चॉकलेट किसे पसंद नहीं, फिर चाहे वे बड़े हों, बूढ़े हों या बच्चे हों। इसकी मिठास और इसका स्वाद सभी को आकर्षित करता है। तो आइए विश्व चॉकलेट दिवस के अवसर पर विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं हम सबके प्रिय चॉकलेट के बारे में खास बातें।
क्यों मनाई जाती है विश्व चॉकलेट दिवस
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दरअसल, हर वर्ष 7 जुलाई को मनाये जानेवाले विश्व चॉकलेट दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी। ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1550 में पहली बार चॉकलेट यूरोप पहुंची थी और सारी दुनिया इसकी दीवानी हो गई थी। विश्व चॉकलेट दिवस, दुनिया भर के चॉकलेट प्रेमियों के लिए उनके पसंदीदा चॉकलेट का आनंद लेने का दिन है। इस खास दिन को आम तौर पर चॉकलेट से बने, तरह-तरह के खाद्य पदार्थों के साथ मनाया जाता है। इनमें आम तौर पर हॉट चॉकलेट, चॉकलेट दूध, चॉकलेट कैंडी बार, चॉकलेट केक, चॉकलेट ब्राउनी या हर वो चीज जिस पर चॉकलेट की परत चढ़ी हो, शामिल करते हैं।
चॉकलेट का इतिहास
चॉकलेट, कोको पेड़ के बीज से बनाई जाती है, जिसकी खेती मेक्सिको के साथ अमेरिका में लगभग तीन हजार सालों से की जा रही है। लेकिन प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार इसका उपयोग 1100 ईसा पूर्व से किया जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले कोको के बीजों को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। सचमुच, ये कल्पना करना ही कितना दिलचस्प है न कि खरीदारी के लिए कोको के बीजों का ढेर लगा है और उससे खरीदारी की जा रही है। हालांकि उस समय चॉकलेट मीठी नहीं, बल्कि कड़वी हुआ करती थी। 16वीं शताब्दी में यूरोप में चॉकलेट ने एक क्रांतिकारी मोड़ लिया और इसमें चीनी घुल गयी। कड़वे चॉकलेट की मिठास लोगों तक पहुंचते ही ये हर सभी की पसंदीदा हो गयी। इसका प्रयोग कर यूरोप के प्रत्येक घर में व्यंजन बनने लगे। केक, पुडिंग और मफिंस इसी के उदाहरण हैं।
चॉकलेट कंपनियों की शुरुआत
चॉकलेट की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए कई कंपनियों ने इसकी तरफ अपने कदम बढ़ाए। वर्ष 1868 में शुरू हुई एक बड़ी चॉकलेट कंपनियों की शुरुआत से इसकी लोकप्रियता की शुरुआत हुई। ठीक उसके 25 साल बाद मिल्टन एस हर्शे ने शिकागो में एक और चॉकलेट फैक्ट्री की शुरुआत की। आज दुनिया के बाजार में इनके द्वारा बनाई गई चॉकलेट सबसे बड़े और विश्व प्रसिद्ध चॉकलेट निर्माताओं में से एक है। दूसरे चॉकलेट ब्रांड की तुलना में हर्शे ने अपनी चॉकलेट कंपनी की शुरुआत कैरेमल चॉकलेट के साथ की थी। गौरतलब है कि चॉकलेट के लिए पहचाने जानेवाले एक और कम्पनी ने कदम रखा और आज भी यह लोकप्रिय है और इसकी शुरुआत 1860 में हुई थी, लेकिन उन्होंने चॉकलेट का उत्पादन काफी देर से किया था। फिलहाल चॉकलेट के अलावा अपने अन्य खाद्य पदार्थों के लिए यह एक बड़ा ब्रांड है और लगभग सबसे बड़े समूह में से एक भी है।
चॉकलेट के प्रकार
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आम तौर पर कोको बीज से प्राप्त होनेवाला चॉकलेट एक ही होता है। हां, लेकिन अगर इसकी गुणवत्ता में फर्क हो सकता है, लेकिन कोको बीज से प्राप्त होनेवाला चॉकलेट आम तौर पर कड़वा होता है। इसमें चीनी मिलाकर इसे अलग-अलग तरीके से पेश किया जा सकता है। गौर करें तो चॉकलेट चार प्रकार के होते हैं। सबसे पहले बिना चीनी वाली बेकिंग चॉकलेट, जिसमें अलग-अलग अनुपात में कोको सॉलिड और कोको बटर होता है। उसके बाद मीठी चॉकलेट, जिसे कोको सॉलिड के साथ कोको बटर, चीनी और अन्य फैट मिलाकर बनाया जाता है। चॉकलेट का तीसरा प्रकार है मिल्क चॉकलेट, जिसे मिल्क पावडर या मिल्क के साथ चीनी और सॉलिड कोको मिलाकर बनाया जाता है। चौथे नंबर पर आता है सफेद चॉकलेट, जिसे कोको बटर, दूध और चीनी मिलाकर बनाते हैं।
बहुत काम की है चॉकलेट
आम तौर पर बच्चों को चॉकलेट न खाने की सलाह दी जाती है, जिससे उनके दांत खराब न हों, लेकिन सच तो ये है कि मिठास से भरपूर चॉकलेट हमारे बहुत काम की है। एक सर्वे के अनुसार पूरे विश्व में हर रोज लगभग एक अरब लोग चॉकलेट का सेवन करते हैं। हालांकि उनमें अधिकतर इसके स्वाद से बंधे लोग होते हैं, लेकिन कई ऐसे भी हैं, जो इसके फायदों को जानते हुए इसका आनंद लेते हैं। जी हां, स्वाद के साथ चॉकलेट के कई फायदे भी हैं। चॉकलेट, सेरोटोनिन और डोपामाइन के स्तर को बढ़ाती है, जिससे मूड बेहतर बन जाता है। नॉर्मल चॉकलेट के अलावा डार्क चॉकलेट भी बहुत फायदेमंद होती है। ये एंटीऑक्सीडेंट का एक शक्तिशाली स्रोत है। रक्त प्रवाह को बेहतर ढंग से करते हुए रक्तचाप को कम करने और हृदय रोग के खतरे को कम करने में भी ये काफी मददगार है।
कुछ मीठा हो जाए
गौरतलब है कि 10 में से 9 लोगों को चॉकलेट का स्वाद बहुत भाता है। उसे खाने की वजह लोगों के पास भले ही अलग-अलग हो लेकिन उद्देश्य एक होता है, और वो है स्वाद के साथ फायदा। तो आइए हम भी आपको इसका एक फायदा देते हैं और आपके साथ सीखते हैं हर दिल अजीज चॉकलेट रेसिपी, जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं।
चॉकलेट रेसिपी
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सामग्री
चॉकलेट कंपाउंड : आधा डार्क वाला
चॉकलेट कंपाउंड : आधा मिल्क वाला
सफेद चॉकलेट कंपाउंड : एक चौथाई
सिलिकॉन मोल्ड : चॉकलेट बनाने के लिए
काजू, बादाम, पिस्ता अखरोट : सजाने के लिए
बनाने की विधि
सबसे पहले सूखे मेवों को पैन में भूनकर, उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके एक तरफ रख लें। उसके बाद चॉकलेट को कद्दूकस या बारीक-बारीक काट लें। डबल बॉयलर का प्रयोग करते हुए चॉकलेट को पिघला लें। डबल बॉयलर के लिए एक पैन में थोड़ा सा पानी उबलने के लिए रख दें। उबाल आने पर उसके ऊपर एक और बर्तन या कांच का कोई बाउल लेकर उसमें चॉकलेट कंपाउंड डाल लें। उबलते पानी की गरमाहट से जब चॉकलेट पिघलने लगे, तो उसे लगातार चलाते हुए अच्छी तरह चॉकलेट पिघल जाने दें। चॉकलेट को चलाते समय ध्यान रखें कि स्टीम या उबलते पानी का छींटा चॉकलेट में न गिरे। अगर आप माइक्रोवेव का इस्तेमाल कर रही हैं, तो ध्यान रहे कि चॉकलेट को 30 सेकंड से ज्यादा गर्म न करें। हां अगर आपको लगे कि आपकी चॉकलेट ठीक से नहीं पिघली है, तो आप और 30 सेकंड के लिए उसे माइक्रोवेव कर सकती हैं। वैसे डार्क चॉकलेट के मुकाबले व्हाइट चॉकलेट जल्दी पिघलती है, तो गर्म करते वक्त इस बात का भी ख्याल रखें। फिर पिघले चॉकलेट को मोल्ड में डालकर इच्छानुसार चॉकलेट बना लीजिए। अगर आप चाहें तो सभी भुने-कटे मेवों को चॉकलेट में मिलाकर उससे चॉकलेट बना सकती हैं या फिर मोल्ड में परत-दर-परत चॉकलेट और भुने-कटे मेवों से एक लेयर्ड चॉकलेट बना सकती हैं। इसके अलावा, आप चाहें तो तीनों चॉकलेट कंपाउंड से या तो अलग-अलग या किसी दो कंपाउंड को मिलाकर एक चॉकलेट बना सकती हैं। इनमें से किसी एक चॉकलेट कंपाउंड का उपयोग आप अपनी इच्छानुसार डिजाइन बनाने के लिए भी कर सकती हैं। चॉकलेट को मोल्ड में डालने के बाद उसे सेट होने के लिए, 10 मिनट के लिए फ्रीजर में रख दें। ध्यान रखिए कि चॉकलेट मोल्ड में अच्छी तरह सेट चॉकलेट ही आसानी से निकलेगी इसलिए चॉकलेट मोल्ड में चॉकलेट की परत का खास ख्याल रखें। अगर परत मोटी होगी तो उसे सेट होने में काफी वक्त लगेगा। मोल्ड में डालने के बाद उसको फ्रीजर में 10 मिनट के लिए सेट होने के लिए रख दे। फिर मोल्ड से चॉकलेट आसानी से निकल आती है।