ऐसी कई महिलाएं प्रेरणा की स्रोत हैं, जिन्होंने हमेशा अपने जीवन में अपने क्षेत्र में पहला कदम उठाया। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
पहली महिला डॉक्टर
आनंदीबाई गोपालराव जोशी भारत की पश्चिमी चिकित्सा की पहली भारतीय महिला डॉक्टर मानी जाती थीं। वह भारत के तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी से संयुक्त राज्य अमेरिका में पश्चिमी चिकित्सा में दो साल की डिग्री के साथ अध्ययन और स्नातक करने वाली पहली महिला थीं।
पहली महिला आईपीएस ऑफिसर
किरण बेदी, भारत की पहली आईपीएस ऑफिसर रही हैं, जी हां, वह पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के महानिदेशक के रूप में वर्ष 2007 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से पहले 35 वर्षों तक कार्यबल में रहीं। किरण बेदी एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी जानी जाती रही हैं और इनका जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर, भारत में हुआ था। आईपीएस सेवाओं में शामिल होने के बाद, उन्होंने नारकोटिक्स के साथ-साथ आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ के रूप में और अधिकारी एवं प्रशासक के रूप में विभिन्न भूमिकाओं में मुख्य रूप से योगदान दिया।
पहली महिला शिक्षिका
सावित्रीबाई फुले भारत की पहला महिला शिक्षिका हैं, जिनका जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नयागांव में एक दलित परिवार में हुआ था। सावित्रीबाई का विवाह 1840 में समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले संग हुआ था। सावित्रीबाई फुले ने अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले संग कंधे से कन्धा मिला कर स्त्रियों के अधिकारों को हासिल करने में शिक्षा का माध्यम चुना, खास बता यह है कि उन्हें आधुनिक मराठी काव्य को भी बढ़ावा देने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने ही देश के पहले किसान स्कूल की भी स्थापना की थी। वर्ष 1848 में पुणे के भिड़ेवाड़ी इलाके में अपने पति के साथ उन्होंने विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के लिए इस विद्यालय की स्थापना की। फिर लगातार उन्होंने महिलाओं के लिए स्कूल खोले।
पहली महिला पुजारी
ऐसे क्षेत्र में जहां पुरुषों की ही संख्या अधिक रही है, वहां महिलाओं ने अपनी धाक बनाने की कोशिश की और आखिरकार एलिजाबेथ पॉल वर्ष 1987 में भारत की पहली नियुक्त महिला पुजारी बनीं, वहीं मराठाकवल्ली डेविड 1989 में केरल की पहली महिला पुजारी बनीं। मराठाकवल्ली डेविड ने कठिन डगर में भी चल कर अपना रास्ता अपनाया, गौरतलब है कि जब 1970 में चर्च ऑफ साउथ इंडिया सिनॉड में महिलाओं के समन्वय का मुद्दा उठा, तो इसका पुरजोर विरोध किया गया और एक दशक तक बहस चली और विरोधियों द्वारा लंबे समय तक कानूनी सहारा लिया गया। वर्ष 1982 में दक्षिण भारत के चर्च में महिलाओं के समन्वय के पक्ष में बहुमत से मतदान हुआ और एलिजाबेथ पॉल 1987 में भारत की पहली नियुक्त महिला पुजारी बनीं। और मराठाकवल्ली डेविड 1989 में केरल की पहली महिला पुजारी बनीं।
पहली महिला राज्यपाल
सरोजनी नायडू स्वतंत्र भारत की राज्यपाल का पद संभालने वाली पहली महिला थीं। वह 15 अगस्त 1947 से 2 मार्च 1949 तक उत्तर प्रदेश की राज्यपाल रहीं। भारत की कोकिला या भारत कोकिला के नाम से मशहूर, वह भारत में स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदार थीं और महात्मा गांधी की प्रबल समर्थक थीं। वह भारत छोड़ो आंदोलन और नमक सत्याग्रह में भी एक उल्लेखनीय भागीदार थीं। उन्हें 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की दूसरी महिला अध्यक्ष थीं और यह पद संभालने वाली पहली भारतीय महिला थीं।