सरकार के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की तरफ से हाल ही में जारी किये गए मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे (एमआईएस) के मुताबिक, 15 से 29 वर्ष के बीच आयु वर्ग में शामिल हर तीन युवा भारतीयों में से एक शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण से दूर हैं। साथ ही अगर महिलाओं की बात की जाए तो यह आंकड़ा बदतर है। गौरतलब है कि वर्ष 2021 में 2. 76 लाख से अधिक घरों में किये गए सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के राष्ट्रिय संकेतकों पर आंकड़े एकत्रित करना था, जो लैंगिक असमानता, गरीबी और शिक्षा जैसी विभिन्न वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए 17 उद्देश्यों को निर्धारित किया गया है। शिक्षा, रोजगार और प्रशिक्षण के लिहाज से युवा की संख्या संयुक्त राष्ट्र की तरफ से बताये गए वैश्विक औसत 22 फीसदी है। लेकिन यहां यह भी स्पष्ट है कि इस अंतर की बड़ी वजह लैंगिक है। 15 से 29 वर्ष के बीच आयु वर्ग की 51.7 प्रतिशत महिलाओं की तुलना में केवल 15.4 प्रतिशत युवा पुरुष एनईईटी के दायरे में आते हैं।
महिलाएं इस लिहाज से पीछे इसलिए भी मानी जाती हैं, क्योंकि इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि भारत के कई परिवार रोजगार के बजाय विवाह को महिलाओं के आर्थिक भविष्य के रूप में देखते हैं।
एक और हैरान करने वाले अंक सामने आते हैं, जिसमें इस बात को लेकर रिपोर्ट है कि वर्ष 2021 के सर्वेक्षण अनुमानों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 23 करोड़ है, जिसमें 12 करोड़ पुरुष और 11 करोड़ महिलाएं हैं। इस आबादी में लगभग 30 प्रतिशत यानी 6.8 करोड़ भागीदारी 15 से 29 आयु वर्ग की है। एक दिलचस्प बात जो सामने आती है कि एमआईएस रिपोर्ट से यह ज्ञात होता है कि जहां राज्य के केवल 16 प्रतिशत युवा पुरुष किसी भी तरह से शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में शामिल नहीं है। वहीं इसी आयु वर्ग में लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं इस श्रेणी में आती हैं।
साथ ही सर्वेक्षण के आंकड़ों दर्शाते हैं कि महिलाओं की तुलना में काफी अधिक एनईईटी पुरुष काम या नौकरी के अवसर तलाशने में जुटे हैं। रिपोर्ट दर्शाती है कि एनईईटी पुरुषों के 65.3 प्रतिशत नौकरी के लिए उपलब्ध हैं या फिर इसकी तलाश कर रहे हैं। हालांकि, यह बात एनईईटी महिलाओं के मामले में बमुश्किल 6 प्रतिशत ही लागू होती है।
जानकारों का इस बारे में साफ मानना है कि जब तक महिलाओं को रोजगार की जगह उनकी शादी की चिंता मुख्य मुद्दा बनाया जाता रहेगा, ये अंतर बढ़ता रहेग, इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपने भविष्य को सिर्फ शादी के बंधन में न बांधें, बल्कि आगे बढ़ने के बारे में सोचें।
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