पिछले कुछ सालों में भारत में ऐसे कई युवा हैं, जो अपने खुद का कारोबार शुरू करने की चाहत रखते हैं और लगातार कोशिशों में जुटे हुए हैं कि वे किस तरह से अपना नाम रौशन करें। ऐसे में एक नयी बात जो सामने आई है कि भारत के ग्रामीण परिवेश में रहने वाले ऐसे काफी युवा हैं, जिनकी चाहत है कि वह स्वयं उद्यमिता की तरफ जाएं। गौरतलब है कि 67 मिलियन से अधिक युवा ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और उनके लिए उद्यमशीलता ( ऐंथ्रेप्रेन्योरशिप) एक शीर्ष करियर विकल्प के रूप में उभर रही है। बात अगर भारतीय अर्थव्यवस्था की जाए, जिसके वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है, ऐसे में इस विस्तारित अर्थव्यवस्था में योगदान करने और इससे लाभ प्राप्त करने की बहुत बड़ी क्षमता है। खुद से किसी व्यवसाय की शुरुआत करने वाले उद्यमों को बढ़ावा देने के मुद्दों और अवसरों को बेहतर ढंग से समझने के लिए, डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट और डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स ने "इनसाइट्स इनटू रूरल एंटरप्रेन्योरशिप" शीर्षक से एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण किया, जिसमें 2,041 ग्रामीण व्यवसायों और 1,906 युवा उद्यम उम्मीदवारों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 16 और 29 साल की है, इस सर्वेक्षण में युवा ग्रामीण उद्यमियों के उद्यमशीलता के प्रति दृष्टिकोण और उनके स्वयं के व्यवसाय चलाने की आकांक्षाओं को देखा गया।
अगर एक बड़े पैमाने पर इस पूरी स्थिति को समझने की कोशिश करें, तो ग्रामीण युवाओं या छोटे शहर के संचालन की मांगों की अनदेखी करती है। यहां तक कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भी बात जब पर्याप्त योगदान की आती है, तो इनके व्यवसायों की नीतिगत ढांचे में अक्सर अनदेखी होती रही है। सो, भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत एमएसएमई से बना है, जो हर पांच में से चार नए रोजगार भी सृजित करते हैं।
गौर करें, तो भारत ने एक मजबूत उद्यमशीलता संस्कृति विकसित की है। लेकिन धारणा यह है कि यह केवल शहरी क्षेत्रों में स्पष्ट है, जहां हर दिन नए व्यवसाय दिखाई देते हैं, फिर भी यह स्पष्ट है कि ग्रामीण भारत को उद्यमशीलता की वृद्धि से पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। ग्रामीण और छोटे शहरों के क्षेत्रों के प्रवासी पहले से कहीं अधिक युवा, रचनात्मक, आकांक्षी हैं, उनके शैक्षिक स्तर अधिक हैं, और उनकी मोबाइल और डिजिटल प्रौद्योगिकी तक पहुंच है। लेकिन सर्वेक्षण के बाद जो बात सामने आई है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्षों में युवा लोगों की अपनी खुद की फर्म शुरू करने की स्पष्ट मंशा थी।
सर्वे से जो बातें सामने आई हैं कि 44 प्रतिशत युवा वयस्कों का अपना उद्यम शुरू करने और सफल उद्यमी बनने का सपना है। वहीं 38 प्रतिशत महिलाओं की यह चाहत है, जबकि 47 पुरुषों ने इसको शुरू करने की जिज्ञासा दिखायी। एक महत्वपूर्ण बात यह भी सामने आई है कि लगभग 90 प्रतिशत ग्रामीण व्यवसाय पहली पीढ़ी की कंपनियां हैं, जो जोखिम लेने की इच्छा में बदलाव का संकेत देती हैं। जबकि केवल 20 प्रतिशत व्यवसायों ने गांव के बाहर से किराए पर लिया है, 33 प्रतिशत ने गांव के अंदर और बाहर दोनों जगह से काम पर रखा है, और आधे से ज्यादा लोग यहां गांव से ही शामिल किये जाते हैं। साथ ही केवल 11 प्रतिशत ग्रामीण उद्यमों की तकनीकी सहायता तक पहुंच थी, जबकि 13.4 प्रतिशत ने किसी भी विपणन सहायता का उपयोग किया। साथ ही यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 40 प्रतिशत उद्यमों ने अपने कार्यों के विस्तार में धन की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पाते हैं।
बहरहाल, यह स्पष्ट है कि इस सर्वे से जो भी बातें सामने आई हैं, उसके आधार पर यह बेहद जरूरी है कि कैसे एक सहायक वातावरण बनाने की बढ़ती आवश्यकता है, जो स्थानीय अवसरों से अवगत हो सकें।