ISRO ( भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने 23 अगस्त 2023 में इतिहास रच दिया। चंद्रयान-3 की इस तारीख को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही ऐतिहासिक गवाह बना, इसके साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। ऐसे में एक बार जरूर ISRO के इतिहास और उनकी मेहनत को हमें देखने की कोशिश करनी चाहिए, जिन्होंने हमेशा ही हमें फक्र करने का मौका दिया है, आइए जानते हैं एक बार विस्तार से।
और यूं हुई शुरुआत, पहला रॉकेट हुआ लांच
इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भारत का गौरव है और इसकी स्थापना भारत में 1962 में की गई थी। वक़्त INCOSPAR कहा जाता था, महान साइंटिस्ट विक्रम साराभाई को इसकी पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। साराभाई के साथ चंद वैज्ञानिक ही जुड़े हुए थे, साथ ही उन्हें पैसों की भी तंगी झेलनी पड़ती थी। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने भारत में पहले रॉकेट लांच किया। दिलचस्प बात यह थी कि इसके पार्ट्स को साइकिल पर लाद कर लॉन्च सेंटर तक पहुंचाया गया था। उस वक़्त की तस्वीर आज भी इंटरनेट पर दर्शकों का दिल जीत लेती है। डॉ साराभाई के नेतृत्व में INCOSPAR ने तिरुवनंतपुरम में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) की स्थापना की। इसके बाद, TERLS का नाम विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र रखा गया। उल्लेखनीय है कि पहला रॉकेट 21 नवंबर 1963 को यहीं से लॉन्च किया गया था। इसने भारतीय स्पेस प्रोग्राम की ऐतिहासिक शुरुआत की। INCOSPAR 15 अगस्त 1969 को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) बन गया।
‘आर्यभट’बना देश की शान
‘आर्यभट’ भारत का पहला ऐसा उपग्रह था, जिसे 19 अप्रैल 1975 को कॉस्मोस-3 एम लॉन्च वीइकल से लॉन्च किया गया था। यह भी भारत के लिए गौरव का क्षण था, जिसे कभी भी भूला नहीं जा सकता है। प्रसिद्ध भारतीय खगोलशास्त्री के नाम पर ही इसका नाम आर्यभट्ट घोषित हुआ। खास बात यह भी है कि इसे ISRO ने ही बनाया था और सोवियत संघ( अब रूस) ने लॉन्च किया था।
‘SLV-3’, पहला स्वदेशी रॉकेट
भारत के लिए यह भी एक गौरव का क्षण था, जब भारत का पहला एक्सपेरिमेंटल सैटलाइट लॉन्च हुआ था वीइकल के रूप में। गौरतलब है कि इसे 18 जुलाई 1980 को लॉन्च किया गया था और SLV-3 ने रोहिणी को ऑर्बिट में स्थापित किया था। और इसी के साथ अंतरिक्ष-प्रगतिशील देशों के एक विशेष क्लब का छठां सदस्य बनने का गौरव हासिल कर पाया था। इस सीरीज में चार सैटलाइट शामिल थे, साथ ही तीन ने सफलतापूर्वक ऑर्बिट में प्रवेश किया था।
‘PSLV’, एक और विश्वसनीय वीइकल
पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल (PSLV) भारत का तीसरी पीढ़ी का लॉन्च वीइकल है। गौरतलब है कि इसे अक्टूबर 1994 में लॉन्च किया गया था और वर्ष 2017 के जून से लगातार 39 सफल मिशन को दर्शाया गया, इसका ही नतीजा है कि वर्ष 2008 में चंद्रयान-1 और वर्ष 2013 में मंगल ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया था।
GSLV, 2001 की ऐतिहासिक उपलब्धि
ISRO का एक और शानदार आविष्कार जियोसिंक्रोनस सैटलाइट लॉन्च वीइकल (GSLV) है।
चंद्रयान-1
गौरतलब है कि चंद्रयान-1 भारत का पहला मून मिशन था। इसे वर्ष 2008 में अक्टूबर में लॉन्च किया गया था। इसकी खासियत यह रही थी कि इसने चंद्रमा के चारों ओर 3400 से अधिक चक्कर लगाए थे। फिर 29 अगस्त 2009 को स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूटने के बाद मिशन समाप्त हो गया था।
मंगलयान मिशन
मंगलयान 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था।यह भी एक उल्लेखनीय जीत थी कि मार्स ऑर्बिटर मिशन, किसी ग्रह पर स्पेसक्राफ्ट भेजने का भारत का पहला मिशन था। रोस्कोस्मोस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद ISRO मंगल तक पहुंचने वाला दुनिया का चौथा अंतरिक्ष एजेंसी बना। अपनी पहली ही कोशिश में भारत, मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना था।
चंद्रयान-2
डॉ सिवन के नेतृत्व में वर्ष 2019 में भी ISRO ने महत्वपूर्ण मिशन की लांचिंग की थी। पूरी उम्मीद थी कि इस मिशन में कामयाबी मिल जायेगी, लेकिन चंद्रयान-2 जब चंद्रमा की सतह पर उतरने ही वाला था कि लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। इस तरह आखिरी वक्त में चंद्रयान-2 का 47 दिनों का सफर अधूरा रह गया था, उस वक़्त पूरा देश निराश हुआ था, लेकिन वैज्ञानिकों ने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर से वर्ष 2023 में 23 अगस्त को उन्होंने इतिहास रचा।
चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। चंद्रयान -3 ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सुरक्षित लैंडिंग की। चंद्रयान-3 की इस तारीख को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही ऐतिहासिक गवाह बना, इसके साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया।