ऐसे में जबकि पूरे भारत में लगातार कई तरीकों से लोगों तक इस बात को पहुंचाने की कोशिश की जा रही है कि महिलाएं, पीरियड में सैनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करें, इसके बावजूद तमिलनाडु से जुड़ी जो खबर सामने आई है, वह हैरान करती है। जी हां, आंकड़े बताते हैं कि 15 वर्ष से लेकर 24 वर्ष की उम्र तक की दस में एक महिला, 13 प्रतिशत कपड़े का इस्तेमाल पीरियड के दौरान करती हैं। यह आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे से सामने आयी है। हालांकि मेंस्ट्रुल हाइजीन की स्थिति तमिलनाडु में औसत है। लेकिन वहां के बाल अधिकार एक्टिविस्ट का मानना है कि लड़कियां अगर इस दौरान अपनी सेहत के हाइजीन का ख्याल नहीं रखती हैं तो इसकी वजह से उन्हें स्कूल छोड़ने की नौबत आ सकती है, साथ ही वे अन्य तरह की सेहत से संबंधित परेशानियों को भी झेलेंगी।
वर्ष 2019-21 के एनएफएचएस 5 के अनुसार, 98 प्रतिशत महिलाएं, जिनकी उम्र 15 से 24 साल है, वे पीरियड के दौरान हाइजीनिक तरीके का इस्तेमाल करती हैं। गुरुवार को, क्राई (CRY) ने इस बारे में अपनी बात रखते हुए कहा है कि महिलाओं की शिक्षा और महिलाओं की हाइजीन से जुड़ीं बातों में एक खास संबंध हैं। तमिलनाडु में 96. 2 प्रतिशत महिलाएं, 5 से 7 सालों से जो स्कूल जा रही हैं, वे पीरियड के दौरान हाइजीन के तरीके अपनाती हैं। यह प्रतिशत उनके लिए भी बढ़ा है, जिन्होंने कक्षा 12 में या इससे ज्यादा सालों तक स्कूल में पढ़ना जारी रखा है।
क्राई के असोसिएट जेनरल मैनेजर हैरी जयकरण अपनी बात रखते हुए कहते हैं कि हम जितने भी जिलों में काम करते हैं, हमने इस बात को लेकर एक सकारात्मक तार जुड़ते हुए देखा है कि महिलाएं, जो पीरियड के दौरान हाइजीन का इस्तेमाल करती हैं, उनकी संख्या ज्यादा है, जो पिछले दस सालों या दस सालों से अधिक स्कूल जा रही हैं, इससे यह बात स्पष्ट होती है कि जो महिलाएं अधिक हाइजीनिक तरीके अपनाती हैं, उनमें स्कूल जाने वाली महिलाओं की संख्या अधिक है। इसके अलावा, महिलाएं जो पिछले 15 से 19 सालों से स्कूल जा रही हैं या शिक्षा ग्रहण कर रही हैं, वे हाइजीनिक तरीकों को सुरक्षा के लिहाज से अधिक अपना रही हैं।
जबकि समाज सेवकों ने यह पाया है कि महिलाएं, जिनकी उम्र 18 से कम हैं, वह हाइजीनिक तरीकों को पीरियड के दौरान कम अपनाती हैं। साथ ही जो हाइजीनिक तरीके नहीं अपना रही हैं, ऐसी स्थिति में अनीमिया जैसी बीमारियों के घर करने की अधिक गुंजाईश होती है। ज्यादातर ऐसी महिलाओं में अनीमिया के मामले अधिक हैं।