हमारे घर के कचरे को जब हम फेंकते हैं, हमारे जेहन में शायद ही यह बातें आती हैं कि यही कचरा किसी के लिए जीविकोपार्जन का जरिया भी बन सकता है। लेकिन मध्य प्रदेश के सागर इलाके के दलपतपुर की महिलाओं ने यह कमाल कर दिखाया है कि उन्होंने कचरे को भी एक देने की कोशिश की है और रोजगार का माध्यम बनाया है। दरअसल, दलपतपुर में गौशाला चलाने वाली रामराजा स्व सहायता समूह की महिलाओं ने लोगों द्वारा शादी-विवाह और सावर्जनिक जगहों में फेंके जाने वाले डिस्पोजल गिलास से निकले कचरे को एकत्रित करके गांव की महिलाओं ने उसमें ही एक नर्सरी तैयार कर दी है। उन्होंने डिस्पोजल गिलास में मिट्टी, गोबर की खाद डाल कर, तरबूज और ककड़ी के बीज बो दिए और अब तक उन्होंने एक हजार पौधे तैयार कर लिए। इसके अलावा नींबू, बैंगन और प्याज जैसी चीजों के पौधे तैयार कर लिए हैं और इनसे कई महिलाओं की आमदनी अच्छी हो रही है। खास बात यह भी है कि नर्सरी में दीपावली के दौरान महिलाएं गोबर से प्रतिमाएं और दीये भी बनाती हैं। यहां की महिलाओं की कोशिश यही है कि यहां ज्यादा से ज्यादा तरबूज का उत्पादन किया जाए, ताकि अधिक महिलाओं को रोजगार मिले और आमदनी हो जाये। वाकई, आने वाले समय में पूरी उम्मीद की जा सकती है कि ऐसी सोच से पर्यावरण को भी फायदा होगा और महिलाओं के लिए रोजगार के माध्यम की भी शुरुआत होगी।