भारत इस वर्ष 75 वें आजादी के महोत्सव को मनाने के लिए तैयार है, ऐसे में एक खास सर्वे की रिपोर्ट् में कई बातें सामने आई हैं, जिनमें महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को लेकर और इसके अलावा कई जरूरी बातों पर रिपोर्ट साझा की गई है।
भारत अपनी आजादी के 75 वें साल में प्रवेश आकर रहा है और ऐसे में भारत के नागरिकों की सोच, उनकी आने वाले समय को लेकर उम्मीद और ऐसी कई बातें सामने आयी हैं, जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी और रोचक भी हैं। जैसे, यह बात सामने आई है कि 56 प्रतिशत भारतीय इस बात को स्वीकार करते हैं कि जब भारत 100 वें साल में प्रवेश करेगा, तब एक विकसित देश के रूप में जाना जाएगा। यह सर्वेक्षण ऐक्सिस माई इंडिया की इंडिया कंज्यूमर सेंटीमेंट इंडेक्स( सीएसआई) ने किया है।
इस सर्वे से जो एक महत्वपूर्ण बात सामने आई है कि जेंडर समानता को लेकर काफी सुधार हुआ है, ऐसा नागरिक मानते हैं। 96 प्रतिशत नागरिक इस बात से सहमत हो गए हैं कि पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से घरेलू जिम्मेदारियों को साझा करना चाहिए।
खास बात यह है कि इसी सर्वे में यह बात भी सामने आयी है कि 34 प्रतिशत नागरिक चाहते हैं कि मुद्रास्फीति से मुकाबला करें, जबकि वहीं 28 प्रतिशत लोग की चाहत है कि रोजगार एक बड़ा मुद्दा है और इसकी स्थिति को सुधार करने की तरफ सरकार को कदम उठाने चाहिए। इसके अलावा, 44 प्रतिशत के बहुमत का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में उनके जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ है और 40 प्रतिशत ने पिछले 8 वर्षों में इस सुधार को सही माना है।
इस बारे में प्रदीप गुप्ता, जो कि ऐक्सिस माई इंडिया के चेयरमैन और एमडी भी हैं, उनका मानना है कि लोगों का अपने घरेलू ब्रांड्स के ऊपर विश्वास करना और भविष्य के बारे में एक सकारात्मक सोच रखना, यह सबकुछ उल्लेखनीय है। हालांकि मुद्रास्फीति और रोजगार के अवसरों में कमी, एक बड़ा चिंतन का विषय है। लेकिन फिर भी एक बड़ा हिस्सा मानता है कि पिछले कुछ वर्षों में जीवन स्तर में बेहतरी आई है। और इसके साथ ही साथ जिस तरह से हम स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के करीब आ रहे हैं, भारत के नागरिकों का विश्वास बढ़ता जा रहा है कि आने वाला समय बेहतर होगा और सभी सारी बाधाओं के खिलाफ लड़ेंगे। और इस बात को लेकर भी लोग पूरी संभावना रख रहे हैं कि भारत 100 साल में प्रवेश करते-करते, जरूर विकसित राष्ट्र बन जाएगा।
इसी सर्वेक्षण से यह बात भी सामने आई है कि 92 प्रतिशत नागरिक इस बात का दावा करते हैं कि वे घरेलू ब्रांड्स को पसंद करेंगे, जबकि 6 प्रतिशत इस बात पर हामी भरते हैं कि वे भारतीय और आयात की गयीं चीजों को खरीदने में दिलचस्पी लेंगे। वहीं 63 प्रतिशत का मानना है कि वे पर्यावरण के अनुकूल या प्राकृतिक उत्पादों को अपनाने के लिए तैयार हैं, फिर चाहे उन्हें इसके लिए अधिक भुगतान ही क्यों न करना पड़े।
इस रिपोर्ट में एक अहम जानकारी यह भी सामने आई है कि 39 प्रतिशत भारतियों ने ही डिजिटल/ ऑनलाइन भुगतान को अपनाया है, जबकि 61 प्रतिशत अब भी डिजियल माध्यम में जाकर भुगतान की प्रक्रिया नहीं अपनाते हैं। वहीं एक और बात सामने आई है कि 38 प्रतिशत नागरिक इस बात से प्रभावित होते हैं कि विज्ञापन में क्या दिखाया जा रहा है। वहीं सर्वे में यह भी पता चला है कि 73 प्रतिशत भारतीय अब स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हैं और कोविड महामारी के बाद, अधिक सेहतमंद खाना पसंद कर रहे हैं, जबकि 44 प्रतिशत मानते हैं कि उनके बच्चे की शिक्षा ऑनलाइन मोड की वजह से काफी प्रभावित हुई है और इसका असर बच्चे की पढ़ाई पर पड़ा है। हालांकि 25 प्रतिशत लोग ऐसा बिल्कुल नहीं मानते हैं।
बताते चलें कि इस रिपोर्ट में इस बात पर भी सर्वे है कि 87 प्रतिशत भारतीय छोटे वेकेशन, मॉल और रेस्टोरेंट्स में जाना पसंद करते हैं, लगभग 6 प्रतिशत परिवारों की ट्रेवलिंग में इजाफा हुआ है।