हर दिन महिलाओं के संघर्ष और उनके जज्बे को ऐसी मिसाल भरी कहानियां हमारे सामने आ रही हैं, जिससे हर दिन प्रेरणा मिल रही है। कुछ ऐसी ही प्रेरणा नेशनल इंटरनेशनल स्तर पर फुटबॉलर लड़कियां सामने भी आ रही हैं। जी हां, झारखंड की ऐसी कई लड़कियां हैं, जो संघर्षों से जूझते हुए भी अपने जोश को कम नहीं कर रही हैं और आज पूरे भारत और खासतौर से ग्रामीण इलाकों की महिलाओं और लड़कियों के लिए एक हौसला बन रही हैं। लगातार झारखंड से ऐसी लड़कियां सामने आ रही हैं, जो फुटबॉल खेलने में माहिर हैं और कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मैच का हिस्सा बन रही हैं।
आज पूरी दुनिया उन्हें सलाम कर रही है, लेकिन इनकी कहानी फूलों से सजी हुई नहीं हैं, बल्कि इन्हें कठिन रास्ते इख्तियार करने पड़े हैं। इन लड़कियों में से एक लड़की खिलाड़ी, जिसे कभी उनके पिता ने 25 हजार में किसी को बेच दिया था। तो कुछ लड़कियों ने मजदूरी करते हुए फुटबॉल खेलना जारी रखा। इनमें से ऐसी कई खिलाड़ी लड़कियां हैं, जो दूसरे घरों में बर्तन साफ करने जाती हैं, तो कुछ लड़की की जबरन कम उम्र में शादी कर दी गई है। लेकिन इन लड़कियों के जज्बे को सलाम कि उन्होंने फुटबॉल खेल को अपनी ताकत बना दी। यह अपने आप में बड़ी मिसाल है कि डेनमार्क में 2018 के दाना कप फुटबॉल टूर्नामेंट में भारतीय महिला टीम के रूप में विजेता रहीं। इसमें झारखंड की लगभग 8 लड़कियां शामिल थीं। ये लड़कियां झारखंड के ओरमांझी प्रखंड के कई अंदरूनी इलाकों में रहने वाली लड़कियां हैं।
इन लड़कियों के जोश में कोई कमी नहीं हैं, ये लड़कियां सुबह के चार बजे उठ कर, अपनी टीम बना कर पूरी तरह से प्रैक्टिस में लगी रहती हैं। इन सभी के बीच अंशु जैसी लड़की हैं, जो आजकल ओरमांझी के ही 160 से ज्यादा बच्चों और लड़कियों को फुटबॉल की कोचिंग देती है। शानदार बात यह है कि यूनिसेफ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में सचिन तेंदुलकर ने अंशु की तारीफ की। झारखंड से गुमला, हजारीबाग और ऐसी कई जगह हैं, जहां से लड़कियां लगातार फुटबॉल खेल रही हैं।
इन लड़कियों की मिसाल की कहानी यह भी है कि उनके इस हुनर ने उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी तक पहुंचा दिया। वहां भी इन लड़कियों की चर्चा हुई। ओरमांझी प्रखंड की रहने वाली सीमा कुमारी को स्कॉलरशिप प्रोग्राम के लिए चुना गया ।
इन लड़कियों की उपलब्धि के बारे में एक खास बात यह भी है कि इस टीम ने इसी साल जून में युवा मामले एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार की ओर से पंचकुला में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में झारखंड की इन प्रेरणादायी लड़कियों ने उप विजेता का खिताब जीता।
वाकई, यह कहानी भारत की इन तमाम लड़कियों की लिए मिसाल है, जो ग्रामीण इलाकों में रह कर भी अपने हौसलों को उड़ान देना चाहती हैं, लेकिन उन्हें रास्ते नहीं मिलते। निश्चित तौर पर उन्हें इनसे हौसला मिलेगा और वह आगे बढ़ने की कोशिश करेंगी।