समाज में अपनी पहचान कायम करने के लिए सबसे अधिक चुनौती का सामना ट्रांसजेंडर वर्ग को करना पड़ता है। बीते कुछ सालों से ट्रांसजेंडर वर्ग ने कई उच्च पदों पर अपनी उपयोगिता को साबित किया है। भारत की पहली ट्रांसजेंडर वकील सत्यश्री शर्मिला हों या फिर पहली ट्रांसजेंडर पुलिस अधिकारी बनी पृथिका याशिनी हो। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि ट्रांसजेंडर वर्ग के लोगों ने अपनी काबिलियत को शिक्षा और योग्यता के बल पर साबित कर समाज में अपना कद ऊंचा किया है। आइए इस बार शिक्षक दिवस के मौके पर विस्तार से जानते हैं, उन सफल ट्रांसजेंडर लोगों पर बात करते हैं, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की है।
कर्नाटक में 3 ट्रांसजेंडर शिक्षकों की नियुक्ति
साल 2022 के अंत में कर्नाटक शिक्षा मंत्रालय 3 उम्मीदवारों का चयन किया है, जो कि शिक्षक के तौर पर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में अपना कार्यभार संभालेंगे। कर्नाटक ने सरकारी स्कूलों में तीन ट्रांसजेंडरों को शिक्षकों के तौर पर नियुक्त करके इतिहास रच दिया है। अश्वत्थामा, सुरेश बाबू और रवि कुमार वाई आर को चुना गया है। ये तीनों बच्चों को सामाजिक विज्ञान पढ़ायेंगे।
कर्नाटक की ट्रांसवुमन पूजा
कर्नाटक के रायचूर जिले के मानवी तालुक के नीरामनवी गांव की 34 साल की ट्रांसवुमन पूजा को स्कूल के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए नियुक्त किया गया है। पूजा ने मई साल 2022 में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित परीक्षाएं में उत्तीर्ण किया। उल्लेखनीय है कि तीन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों में से है, जिन्हें राज्य में सरकारी शिक्षक के पद के लिए चुना गया।
ट्रांसवुमन शिक्षक रिया
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग की शिक्षिका रिया आलवेकर की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणादायक है। अपने जीवन में कई तरह के संघर्षों के बाद उन्होंने प्रवीण से अपना नाम रिया बदलने का फैसला लिया और साथ में यह भी तय किया कि उन्हें अपनी शिक्षा के बलबूते एक स्थाई नौकरी करनी है। इसके बाद भी उनका प्रयास सतत जारी रहा और अंत में उन्हें अपनी मंजिल मिली और वह जिला परिषद, सिंधुदुर्ग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रजीत नायर की निजी सहायक के रूप में रिया की नियुक्ति की गई। शुरू में बतौर महिला शिक्षक कार्य करना उनके लिए मुश्किल था, बाद में अपनी हिम्मत के बलबूते वह कई लोगों के लिए मिसाल बन गयीं।
मुंबई में ट्रांसजेंडर स्कूल
मुंबई स्थित वसई में किन्नर विद्यालय की शुरुआत की गयी। इस विद्यालय में अभी तक 24 से अधिक विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया है। इस अभियान की शुरुआत मेहंदी अली और श्री महाशक्ति चेरिटेबल ट्रस्ट ने शुरू किया। इस स्कूल का नाम किन्नर विद्यालय है। इस स्कूल के सारे शिक्षक किन्नर समाज से जुड़े हैं। इस स्कूल के जरिए एक तरफ, जहां किन्नर समाज के लोगों को खुद को साबित करने का अवसर मिला है और साथ ही रोजगार का नया जरिया भी मिला है। इस स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत लोग उच्च शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं और अपने शिक्षा के हुनक का इस्तेमाल दूसरे लोगों को शिक्षित करने के लिए कर रहे है।
आलिया बनीं गरीब बच्चों की शिक्षिका
मुंबई के वसई इलाके की निवासी आलिया पवार कुछ सालों से लगातार समाज सेवा कर रही हैं। वे अपने इलाके में रहने वाली आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों को बिना किसी शुल्क के शिक्षित कर रही हैं। वह ये मुहीम कई सालों से चला रही हैं। इसके लिए उन्हें कई सारी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। पहले जहां केवल 2 बच्चे उनके पास पढ़ने के लिए आते थे, वहीं अब बच्चों की संख्या 30 हो गई है। आलिया के इस प्रयास को देखते हुए उन्हें तहसीलदार कार्यालय ने पुरस्कृत किया। साथ ही उन्हें कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी भी दी गयी। वाकई, ट्रांसजेंडर समाज से जुड़े लोगों के हिम्मत और हौसले की कहानी किसी हर उस इंसान के लिए प्रेरणादायक है, जो जरा-सी परेशानी से जीवन से हार मान लेते हैं।