हम सभी रोज़ ग्लूटेन का सेवन करते हैं, लेकिन इन दिनों ग्लूटेन-फ्री डायट का काफ़ी चलन है. हम अक्सर इसके बारे में पढ़ते और सुनते रहते हैं. अब तो कई प्रोडक्ट्स भी ग्लूटेन-फ्री कहकर अपना प्रचार करते हैं और लोग भी उनकी तरफ़ अट्रैक्ट होते हैं. लेकिन फिर भी हम में से कम लोग ही जानते हैं कि आख़िर ग्लूटेन-फ्री डायट क्या होती है, इसके हेल्थ बेनिफिट्स क्या होते हैं और किन लोगों के लिए ज़रूरी है ग्लूटेन-फ्री डायट? इस बारे में हमें विस्तार से जानकारी दे रहे हैं डॉ. निशीथ चंद्रा.
क्या होता है ग्लूटेन?
ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो गेहूं, जौ व राई में पाया जाता है और हमारे देश में ज़्यादातर गेहूं का सेवन किया जाता है, इसीलिए हम सभी या हम में से अधिकांश लोग रोज़ ही ग्लूटेन का सेवन करते हैं. इसमें ग्लू की तरह बाइंडिंग प्रॉपर्टी होती है और इसीलिए इसका नाम ग्लूटेन पड़ा.
किन लोगों को ग्लूटेन-फ्री डायट फ़ॉलो करनी चाहिए?
ग्लूटेन भले ही एक प्रोटीन है और इसमें पोषण भी है, लेकिन कई लोगों को ग्लूटेन से एलर्जी होती है. ऐसे लोगों को ग्लूटेन इंटोलेरेंस या ग्लूटेन सेंसिटिविटी के कारण कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती है. इन लोगों को ग्लूटेन पचता नहीं है और इस वजह से उनको पोषण नहीं मिल पाता. इनको ग्लूटेन युक्त भोजन खाने के बाद पाचन संबंधी समस्या से लेकर, चकत्ते, जी मिचलाना, सांस लेने में दिक्कत, एलर्जी आदि हो सकती है. ये लक्षण हल्के से लेकर गंभीर भी हो सकते हैं. कुछ लोगों को समय के साथ आगे चलकर ग्लूटेन से समस्या हो सकती है.
इसके अलावा सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों को भी ग्लूटेन-फ्री डायट की सलाह दी जाती है क्योंकि इन्हें ग्लूटेन के सेवन आंतों को स्थाई रूप से नुकसान पहुंच सकता है. ऐसे लोगों को ग्लूटेन के सेवन से पेट दर्द, गैस, पेट फूलना, थकान और दस्त जैसी समस्या हो सकती है. साथ ही भोजन से पोषण शरीर को न मिलने से कुपोषण की समस्या भी हो सकती है.
ग्लूटेन-फ्री फ़ूड कौन से हैं?
फल और सब्ज़ियां: सारी ताज़ा और फ़्रोज़न फल व सब्ज़ियां ग्लूटेन-फ्री होती हैं.
चावल/ब्राउन राइस: चावल भी ग्लूटेन-फ्री होता है लेकिन चावल में भी ब्राउन राइस हेल्दी ऑप्शन है.
डेयरी प्रोडक्ट्स: दूध, दही और पनीर में प्रोटीन भी होता है, ज़रूरी पोषण तत्व भी और वो ग्लूटेन-फ्री भी होते हैं. हां, लेकिन पैक्ड आइटम्स में हो सकता है फ़्लेवर के कारण ग्लूटेन मिक्स किया जाता हो, तो बेहतर होगा कि लेबल चेक करके ही लें.
क्विनवा: ये भी एक प्रकार का अनाज है और इन दिनों भारत में भी काफ़ी पॉपुलर हो रहा है. ये बेहद हेल्दी होता है. इसमें विटामिन ई, अमीनो एसिड और एंटी-ऑक्सीडेंट की भरमार होती है.
कॉर्न: इसमें भी काफी पोषक तत्व, एंटी-ऑक्सीडेंट और फाइबर भी होता है.
ओट्स: वैसे तो यह काफ़ी हेल्दी है, लेकिन सीलिएक रोग से पीड़ित कुछ लोगों को इससे भी समस्या हो सकती है, क्योंकि इसमें एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जिसके प्रति वो संवेदनशील हो सकते हैं. लेकिन हां, ज़्यादातर लोगों के लिए ये बेस्ट ग्लूटेन-फ्री ऑप्शन है.
ये भी ग्लूटेन-फ्री हैं…
सभी तरह के नट्स और सीड्स.
बाजरा, टोफ़ू, अंडा.
आलू, आलू का आटा, बादाम का आटा, सोया आटा.
सभी तरह के मसाले, मक्खन, तेल.
ग्लूटेन-फ्री खाने के फायदे
वज़न कम करने में सहायक: ग्लूटेन से वज़न बढ़ता है, इसलिए ग्लूटेन-फ्री भोजन वेट लॉस में काफ़ी मदद करता है.
सीलिएक रोग से ग्रसित लोगों की सूजन कम करने में मदद मिलती है:
इसके अलावा, उनके जोड़ों की समस्या भी कम होने लगती है.
एनर्जी लेवल बढ़ाने में मददगार: ग्लूटेन सेंसिटिव लोगों में पोषक तत्व शरीर में एब्ज़ॉर्ब नहीं होते, इसलिए वे थका हुआ और लो एनर्जी महसूस करते हैं. लेकिन ग्लूटेन-फ्री डायट, उनके ऊर्जा के स्तर को बढ़ाकर हेल्दी फ़ील कराती है.
पाचन तंत्र बेहतर होता है: ग्लूटेन से लोगों को पेट फूलना, अपच, गैस आदि की समस्या होती है, लेकिन इसे रिप्लेस करते ही, उनकी ये समस्याएं अपने आप ख़त्म हो जाती हैं.
स्किन कंडीशन बेहतर होती है: ग्लूटेन सेंसिटिव लोगों को कई तरह की एलर्जी और स्किन प्रॉब्लम्स होती है, जो ग्लूटेन-फ्री डायट से ठीक हो जाती है.
ग्लूटेन-फ्री डायट के नुक़सान भी होते हैं क्या?
जी हां, क्योंकि ग्लूटेन युक्त पदार्थों में भी काफ़ी पोषक तत्व होते हैं, जिनसे उन लोगों को वंचित रहना पड़ता है, जो ग्लूटेन-फ्री डायट फॉलो करते हैं. इसके अलावा उम्र भर ग्लूटेन-फ्री डायट फॉलो करना भी काफ़ी मुश्किल है. आपको काफी सतर्कता के साथ इसको फॉलो करना पड़ता है.