पुराने जमाने से ही खिचड़ी हमारे आहार का अहम हिस्सा रही है। बहुत ही कम सामग्री से झटपट बनने वाली खिचड़ी ने अक्सर हमारी भूख मिटाई है और जब हम बीमार थे तो इसी ने तो हमें आराम दिया है। चावल के साथ दाल के कॉम्बिनेशन के कारण यह प्रोटीन से भरा एक पौष्टिक भोजन भी है। स्वास्थ्य लाभों के अलावा खिचड़ी का अलग-अलग स्वाद भी है। यह आपके द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री के आधार पर रंग, बनावट और स्वाद बदलता है। क्या आप जानते हैं कि भारत में एक राज्य से दूसरे राज्य में खिचड़ी का रूप और स्वाद काफी बदला हुआ है? यहां जानिए खिचड़ी की 5 टेस्टी वेरायटी।
तमिलनाडु की पोंगल
तमिलनाडु की यह खिचड़ी आमतौर पर फसल के मौसम के उत्सव के दौरान बनाई जाती है। पोंगल को दाल, चावल और ढेर सारे शुद्ध घी से बनाया जाता है। यह मसालेदार और मीठे दोनों तरीकों से बनाई जाती है। मीठा या चक्कर पोंगल में भुने हुए सूखे मेवों का भी मिश्रण होता है और पूजा के दौरान देवताओं को चढ़ाया जाता है। दूसरी ओर, नमकीन या मेलांगु पोंगल थोड़ा मसालेदार होता है, जिसमें काली मिर्च पाउडर डाला जाता है।
राजस्थानी बाजरा खिचड़ी
राजस्थानी खिचड़ी सबसे अलग है, क्योंकि इसमें चावल का उपयोग नहीं किया जाता है। इसमें चावल की जगह ज्वार या बाजरे का इस्तेमाल किया जाता है। इसे आमतौर पर दही, लहसून की चटनी या अचार के साथ परोसा जाता है। बाजरे की खिचड़ी में खूब सारा देसी घी भी डाला जाता है और फिर इसे अच्छे से मथ कर परोसा जाता है।
आंध्र प्रदेश की कीमा खिचड़ी
यह एकमात्र मांसाहारी खिचड़ी है। इस कीमा खिचड़ी को बनाने का श्रेय हैदराबाद के निजाम को जाता है। इसका स्वाद हैदराबादी बिरयानी के समान होता है, हालांकि इसे अलग तरह से पकाया जाता है। इस खिचड़ी में मुख्य सामग्री चावल, दाल और पिसा हुआ मांस होता है। 'खट्टा', इसके साथ सर्व किया जानेवाला एक खट्टा साइड डिश है जो कुछ हद तक सालन के समान है।
बिहारी खिचड़ी
बिहार में कई लोग हर शनिवार को खिचड़ी पकाते हैं। मकर संक्रांति के दौरान बिहारी खिचड़ी को और भी अधिक लोकप्रियता मिलती है। इसे पूजा में प्रसाद के रूप में भी चढ़ाया जाता है। चावल, अदरक, मिर्च, मूंग की दाल, उड़द की दाल और हींग और घी के तड़के से बने इस बिहारी खिचड़ी का स्वाद लाजवाब होता है। मैश किए हुए आलू, सरसों के तेल, मिर्च, कच्चे प्याज, पापड़ और आचार के साथ बैंगन मिलाकर बनाई जाने वाली डिश चोखा के साथ बिहारी खिचड़ी को परोसा जाता है।
गुजराती खिचड़ी
सुल्तान अहमद शाह, जिन्होंने अहमदाबाद की खोज की थी, उनके बारे में कहा जाता है कि वे इस खिचड़ी के इतने शौकीन थे कि वह इसे रोज खाते थे। यह व्यंजन इतना प्रचलित है कि यह विभिन्न रूपों में आता है जैसे सब्जियों के साथ या सब्जियों के और कई बार इसमें सब्जियों के साथ-साथ गुड़ भी डाला जाता है, जिससे इसका स्वाद खट्टा-मीठा हो जाता है। गुजरती खिचड़ी को हमेशा मीठी गुजराती कढ़ी के साथ परोसा जाता है।
पश्चिम बंगाल की खिचड़ी
पश्चिम बंगाल की खिचड़ी मुख्य रूप से काली मां को चढ़ाई जाती है। इसमें चावल, मूंग दाल, आलू बड़े टुकड़ों में कटा हुआ, पत्तागोभी, फूल गोभी, मटर के दाने, टमाटर अदरक, हरी मिर्च और बाकी गर्म मसाले पड़ते हैं। इन्हें मिट्टी बर्तन में बनाया जाता है और देवी मां को भोग लगाया जाता है।