भारतीय सिनेमा की दुनिया में महिला प्रधान फिल्मों का हमेशा ही बोल बाला रहा है और दर्शकों ने उन्हें पसंद भी किया है, ऐसे में इस साल यानी 69 वें नेशनल अवार्ड के लिए भी कई महिला प्रधान फिल्मों को सम्मानित किया जा रहा है, जिनमें हिंदी भाषा की फिल्म ‘मिमी ’ के लिए कृति सैनन और आलिया भट्ट की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए इस साल का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जा रहा है, तो आइए विस्तार में जानते हैं, उन महिला प्रधान फिल्मों के बारे में, जिन्हें राष्ट्रीय फिल्म हासिल करने का गौरव प्राप्त हुआ है।
आलिया भट्ट, गंगूबाई काठियावाड़ी
संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ वर्ष 2022 में रिलीज हुई, इस फिल्म की कहानी मुंबई के कमाठीपुरा इलाके में रहने वालीं सेक्स वर्कर गंगूबाई की वास्तविक जिंदगी पर आधारित है कि कैसे उन्होंने कोठे की दुनिया में रहने वाली महिलाएं और उनके बच्चों के उत्थान और शिक्षा के लिए संघर्ष किया था और अपने की लड़ाई की। आलिया भट्ट के लिए यह अब तक का सबसे अधिक चुनौतियों से भरा हुआ किरदार था। आलिया भट्ट की यह फिल्म एक महिला के जीवन के उस पहलू को छूती है, जो दर्शाती है कि जीवन में एक महिला के हिस्से संघर्ष तो आता है, लेकिन वह चाहें, तो अकेले भी क्या नहीं कर सकतीं, अपने अस्तित्व की लड़ाई और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अपनी जिंदगी को कुर्बान करने का निर्णय लिया।
कृति सैनन, मिमी
कृति सैनन ने वर्ष 2021 में आई फिल्म ‘मिमी’ के लिए अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में अपना पहला राष्ट्रीय अवार्ड जीता है, इस फिल्म की कहानी सरोगेसी के विषय पर आधारित है कि कैसे एक महिला जो कि सरोगेसी से मां बनती हैं और कैसे वह एक बच्चे का जीवन, एक सिंगल महिला के रूप में अपनाती हैं, उस पर आधारित है। समाज के तानों के बीच कैसे एक महिला अपनी ममता की छांव देना नहीं छोड़ती हैं, इस पर यह फिल्म आधारित है। गौरतलब है कि इस फिल्म के निर्देशक लक्ष्मण उतेकर हैं।
कंगना रनौत की कई महिला प्रधान फिल्मों के लिए अवार्ड
‘मणिकर्णिका’ कंगना की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक रही है, यह फिल्म झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर आधारित थी और कंगना को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल हुआ। सबसे खास बात यह है कि कंगना को एक बार नहीं, बल्कि कई बार अवार्ड्स से नवाजा जा चुका है और वे फिल्में महिला प्रधान फिल्में रही हैं, जिनमें ‘पंगा’ एक ऐसी ही फिल्म थी, फिल्म में एक खिलाड़ी महिला किस तरह से दोबारा अपने करियर की शुरुआत करती है और कबड्डी जीतती है, एक महिला के लिए घर संभालने के साथ किस तरह अपने सपनों को भी आकार देना कठिन होता है, फिल्म में इसे विस्तार से दिखाया गया है। कंगना को ‘क्वीन’ के लिए भी अवार्ड्स मिल चुके हैं, इस फिल्म की कहानी में दर्शाते हैं कि कैसे एक महिला को खुले आसमान में निकल कर, दुनिया को एक बार जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए और अपने को कभी किसी से कम नहीं आंकना चाहिए। कंगना को ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स ’ के लिए भी अवार्ड से नवाजा जा चुका है।
श्रीदेवी, मॉम
श्रीदेवी के करियर की खास फिल्म रही ‘मॉम’, क्योंकि यह उनकी कम बैक फिल्म थी,फिल्म में एक मां अपनी बेटी के साथ किये गए दुष्कर्म का बदला किस तरह से लेती है, इस कहानी पर आधारित है, फिल्म को काफी लोकप्रियता मिली थी। यह फिल्म भी महिला प्रधान फिल्म थी।
रवीना टंडन, दमन
रवीना टंडन की फिल्म ‘दमन’ हमेशा ही लोकप्रिय रही, यह फिल्म इसलिए भी खास रही कि यह स्वाभाविक रूप से पहली ऐसी हिंदी फिल्म थी, जिसमें वैवाहिक बलात्कार के विषय पर आवाज उठाई गई थी, इस फिल्म का निर्देशन कल्पना लाजिमी ने किया था और फिल्म के लिए रवीना को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
स्मिता पाटिल, भूमिका
स्मिता पाटिल ने अपने जीवन में ऐसे कई परफॉर्मेंस दिए हैं, जिसमें उन्होंने कई अवार्ड जीते हैं, लेकिन फिल्म ‘भूमिका’ में उन्होंने महिला प्रधान किरदार निभाए थे। भूमिका एक अभिनेत्री, उषा (स्मिता पाटिल) की जीवन कहानी दर्शाती है, जो गोवा के देवदासी समुदाय की पुरानी परंपरा की एक प्रसिद्ध महिला गायिका की पोती है। किस तरह से भूमिका अपने घर को छोड़ कर मुंबई आकर अपने सपनों की तलाश करती हैं, इस फिल्म में एक अकेली महिला के मुंबई आकर किये गए संघर्ष को दर्शाया गया है।
शबाना आजमी को मिला कई बार पुरस्कार
शबाना आजमी ने महिला किरदारों में हमेशा ही जान डाली है, यही वजह है कि उन्हें कई बार नेशनल अवार्ड मिले हैं, जिनमें उनकी फिल्म ‘अर्थ’ और ‘अंकुर’ जैसी फिल्में शामिल हैं और इन फिल्मों में महिला किरदारों को प्राथमिकता से दर्शाया गया है।
कीर्ति सुरेश, महानती
कीर्ति सुरेश को मूल रूप से बनीं तेलुगू फिल्म ‘महानती’ के लिए सवर्श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया है, यह फिल्म भी महिला प्रधान फिल्म रही है, यह एक बायोपिक फिल्म है, जो कि दक्षिण भारत की लोकप्रिय अभिनेत्री सावित्री पर आधारित है, 40 के दशक में जब वह फिल्मों में आयीं, तो उनके बारे में कहा जाता था, उन्हें अभिनय नहीं आता है, उनका निजी जीवन काफी अधिक कठिनाइयों से भरपूर था, लेकिन उन्होंने हर बार चुनौतियों का सामना किया और फिर एक सम्मानित जिंदगी जी। कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं कि एक औरत ठान लें तो क्या नहीं कर सकती।
तारा, हसीना
‘तारा’ कन्नड़ सिनेमा की मुख्य अभिनेत्रियों में से एक हैं, इन्हें वर्ष 2005 में आई फिल्म ‘हसीना’ के लिए नेशनल अवार्ड मिला था, यह फिल्म कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक की कहानी ‘कारी नागरगालु’ पर आधारित थी, जो अपनी मां की इच्छा के खिलाफ ऑटो ड्राइवर याकूब (चंद्रहास उल्लाल) से शादी करती है। इन्हें तीन बेटियां होती हैं, लेकिन जब वह चौथी बार गर्भवती होती है, तो उनका परिवार गर्भावस्था में भ्रूण का पता लगाता है और फिर से लड़की के बारे में जान कर उसका अपमान करता है और हसीना को छोड़ देता है, लेकिन किस तरह से हसीना अपने आप में एक संघर्ष करती है, उसे फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है।
सीमा विश्वास, बैंडिट क्वीन
सीमा विश्वास ने अपने करियर का सबसे बेहतरीन किरदार निभाया था, जब उन्होंने फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में काम किया, इस फिल्म के निर्देशक शेखर कपूर थे, फिल्म फूलन देवी पर बनी थी। यह एक ऐसी महिला प्रधान फिल्म थीं, जिसमें पहले फूलन देवी ने दर्द सहे और फिर अत्याचार के खिलाफ हथियार उठा लिए थे। उन्होंने इंसानियत के खिलाफ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी।
डिम्पल कपाड़िया, रुदाली
डिम्पल कपाड़िया की भी बेहतरीन फिल्मों में से एक रही है ‘रुदाली’, इस फिल्म के लिए डिम्पल को नेशनल अवार्ड मिला था। फिल्म की कहानी उन महिलाओं के जीवन पर आधारित है कि किस तरह से वे महिलाएं, जो दूसरों की मय्यत पर जाकर रोने के पैसे लेती हैं और अपना जीवन निर्वाह करती हैं, इनके जीवन में कितनी कठिनाइयां आती हैं, इसे बखूबी इस फिल्म में दर्शाया गया था।
रानी मुखर्जी, मर्दानी
प्रदीप सरकार की फिल्म ‘मर्दानी’ के लिए रानी मुखर्जी को सम्मानित किया गया था, लेकिन उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नहीं, बल्कि फिल्म 'मर्दानी' में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और बचाव जैसे मुद्दे को सिल्वर स्क्रीन पर बेबाकी से साथ पेश करने के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था, वाकई, उस लिहाज से भी यह फिल्म एक महत्वपूर्ण फिल्म बन जाती है।
तब्बू और विधा बालन के नाम भी कई बार हैं अवार्ड
अभिनेत्री तब्बू के नाम भी कई बार नेशनल अवार्ड रहे हैं, लेकिन उनकी महिला प्रधान फिल्म ‘चांदनी बार’, में तब्बू के किरदार के लिए अवार्ड मिला और विद्या बालन को ‘ द डर्टी पिक्चर’ में सिल्क स्मिता का किरदार निभाने के लिए मुख्य रूप से अवार्ड से सम्मानित किया गया। इनके अलावा, प्रियंका चोपड़ा की फिल्म 'फैशन' भी लड़कियों के फैशन इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद के संघर्ष को दिखाती है और इस फिल्म ने भी राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किया है।
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