हमारे देश में ऐसी कई महिलाएं हैं, जो स्तन कैंसर का सामना कर रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में तकरीबन 40 फीसदी महिलाएं स्तन कैंसर की चपेट में हैं, यहां गंभीर सवाल यह है कि जांच और इलाज के बाद भी भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित सभी मरीज जीवित नहीं रह पाती हैं और विकसित देशों की तुलना में भारत में औसतन 10 में से सात मरीज ही इलाज के बाद जीवित रह पा रही हैं। आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की रिपोर्ट बताती है कि भारत में स्तन कैंसर रोगियों के जीवित रहने की दर 66 से 70 फीसदी तक है और विकसित देशों में यह 99 फीसदी तक पहुंच गई है। आईसीएमआर का तर्क है कि भारत में स्तन कैंसर रोगियों के जीवित रहने की कम दर में सुधार लाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली देखभाल जरूरी है। गौरतलब है कि भारतीय वैज्ञानिक स्तन कैंसर रोगियों पर एक नया अध्ययन शुरू करेंगे। इस अध्ययन को पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और उत्तर पूर्वी राज्यों के अस्पतालों में किया जाएगा। वर्ष 2019 में आयीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली एम्स के अध्ययन में किये गए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि हर चार मिनट में एक भारतीय महिला को स्तन कैंसर का पता चलता है। जहां वर्ष 2018 में स्तन कैंसर के 1.62 लाख नए मामले और 87,090 मौतें हुईं। वहीं भारत की उच्चतम कैंसर दर केरल राज्य में है। इसके अलावा, अन्य राज्यों में मिजोरम, हरियाणा, दिल्ली और कर्नाटक शामिल हैं।
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