देवी दुर्गा की हर तरफ पूजा हो रही है और सभी उनकी भक्ति में लीन हैं, ऐसे में मां को अष्टमी और नवमी के दिन विशेष रूप से भोग चढ़ाई जाती है, उत्तर भारत से लेकर पश्चिम बंगाल तक में इस दिन विशेष रूप से भोग बनाया जाता है, आइए जानें विस्तार से।
हलवा पुरी
उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक में हलवा पुरी खिलाई जाती है। सूजी को घी में डाल कर अच्छे से तैयार भून कर, उसमें चीनी और मेवे मिला कर प्रसाद के रूप में सूजी का हलवा बनाया जाता है, साथ ही आटे की मोईन वाली पूरियां तैयार की जाती हैं और फिर इसे घी में तल कर, मां को अर्पित किया जाता है। अष्टमी या नवमी को मां को अर्पित करने के बाद, देवी दुर्गा की रूप मानी जाने वाली छोटी कन्याओं को खिलाने के बाद, इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है।
चना
काला चना हमेशा ही खाने में अच्छा लगता है और यह हेल्दी के साथ टेस्टी भी होता है, लेकिन दुर्गा पूजा के दौरान इसे खासतौर से बनाया जाता है, इसे एक रात पहले भिगो कर रख देते हैं, फिर इसे एक बार सीटी लगा कर कूकर में उबाल लेते हैं और फिर इसे जीरे के छौंक के साथ घी में भून कर, उसमें सेंधा नमक डाल कर तैयार करते हैं, हलवा पुरी के साथ बड़े ही चाव से यह चना खाया जाता है।
खीर
देवी दुर्गा को खीर भी अति प्रिय है, खासतौर से कालरात्रि देवी के स्वरूप को इसे खासतौर से अर्पण किया जाता है। चावल या सांवा के चावल की खीर, ढेर सारे ड्राई फ्रूट्स के साथ खूब अच्छे लगते हैं। खीर का स्वाद काफी टेस्टी होती है और इसे दूध के साथ बनाया जाता है।
मालपुआ
मैदे, आटा, चीनी, केला, इलायची कूटी हुई और थोड़े मेवे के घोल को तैयार करके मालपुआ बनाई जाती है और यह मीठे पकवान देवी मां को अर्पित किया जाता है, देवी मां इसका भोग काफी पसंद करती हैं, इसलिए 9 दिन दुर्गा पूजा में भक्त इसे प्रसाद के रूप में देवी मां को चढ़ाते ही हैं।
खिचड़ी
पश्चिम बंगाल में खिचड़ी, मां को भोग के रूप में अर्पित करने की परम्परा रही है, ढेर सारी सब्जियों के साथ, दाल मिला कर, नैवैद्य रूप से चावल से बनाई गई खिचड़ी का भोग मां को अर्पित किया जाता है और मां बड़ी ही ख़ुशी से अपने भक्तों के इस प्यार को स्वीकारती है, खिचड़ी के साथ कई जगहों पर बेगुन भाजा और सब्जी भी चढ़ाई जाती है।
इसके अलावा, नौ दिन मां को नारियल, शहद, केला, खीर, पुए, मिश्री, दूध और आटे से बने भोग चढ़ाये जाते हैं।