कहता है जोकर, सारा जमाना, आधी हकीकत, आधा फसाना, ‘जोकर’ फिल्म का यह गीत हिंदी सिनेमा में महिला हास्य कलाकारों की भूमिका को साफ तौर पर बयान करता है, जो न केवल अपनी मौजूदगी से लोगों के जीवन में हास्य का इंद्रधनुषी रंग बिखेरती हैं, बल्कि अपने सफर से यह भी सिखाती हैं, कि जिंदगी में आईं कड़वाहट का इलाज आपके भीतर छिपे हौसले भरी हंसी की दवा में है, हमें केवल इस हिम्मत की डिब्बी को खोलना है। उल्लेखनीय है कि 7 मई को विश्व हास्य दिवस के मौके पर इन महिलाओं को मौजूदगी जरूर हमारे जीवन में आदर्श के तौर पर दर्ज होनी चाहिए। आइए जानते हैं विस्तार से।
हिंदी सिनेमा की पहली कॉमेडी क्वीन टुन टुन
इसकी शुरुआत सबसे पहले हिंदी सिनेमा की पहली कॉमेडियन टुन टुन से होती है। माता-पिता के निधन के बाद उमा देवी यानी कि टुन टुन को भोजन भी पूरे दिन की कड़ी मेहनत के बाद मुश्किल से नसीब होता था, लेकिन अपनी गायकी पर यकीन करके वह घर से भाग कर मुंबई में हिंदी सिनेमा की दहलीज पर पहुंची। बतौर सिंगर वह अपनी पहचान नहीं बना पाईं, आर्थिक हालात से मजबूर होकर टुन टुन संगीत का मोह छोड़ एक्टिंग की तरफ आयीं। सभी लोग उनके मोटापे की हंसी उड़ाते थे, उन्होंने इसी हंसी को अपनी ताकत बनाया और बन गयीं और वह हिंदी सिनेमा की पहली महिला कॉमेडियन टुन टुन, जो अपने सफर से कई महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं। उन्होंने यह बताया कि प्रतिभा के आगे साइज मायने नहीं रखता है, कीमती है, वो मुस्कान जो वह लोगों के चेहरे पर आज भी अपनी फिल्मों के जरिए लेकर आती हैं।
एक्सप्रेशन क्वीन मनोरमा सिनेमा की इमोजी चाची
हास्य की दूसरी हीरा हैं, एक्सप्रेशन क्वीन मनोरमा यानी सीता-गीता फिल्म की लालची चाची। आपके फोन के इमोजी में इतने भाव नहीं होंगे, जितना मनोरमा के चेहरे पर दिखाई देते थे।। मुख्य अभिनेत्री के तौर पर उन्होंने अपना सफर शुरू किया लेकिन स्क्रिप्ट में उन्हें एक्ट्रेस से कॉमेडियन की जगह मिलने लगी। बदलाव को स्वीकार करते हुए उन्होंने हास्य की दुनिया में अपना लोहा मनवाया। उनके लिए ग्रे सेड किरदार लिखे जाते थे, लेकिन वह अपनी आंखों से की गई अदायगी से प्यार बटोर लेकर जाती थीं।
80 के दशक की टुन टुन गुड्डी मारूति
80 के दशक में जहां सुडौल काया का बोलबाला था, वहीं पर गुड्डी मारूति यानी कि ताहिरा परब ने हास्य को अपनी ढाल बनाई और साबित किया कि योग्यता किसी खूबसूरती की मोहताज नहीं है। उनकी लोकप्रियता का आलम यह रहा है कि उन्हें टुन टुन के नाम से पुकारा जाने लगा।
राजस्थान की मीना कुमारी बनीं वन लाइनर की रानी
कपिल शर्मा शो की बुआ यानी कि अभिनेत्री उपासना सिंह ने राजस्थानी फिल्मों की मीना कुमारी बन बतौर मुख्य अभिनेत्री अपना सफर शुरू किया, लेकिन जब वह हिंदी फिल्मों की तरफ बढ़ीं, तो हास्य कलाकार की फेहरिस्त में उन्हें शामिल कर दिया गया। हार न मानते हुए उन्होंने हमेशा अपनी कला पर भरोसा किया और बन गईं वन लाइनर रानी। अब्बा-डब्बा-जब्बा, ओइच तो बोली मी के साथ कपिल शर्मा शो में कौन है ये आदमी जैसे डायलॉग बोलने का अंदाज उनकी लोकप्रियता को सतत बढ़ाता चला गया।
छोटे पर्दे से पहुंची महिला हास्य गाड़ी
देखा जाए, तो बड़े पर्दे के बाद महिला हास्य कलाकारों की एक फौज टीवी की दुनिया में भी दिखाई देती है। भारती सिंह ने जहां यह प्रमाणित किया है कि प्रतिभा को किसी आकार में फिट नहीं किया जा सकता, तो वहीं दिशा वकानी ने दयाबेन बनकर घरेलू महिला की अहमियत को टीवी स्क्रीन पर और रोशन किया है। सुगंधा मिश्रा ने भी यह बताया है कि भले ही गायक के तौर पर उन्हें अवसर नहीं मिला, तो भी वह अपनी प्रतिभा के पंख को बतौर हास्य कलाकार मनोरंजन की दुनिया में बिखेर पाई हैं। वैसे कई महिला हास्य कलाकार ने खुद को सोशल मीडिया का कॉमेडी सितारा भी बना दिया है, मल्लिका दुआ, सुमुखी सुरेश और जेमी लीवर का नाम इसमें प्रमुख हैं।
उल्लेखनीय है कि भारतीय सिनेमा की सभी महिला हास्य कलाकारों ने अपनी प्रतिभा की शक्ति के बलबूते हर उस निंदा का हंसी में जवाब दिया है, जो उनकी काबिलियत को उनकी बनावट से तोल रहे थे। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि अगर फिल्में समाज का आईना हैं, तो प्रत्येक महिला हास्य कलाकर उस आईने की ऐसी चमक है, जो अपनी प्रतिभा की प्रभाव से लोगों के जिंदगी में हौसले की अमिट लालिमा बिखेरती हैं।
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