'कृष्ण के जन्म का अवसर', जिसे जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। यह एक वार्षिक हिंदू त्योहार है, जो विष्णु के आठवें अवतार कृष्ण के जन्म का जश्न मनाता है। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, यह भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि (अष्टमी) को मनाया जाता है।
यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है, खासकर हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा में। भागवत पुराण (जैसे रास लीला या कृष्ण लीला) के अनुसार कृष्ण के जीवन के नृत्य-नाटक, कृष्ण के जन्म के समय मध्य रात्रि में भक्ति गायन, उपवास, एक रात्रि जागरण, ये सभी जन्माष्टमी समारोह का हिस्सा हैं। यह त्योहार विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में भव्य तरीके से मनाया जाता है। इसके अलावा इस त्योहार का जश्न मणिपुर, असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु जैसे शहरों में भी देखा जाता है।
हर त्योहार की तरह कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भी भारतीय घरों में तरह-तरह की मिठाइयां बनती हैं। इन मिठाइयों को बनाते हुए इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि ये मिठाइयां भगवान कृष्ण को बेहद पसंद आए। अब यह तो सभी जानते हैं कि कान्हा जी को दूध से बनी मिठाइयां बहुत पसंद थी। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं उन खास मिठाइयों की रेसिपीज।
माखन मिश्री
कहते हैं नन्हें कान्हा को सफेद मक्खन बहुत पसंद था। वह अपने घर पर मक्खन के मटके से खूब सारा मक्खन चट कर जाते थे और इसी वजह से उनकी मां यशोदा मक्खन से लदे मटके ऊंचाइयों पर रस्सी की सहायता से बांध दिया करती थीं और नन्हे कृष्ण कभी पत्थर से मटकी फोड़ कर तो कभी अपनी चालाकी का इस्तेमाल करके मक्खन को अपने आप तक ले ही आते थे। इस जन्माष्टमी अगर आप, उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाना चाहती हैं, तो आपको बस थोड़ा मक्खन और स्वाद के अनुसार शक्कर चाहिए होगी। बस दोनों को मिलाकर बना लीजिए माखन मिश्री और प्रसाद के रूप में सबके साथ बांटिए।
मखाना पाक
मखाने का सेवन अक्सर लोग व्रत में करते है। कभी इसे घी में रोस्ट करके तो कभी इसकी खीर बनाकर। लेकिन कृष्ण कन्हैया को पसंद था मखाना पाक, ऐसी मान्यता है कि यशोदा मैया घी में सेंक कर बनाया करती थी, और इसमें डालती थीं सूखा कद्दूकस किया हुआ नारियल। इसमें थोड़ी शक्कर मिलाकर वो इसमें अपना मीठा-मीठा प्यार भी मिला देती थीं। तो, इस बार आप भी बनें यशोदा मैया बनाइए अपने कृष्ण के लिए मखाना पाक।
धनिया पंजीरी
धनिया पंजीरी को लोग अक्सर सर्दियों में भी बनाते हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर यह पंजीरी पंजाब और उत्तर प्रदेश में खास तौर पर बनाई जाती है। इसे अक्सर छप्पन भोग में भी शामिल किया जाता है। धनिया के दानों को पीस कर इसमें भूरा (पिसी हुई शक्कर) को मिलाया जाता है। कृष्ण जी का स्वाद ध्यान में रखते हुए इसमें बारीक कटे पिस्ते, काजू और बादाम भी डाला जाता है। थोड़ा सा देसी घी डालने पर इसका स्वाद और भी ज्यादा टेस्टी हो जाता है।
चरणामृत
चरणामृत को कुछ लोग पंचामृत भी कहते हैं। इसमें 5 सामग्री मिलाई जाती है - दूध, दही, केसर, घी और शहद। इस मिश्रण का उपयोग भगवान कृष्ण की मूर्ति के चरणों को स्नान करने के लिए किया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है।
खीर
चूंकि कृष्ण को दूध से बेहद लगाव था, इसलिए उनके भोग में खीर का एक प्याला भी होता है। गर्म दूध की कड़ाही में शक्कर और चावल मिलाने भर से ही खीर तैयार हो जाती है। लेकिन इसे और भी स्वादिष्ट बनाया जाता है। इसमें काजू, किशमिश, पिस्ता और केसर डालकर।
तो, इस जन्माष्टमी आप कान्हा के लिए क्या बना रही हैं? वैसे, माखन मिश्री, खीर या पंजीरी?