महाराष्ट्र में चल रही घर-घर एनसीडी स्क्रीनिंग पहल ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को लेकर एक नयी बात सामने आयी है। इसमें कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाली 14 प्रतिशत महिलाएं भी उच्च रक्तचाप से और 6 प्रतिशत महिलाएं मधुमेह जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं, जो एक बार फिर इस तथ्य को उजागर करता है कि जीवन शैली की बीमारियां अब केवल महानगरीय क्षेत्रों में ही मौजूद नहीं हैं। डॉक्टर इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाना चाह रहे हैं कि राज्य जीवन शैली संबंधी बीमारियों के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए आवश्यक कानूनों को लागू करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अभी दो महीने पहले ही महिलाओं के लिए 'मां सुरक्षित है, घर सुरक्षित है' नामक एक अभियान शुरू किया गया था और यह इसलिए शुरू किया गया था, ताकि उन महिलाओं की जांच सही तरीके से हो सके, जो नियमित रूप से इलाज के लिए नहीं जा पाती हैं या नियमित जांच के लिए भी किसी हेल्थ सेंटर में नहीं जा पाती हैं।
ऐसे में जो बात सामने आई है, वह चौंकाने वाली है कि उच्च रक्तचाप की जांच कराने वाली 5.04 लाख महिलाओं में से 70,923 (14%) का परीक्षण पॉजिटिवआया है। बता दें कि इस अभियान के दौरान 5 लाख से अधिक लोगों की जांच की गई और लगभग 30,000 लोगों का मधुमेह के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया। एनएफएचएस -5 (NFHS-5) के अध्ययन में ग्रामीण महिलाओं में लगभग 23% उच्च रक्तचाप की व्यापकता का पता चला है, इसलिए आंकड़े कम बताए जा सकते हैं।
इसके अलावा, जिला स्वास्थ्य अधिकारीयों का इस बारे में मानना है कि जिलों के बीच बहुत अधिक विविधता है, उदाहरण के लिए, उच्च रक्तचाप का प्रसार जलगांव में लगभग 17% और रत्नागिरी में लगभग 30% है। साथ ही उनका मानना यह भी है कि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के प्रसार को कम करने के लिए पर्याप्त स्थानीय उपाय नहीं हैं। साथ ही उनका मानना यह भी है कि राज्य को बाहरी फूड यानी जंक फूड या फास्ट फूड खाने से या अतिरिक्त नमक और एक निष्क्रिय जीवन शैली का नेतृत्व करने के नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। इनका मानना है कि दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण होने वाली मौतों में ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
बता दें कि मुंबई में महिलाओं में उच्च रक्तचाप के 3,132 मामले और मधुमेह के 2,440 मामले पाए गए। वहीं इस बारे में संयुक्त निदेशक (एनसीडी) डॉ. पद्मजा जोगेवार के अनुसार, महाराष्ट्र के आंकड़े चौंकाने वाले नहीं हैं, लेकिन वे इस तथ्य को उजागर करते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दोहरी महामारी से मुक्त नहीं हैं। उनका कहना है कि खाने की खराब और गलत आदतें महिलाओं को इस बीमारी का शिकार बना रही हैं। साथ ही खराब जीवनशैली और तनाव के कारण भी उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा अधिक है।