अक्सर यह कहा जाता है कि मतदान को देश में एक उत्सव की तरह मनाया जाना चाहिए। साथ ही मतदान देने के प्रति की जिम्मेदारी भी लोगों को समझनी चाहिए। हर बार सरकार द्वारा किसी न किसी तरह का अभियान चलाया जाता है, ताकि लोग मतदान देने की अपनी जवाबदेही को समझ सकें। ऐसे में श्वेता परमार ने भी मतदान के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए नायाब तरीका अपनाया है। ज्ञात हो कि श्वेता परमार वडोदरा की एक एथलीट होने के साथ क्रिएटर भी हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से।
स्काई डाइवर करते हुए वोट की अपील
साहसी खेल एथलीट श्वेता परमार ने वोट देने की अपील करते हुए आसमान पर करतब करके दिखाया है। जमीन से हजारों फीट ऊपर से स्काई ड्राइविंग करते हुए उन्होंने वोट देने की अपील वाला एक झंडा फहराया। इस झंडे पर लिखा हुआ था कि ‘वोट इंडिया’। उनके इस कारनामे ने देश का जीत लिया। खासतौर पर चुनाव के माहौल में अपनी इस ऊंची उड़ान से श्वेता ने मतदान करने के लिए लोगों को जागरूक किया और यह भी समझाया कि मतदान आपके सपनों को सही उड़ान दे सकता है और यह भी बताया है कि मतदान आपका अधिकार है और इसका आपको जरूर उपयोग करना चाहिए। इससे पहले 13 हजार फीट की ऊंचाई छलांग लगाकर श्वेता प्लास्टिक मुक्त वातावरण का संदेश दे चुकी हैं। इसके जरिए वह यह पृथ्वी को प्लास्टिक मुक्त रखने और सुरक्षित करने का संदेश देना चाहती थीं। उनका मकसद स्काई ड्राइविंग के जरिए लोगों तक अपने पर्यावरण को साफ रखने की अपील करना था। उनके इस साहस की भी काफी सराहना की गयी।
श्वेता परमार को मिल चुका है यह खिताब
वडोदरा की निवासी श्वेता परमार को राज्य की पहली और देश की चौथी लाइसेंस शुदा महिला स्काई डाइवर बन गई हैं। इससे पहले तीन महिलाओं को स्काई डाइवर होने का लाइसेंस मिल चुका है। अपनी इस उपलब्धि पर श्वेता परमार का कहना है कि उनकी वजह से उनका राज्य और देश दोनों ही गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। यह उनके लिए अभिमान का पल है। श्वेता का यह भी मानना है कि अपने हौसले के दम पर वह आने वाली युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनना चाहती हैं।
स्काई ड्राइविंग अनुभव
श्वेता परमार को बचपन से ही हवा में ऊंची उड़ान भरने का ख्वाब देखा है, हालांकि यह उड़ान भरने का तरीका उन्हें नए तरीके का अपनाना था। इस वजह से उन्होंने स्काई डाइवर का चयन किया। उनका यह मानना है कि स्काई डाइविंग एक ऐसा अनुभव है, जिसकी तुलना किसी और तरह के काम से नहीं की जा सकती है। श्वेता का आगे कहना है कि वह अब बिना किसी प्रशिक्षण के स्काई डाइविंग करना चाहती हैं। उनका कहना है कि वह बिना प्रशिक्षण के इस अनुभव को पूरा करना चाहती हैं, ताकि वह अकेले उड़ान भरने और उसके अनुभव को भी अपने जीवन में उतार पाएं। श्वेता का मानना है कि स्काई डाइविंग का अनुभव युवाओं को खासतौर पर अपनी तरफ आकर्षित करता है।
श्वेता परमार के अनुभव पर एक नजर
उल्लेखनीय है कि श्वेता 300 से अधिक बार स्काई ड्राइविंग कर चुकी हैं। इससे पहले श्वेता परमार के पास फिक्स्ड- विंग विमान और गर्म हवा के गुब्बारे सहित कई सारे प्लेटफार्मों से कूदने का अनुभव रहा है। इसके साथ दुल्हन के तौर पर तैयार होकर भी कूदने वाली पहली महिला स्काई डाइवर होने का गौरव भी मिल चुका है। साथ ही श्वेता परमार की स्काई ड्राइविंग पर्यावरण का समर्थन करते हुए प्लास्टिक और प्रदूषण के खिलाफ खड़े होने के प्रतीक के तौर पर भी माना जा रहा है।