नर्सिंग (आईएसपीएन) ने बताया कि हमारा अध्ययन में भारत में नर्सों की दुर्दशा पर रोशनी डालती है। आईएसपीएन ने इस बारे में अपनी बात रखी है कि कोविड-19 के कारण नर्सों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है। कोरोना से पीड़ित मरीजों के इलाज के दौरान नर्सों को कई सारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। मरीजों के साथ रहना और पीपीई किट पहनकर उन्हें सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। कोरोना महामारी के दौरान नर्सें अस्पताल से बाहर भी नहीं जा पा रही थीं। ऐसे में आईएसपीएन अध्यक्ष के रेडडेम्मा ने यह भी घोषणा की है कि कोविड-19 के दौरान कार्यरत नर्सों के सम्मान में ,7 अप्रैल, 2023 को विश्व स्वास्थ्य दिवस को समर्पण दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आईएसपीएन के नर्सों पर किए गए अध्ययन के सह-लेखक जी बालमुर्गन ने यह जानकारी साझा की है कि साल 2021 मई और अगस्त के बीच मानसिक स्वास्थ्य नर्सिंग स्वयंसेवकों को 177 के करीब कॉल प्राप्त हुए।
वाकई, नर्स हमारी जिंदगी में बेहद अहम भूमिका निभाती हैं, ऐसे में उनकी मेंटल हेल्थ के लिए कुछ न कुछ बेहतर होना ही चाहिए।