11 दिनों के लिए मेहमान बनकर आनेवाले गणपति को लेकर आप भी काफी उत्साहित हैं और उन्हें उनके प्रिय व्यंजन परोसना चाहती हैं, तो आइए जानते हैं गणपति के प्रिय इन व्यंजनों के साथ उसके इतिहास के बारे में।
इन व्यंजनों के शौकीन गणपति
यह बात सभी जानते हैं कि मीठे के शौकीन गणपति जब घर आते हैं, तो सभी उनके पसंद का ख्याल रखते हुए अपने प्रांत के खान-पान, अपनी पसंद और अपनी संस्कृति अनुसार कुछ खास खिलाने को लालायित रहते हैं। हालांकि गणपति के पसंदीदा व्यंजनों की बात करें, तो उन्हें मोदक, मोतीचूर के लड्डू, खीर, मालपुआ, केला, नारियल और गुड़ के साथ दूब (एक प्रकार की हरी घास) बहुत प्रिय है।
मालपुआ
मैदे या चावल के आटे को दूध में घोलकर गुड़ या शक्कर के साथ बनाई जानेवाली मालपुआ, उत्तर प्रदेश और बिहार का खास पकवान है, जो गणपति को काफी प्रिय है। तमिलनाड़ु में इस व्यंजन को अधिरसम के नाम से भी जाना जाता है, जिसे चावल के आटे से बनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में इसे पके केले और नारियल को पीसकर आटे और दूध में मिलाकर बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मालपुआ सिर्फ गणपति को ही नहीं उनके पिता शिव को भी बहुत प्रिय है।
खीर
मखाने की खीर, चावल की खीर या सेवइयों की खीर को गणपति के 11 दिन के आतिथ्य के दौरान दसवें दिन खिलाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि शुरुआत में काफी मीठा खिलाने के बाद कुछ हल्का देने के लिए उन्हें खीर खिलाई जाती है।
नारियल
समृद्धि, संपत्ति और पवित्रता का प्रतीक नारियल गणपति को अधिक प्रिय है। एक कहानी के अनुसार एक बूढ़ी औरत ने अपने अभाव के कारण गणपति को ढ़ेर सारे व्यंजनों की बजाय सिर्फ नारियल भेंट किया था। उसे डर था कि शायद गणपति उसके इस भेंट को न स्वीकारें, लेकिन वो ये देखकर हैरान रह गई जब गणपति के पैरों में नारियल रखते ही नारियल के दो टुकड़े हो गए और उनमें से सोने के सिक्के निकलने लगे। तब से गणपति को नारियल भेंट करने की प्रथा चल पड़ी।
दूब घास
जमीन पर आसानी से पाई जानेवाली दूब घास, जिसे दुर्वा भी कहते हैं, गणपति को उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष प्रिय हैं। ऐसा माना जाता है कि खाने के शौकीन गणपति ने एक बार इतना खा लिया कि उनके पेट में जोरों से दर्द होने लगा। ये देखकर ऋषियों के परामर्श पर माता पार्वती ने उन्हें दूब की 21 पत्तियां खिलाई। इसे खाते ही गणपति को तुरंत आराम मिल गया, तब से लोग गणपति को जी भरकर व्यंजन परोसने के साथ दूब घास भी चढ़ाने लगे।
मोदक
जैसा कि ये बात सभी जानते हैं कि मोदक, गणपति को अति प्रिय है। अलग-अलग प्रांतों में इसे अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है, लेकिन इन सबमें महाराष्ट्र में बनाया जानेवाला पारंपरिक उकड़िचे मोदक (भाप से बने मोदक) काफी प्रसिद्ध है। इस मोदक को विशेष रूप से चावल के आटे में स्वादिष्ट गुड़ और नारियल का मिश्रण भरकर भाप से बनाया जाता है। कहीं-कहीं इसे भाप से पकाने की बजाय फ्राई भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गणपति को उनकी नानी मैनावती बड़े प्रेम से मोदक खिलाया करती थीं। जब वे अपने घर आए तो उनकी पसंद को देखते हुए माता पार्वती भी उन्हें वही खिलाने लगी। इस तरह माता मैनावती और माता पार्वती का अनुसरण करते हुए सभी गणपति की पसंद ख्याल रखते हुए उन्हें मोदक खिलाते हैं।
मोदक बनाने की विधि
सामग्री:
1 कप चावल का आटा
1 कप पानी
1 चम्मच घी
1 चुटकी नमक
भरावन की सामग्री:
1 कप कद्दूकस किया ताजा नारियल
1 कप कद्दूकस किया गुड़
1 चम्मच इलायची पाउडर
2 चम्मच बारीक कटे ड्रायफ्रूट (काजू, बादाम)
चावल के आटे की विधि:
1 पैन में 1 कप पानी उबालकर उसमें नमक और घी मिला लें। अब इसमें धीरे-धीरे चावल का आटा मिलाते हुए लगातार चलाते रहें, जिससे इसमें गांठे न पड़ जाएं। अब धीमी आंच करके 2 से 3 मिनट के लिए इसे ढंककर रख दें। उसके बाद हल्का ठंडा होते ही आटे को चिकना गूंथ लें।
भरावन की विधि:
एक पैन लेकर उसमें आधा चम्मच घी डालकर पहले नारियल को हल्का भून लें। उसके सबाद उसमें गुड़ के साथ काटकर रखे गए ड्रायफ्रूट और इलायची पावडर मिलाकर एक सूखा भरावन बना लें। ध्यान रखें कि इसे पकाते वक्त गुड़ न जले, वरना उसकी महक से मोदक का स्वाद बिगड़ जाएगा।
अब एक तरफ गूंथकर रखे गए चावल के आटे की छोटी छोटी लोइयां बनाकर उन्हें बेल लें। इन छोटी छोटी पुरियों में नारियल-गुड़ का भरावन भरकर मोदक के सांचे से मोदक बना लें। जब सभी मोदक बन जाएं तो इन्हें एक बर्तन में रखकर 10 से 15 मिनट तक भाप में पकाएं और घी के साथ सर्व करते हुए गरमागरम गणपति को खिलाएं।
मोतीचूर के लड्डू
मोदक के साथ गणपति को लड्डू भी बेहद पसंद हैं। अगर ये कहें तो गलत नहीं होगा कि उनकी थाली लड्डुओं के बिना अधूरी है। हालांकि उनके इस लड्डू प्रेम के पीछे एक कहानी छिपी है। दरअसल विष्णु के छठें अवतार परशुराम से युद्ध के दौरान गणपति का एक दांत टूट गया, जिससे उन्हें खाने-पीने में बेहद दर्द होने लगा। ऐसे में उनके खाने का ध्यान रखते हुए माता पार्वती उन्हें शुद्ध घी से बने मोतीचूर के नरम लड्डू खिलाने लगी। तब से गणपति के आतिथ्य में लड्डुओं की प्रथा शुरू हो गई। इन लड्डुओं में कहीं मोतीचूर, कहीं बेसन तो कहीं बूंदी के लड्डू खिलाने की प्रथा है। दक्षिण भारत में चावल के लड्डू, महाराष्ट्र में बूंदी के लड्डू, गुजरात में बेसन या बाजरे के आटे में देशी घी और शक्कर मिलाकर बनाए गए लड्डू और उत्तर प्रदेश-बिहार में धान के लावे से, गुड़ और लाई (कुरमुरा) से, बेसन से और चने के सत्तू से लड्डू बनाए जाते हैं।
मोतीचूर लड्डू बनाने की विधि
बूंदी की सामग्री:
2 कप बेसन
2 चम्मच बारीक रवा या सूजी
एक चौथाई चम्मच केसर फूड कलर
डेढ़ कप पानी
तलने के लिए तेल
चाशनी की सामग्री:
1 कप चीनी या शक्कर
आधा चम्मच केसर फूड कलर
आधा कप पानी
एक चौथाई चम्मच इलायची पाउडर
आधा चम्मच नींबू का रस
3 चम्मच कटे ड्रायफ्रूट (काजू, बादाम और पिस्ता)
बूंदी बनाने की विधि:
सबसे पहले एक बड़े से बर्तन में 2 कप बेसन और 2 चम्मच बारीक रवा ले लें। यदि आप कोर्स बेसन का इस्तेमाल कर रही हैं, तो रवा का इस्तेमाल न करें। अब इन सामग्रियों में एक चौथाई चम्मच केसर फूड कलर डालकर इसमें डेढ़ कप पानी मिलाकर एक चिकना बैटर तैयार कर लें। ध्यान रहे इसमें कोई गांठ न हों। अब छेदवाली करछी या वेजिटेबल ग्रेटर को गर्म तेल से भरे पैन के ऊपर इस तरह पकड़ें कि बैटर डालते वक्त वो पैन में गिरे, लेकिन आपके हाथ पर तेल के छींटे न गिरें। अब एक बर्तन से उस बैटर को करछी के चारो तरफ घुमाते हुए बारीक बूंदी बना लें। जब वे कुरकुरे हो जाएं तो उन्हें तुरंत बाहर निकालकर एक बर्तन में अलग से रख लें। इस तरह पूरी बूंदी बन जाए, तब चाशनी की तैयारी कर लें।
चाशनी बनाने की विधि:
एक मोटे तलेवाले पैन में 1 कप चीनी, आधा चम्मच केसर फूड कलर और आधा कप पानी मिला लें। अब सभी को लगभग चार मिनट तक उबालें। जब चाशनी थोड़ी गाढ़ी हो जाए तो उसे अपनी एक उंगली और अंगूठे के बीच लेकर तार बनाने की कोशिश करें। एक तार की चाशनी बनते ही इसमें एक चौथाई चम्मच इलायची पाउडर और आधा चम्मच नींबू का रस मिला लें। अब इस गर्म चाशनी में छानकर एक तरफ रखी बूंदी को अच्छी तरह मिला लें। अब इन सभी को 2 से 3 मिनट तक चाशनी गाढ़ी होने तक पकाएं और चाशनी गाढ़ी होते ही गैस बंद कर 10 मिनट के लिए ढंककर अलग रख दें। दस मिनट बाद जब पूरी चाशनी, बूंदी में एब्जॉर्ब हो जाए तो उसमें कटे ड्रायफ्रूट मिलाकर लड्डू बना लें। अगर आपको लग रहा है कि लड्डू थोड़े सख्त बन रहे हैं, तो इसमें थोड़ा दूध मिला लें।