इसके बावजूद कि पूरे भारत में बाल विवाह को रोकने के लिए कई अभियान चलाये जा रहे हैं, फिर भी किशोरावस्था की लड़कियों की शादी से जुड़ीं कुछ चौंकाने वाली बात सामने नजर आती है। जी हां, एक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 30 प्रतिशत भारतीय महिलाओं की शादी 21 साल की उम्र तक हो जाती है और लगभग एक तिहाई ग्रामीण महिलाएं 18 से 20 साल के बीच शादी के बंधन में बंध जाती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक , झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल भी इस फेहरिस्त में सबसे ऊपर है, जहां अधिकांश महिलाओं की शादी 21 से पहले हो ही जाती है।
वहीं, बात अगर जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों की जाए तो, वर्ष 2020 में 21 से पहले 10 फीसदी से भी कम महिलाओं की शादी हुई। दिल्ली में यह आंकड़ा करीब 17 फीसदी था। रिपोर्ट के मुताबिक शहरी भारत में 18.6 फीसदी महिलाओं की शादी 18 से 20 साल की उम्र के बीच होती है। जम्मू और कश्मीर में भी विवाह की औसत आयु 26 वर्ष थी। यह अनिवार्य रूप से दी गई जनसंख्या की औसत आयु को दर्शाता है, जब उन्होंने पहली बार शादी की थी। इसके बाद पंजाब और दिल्ली का स्थान है। फिर से, पश्चिम बंगाल और झारखंड में विवाह की औसत आयु 21 वर्ष थी, उसके बाद ओड़िशा में 22 वर्ष थी। देश की औसत आयु 22.7 थी।
वहीं अगर केरल की बात की जाए, जो भारत के सबसे अधिक साक्षर राज्यों में से एक माना जाता है, वहां पर बाल विवाह के मामले में, वर्ष 2020 में कोई भी बाल-विवाह नहीं हुआ था। जबकि कर्नाटक में स्थिति बिल्कुल अलग है। वहां बाल विवाह की संख्या खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। राज्य में वर्ष 2021 से लेकर 2022 में कम से कम 418 बाल विवाह देखे, वहीं 2017-2018 की तुलना में इसमें 300 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो कि काफी अफसोसजनक है।
एक अखबार में प्रकाशित आलेख के आधार पर यह माना गया है कि कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि बाल विवाह में वृद्धि कोरोनोवायरस महामारी के दौरान हुई, जब लोगों को लगा कि वह आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं और आगे क्या होगा, ऐसे में उन्होंने अपनी बेटियों की शादी कर दी।
गौरतलब है कि यह जानना बेहद जरूरी है कि सरकार ने बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), वर्ष 2006' में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए अधिनियमित किया है। एक प्रेस विज्ञप्ति में, केंद्र ने कहा कि उसने "जागरूकता अभियान, मीडिया अभियान और लोगों तक पहुंचने वाले कार्यक्रम शुरू किए हैं और इस कुप्रथा के बारे में विभिन्न मुद्दों को उजागर करने के लिए समय-समय पर राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह जारी की है।
इसके साथ ही साथ यह भी एक महत्वपूर्ण जानकारी है कि शॉर्ट कोड 1098 के साथ चाइल्ड लाइन भी शुरू की गई है। यह संकटग्रस्त बच्चों के लिए 24X7 टेलीफोन आपातकालीन आउटरीच सेवा है और पुलिस, सीएमपीओ, जिला बाल संरक्षण इकाइयों आदि के समन्वय में आवश्यक सहायता प्रदान करती है।
एक और चौंकाने वाली बात सामने आती है कि शहरों की तुलना में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह बहुत अधिक प्रचलित हैं। जहां 18 साल से कम उम्र की महिलाओं की शादी झारखंड में सबसे ज्यादा 5.8 फीसदी, उसके बाद पश्चिम बंगाल में 4.7 फीसदी के साथ हुई। बिहार, उत्तर प्रदेश और ओड़िशा में 3 फीसदी से ज्यादा महिलाओं की शादी 18 साल से पहले हो गई। वहीं बाल वधू की औसत आयु तेलंगाना में सबसे कम 15 वर्ष में और राजस्थान में 15.4 वर्ष थी। दूसरी तरफ, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश ऐसे राज्य थे जहां शादी करने वाली 80 प्रतिशत से अधिक महिलाओं की उम्र 21 वर्ष से अधिक थी।
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