महिलाएं हर बाधा को पार करते हुए अपने जीवन में सफलता की उड़ान भर सकती हैं। इसका अनोखा उदाहरण वकील सारा सनी हैं। एक दिव्यांग मूक-बधिर वकील सारा सनी ने सुप्रीम कोर्ट में वो कर दिखाया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। सारा सनी ने एक केस को लेकर इशारों में सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील पेश की और उन्होंने अपनी दलील पेश करने के लिए और कोर्ट के सामने अपनी बात पेश करने के लिए दुभाषियों(interpreter) की सहायता ली। दुभाषिए((interpreter) ने साइन लैंग्वेज में पूरे केस की व्याख्या जज के सामने की। दिलचस्प है कि सारा सनी वर्चुअल तौर पर पेश हुईं। इशारें में इस तरह से दलील सुनना सुप्रीम कोर्ट के लिए भी पहला अवसर था।
जानें कौन है वकील सारा
केरल के कोट्टायम की रहने वाली सारा मूक-बधिर वकील हैं। सारा बतौर वकील कार्य करती हैं। सारा एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं और शुरू से ही उनका पढ़ाई पर पूरा फोकस रहता है। सारा ने कभी भी अपनी शारीरिक समस्या को अपना नहीं माना, बल्कि उन्हें हमेशा खुद पर यह आत्मविश्वास था कि वह कभी न कभी जीवन में किसी न किसी मुकाम पर जरूर पहुंच जायेंगी। खुद पर किए गए विश्वास के कारण ही आज उन्होंने इस मंजिल को पाया है।
आदर्श बनना चाहती हैं सारा
सारा यह मानती हैं कि सुप्रीम कोर्ट में इस मुकाम पर पहुंचना उनके लिए सपने के सच होने जैसा है। सारा का यह सपना था कि वह सुप्रीम कोर्ट में किसी मामले की पैरवी करें। उनका यह भी मानना है कि इससे उनका खुद में हौसला बढ़ा है और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता चला जा रहा है। सारा का यह मानना है कि वह अन्य लोगों के लिए एक आदर्श बनना चाहती हैं जो कि विशेष रूप से अपनी बात रख पाने के लिए सक्षम नहीं हैं।
विकलांगता कानून और सारा का उद्देश्य
सारा का उद्देश्य है कि उन्हें विकलांगता कानून और मानवाधिकार कानून को गहराई से समझना है, ताकि उन्हें अन्य लोगों के सपने पूरा करें और विकलांग लोगों को बिना किसी दुविधा के अपना जीवन जीने में सहायता मिल सके।
यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि विकलांगता की बाधाओं को तोड़ते हुए बोलने और सुनने की अक्षमता के बाद भी पहले वकील के तौर पर सारा ने अपना पंजीकरण कराकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ज्ञात हो कि सना वर्तमान में ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क और नेशनल एसोसिएशन ऑफ डेफ की वकालत में शामिल हैं।