जब भी किसी बदलाव की बात होती है, तो हमारे जेहन में हमेशा ही यह बात आती है कि बड़े बदलाव कैसे किये जा सकते हैं, लेकिन अगर हम यह ठान लें कि छोटे बदलाव भी बड़े कमाल दिखा सकते हैं, तो यह कामयाबी भी बड़ी कामयाबी ही होती है, बिहार के मुंगेर जिले से संबंध रखने वालीं जया देवी, एक ऐसा ही नाम हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र में पर्यावरण के संरक्षण के लिए अनोखे काम किये हैं, आइए जानें इनके बारे में विस्तार से।
अपनी सूझ-बूझ से किया कमाल
किताबी पढ़ाई का मतलब यह हरगिज नहीं होता है कि आपको हमेशा अच्छे अंक आएं, तभी उन्हें सार्थक कह सकते, ऐसा बिल्कुल नहीं हैं, खासतौर से बिहार के मुंगेर में रहने वालीं ‘ग्रीन लेडी ऑफ बिहार’ के रूप में जानी जाने वालीं जया देवी ने इस बात को गलत साबित किया है, क्योंकि उन्होंने अपनी समझ से अपने क्षेत्र के लिए बेहतरीन तरीके से काम किया है। जया बताती हैं कि वह मुंगेर के धरहरा प्रखंड के बंगलवा गांव की रहने वाली हैं। बतौर जया मैंने केवल चौथी कक्षा तक पढ़ाई की, क्योंकि परिवार में लड़कियों को पढ़ाने पर किसी का भी जोर नहीं था। मेरी काफी कम उम्र में शादी कर दी गई थी। लेकिन मैं केवल घर की चारदीवारी में खुद को कैद करके नहीं रखना चाहती थी, इसलिए मैंने कदम बढ़ाया और अपने क्षेत्र की ही महिलाओं के लिए कुछ करने का निर्णय लिया।
छोटी-सी शुरुआत से बचत
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बतौर जया कहती हैं कि उन्होंने अपने क्षेत्र की महिलाओं को जोड़ा, शुरुआत में पांच रुपये बचाने से शुरुआत की। अपने क्षेत्र की महिलाओं को प्रेरित किया कि स्वयं सहायता समूह में काम करें, उन्होंने पहले 15 दिन का प्रशिक्षण लिया और उन्होंने अपने तरीके से बाकी महिलाओं को भी बचत करने के गुर सिखाये। शुरू में कई महिलाओं को एक मुट्ठी अनाज बचाने के लिए कहा, इससे एक मनोबल बढ़ा और फिर जया के साथ कई महिलाएं जुड़ती गयीं।
शिक्षा का प्रसार शुरू किया
बतौर जया देवी ने गांव में शिक्षा का प्रसार करना शुरू किया और फिर साक्षरता मिशन की भी शुरुआत की, उन्होंने अख़बारों और प्रचार के माध्यम से काम करना शुरू किया, साथ ही गांवों में बच्चों के बीच किताबों को बांटना शुरू किया और शिक्षा के प्रति जागरूकता भी फैलायी।
फसल को बर्बाद होने से बचाया
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जया ने बताया कि सिर्फ अपने क्षेत्र की शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि फसलों को भी बचाने की पहल की, उन्होंने एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी के गवर्निंग सदस्यों को बारिश के पानी को बचाने की सलाह दी, साथ ही बंजर जमीन पर पेड़ लगाने के लिए कहा। साथ ही रेड वॉटर हार्वेस्टिंग पर भी काम किया। यही नहीं, जया ने कई योजनाओं के तहत अन्य गांव में भी बारिश का पानी बचाने के लिए तालाब, चेक डैम और बांध बनवाये।
दिक्कतें
गौरतलब है कि जया का मानना है कि उन्हें सिर्फ पुरस्कार नहीं चाहिए, वह चाहती हैं कि उनके गांव के लिए जो अहम कदम उठाये जाने चाहिए और जो उन्हें मदद कर सकते हैं, वे लोग आगे आएं, तभी इसे वह अपनी सफलता मानेंगी।
उपलब्धियां
जया को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में साल 2016-17 का नेशनल लीडरशीप अवार्ड से सम्मानित किया था। साथ ही उन्हें और भी कई उपलब्धियां हासिल हुई हैं।