जिस तरह ‘जल ही जीवन है’, ठीक इसी तरह नमक संपूर्ण है। यही वजह है कि स्वाद की दुनिया में नमक की कीमत सोने के समान है। किसी भी तरह के खाने में मौजूद तेल, मसालों और बाकी की सामग्री को एकत्रित करके स्वाद के मंच पर प्रस्तुत करने का उम्दा कार्य केवल नमक ही कर सकता है। इसी वजह से नमक को बेहतरीन कुदरती संरक्षक भी पुकारा जाता है। कई सालों से हम अपने घर के कीचन में भरे हुए डिब्बे के साथ नमक की अहमियत देखते आए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुटकी भर नमक आपके खाने की थाली में पहुंचाने के लिए कैसे हजारों मजदूर नमक के बीच में रहकर ही अपनी जिंदगी के पूरे साल गुजार देते हैं। नमक की खूबी केवल खान-पान या फिर इसके निर्माण तक नहीं है, बल्कि हमारे हिंदी के मुहावरे में भी नमक की महिमा को समझाया गया है, तो आइए चलिए विस्तार से जानते हैं स्वादुनसार नमक का इतिहास।
पहले वेतन नहीं मेहनत करने पर मिलता था नमक
आपने एक पुरानी कहावत नमक का कर्ज चुकाना है, कई बार इस मुहावरे को सुना होगा। लेकिन क्या आप जानती हैं कि इसकी शुरुआत कहां से हुई थी। दरअसल, प्राचीन रोम में पहले पैसे का इस्तेमाल नमक के तौर पर किया जाता था। उस समय जो भी सैनिक रोमन साम्राज्य के लिए काम करते थे, उन्हें मेहनताना के तौर पर पैसे की जगह नमक दिया जाता था। इसका जिक्र लोकप्रिय रोमन इतिहासकार Pliny the Elder ने भी किया है।उनका कहना था कि रोमन साम्राज्य में सैनिकों को वेतन में नमक मिलता था और रोमन में नमक को सैलेरियम कहते हैं और यही से सैलरी शब्द बना है।
नमक के एक नहीं 12 प्रकार
यह हैरानी की ही बात है कि नमक के एक या दो नहीं बल्कि पूरे 12 प्रकार हैं। सबसे पहले बारी आती है टेबल सॉल्ट की, जिसे जमीन के नीचे पाए जाने वाले लवणीय तत्वों( सैलिन एलिमेंट्स) से बनाया जाता है। वही कोशेर नमक बड़े दानों के साथ अपनी मौजूदगी दिखाता है। समुद्री नमक की बारी अगली आती है, जो कि समुद्र के जल को सुखाकर बनाया जाता है। सेंधा नमक यानी कि पिंक सॉल्ट से हम सभी अवगत हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि नमक के इतिहास में इसे सबसे साफ नमक माना गया है। देश के बाहर सेल्टीक सी सॉल्ट ने अपनी पहचान विदेश में बनाई है, इसे फ्रांस के समुद्र तट पर स्थित ज्वार भाटे से भरने वाले तालाबों से निकाला जाता है। फिर बारी आती है, नमक के फूल यानी कि फ्लिउर दे सेल की, जो कि फ्रांस में बनाया जाता है। इसके बाद नमक के प्रकार की एक लंबी फेहरिस्त है, जिसमें काला नमक, फ्लेक सॉल्ट, ब्लैक हवाईयन सॉल्ट, रेड हवाईयन सॉल्ट, स्मोक्ड सॉल्ट, पिकलिंग स्लॅाट का नाम शामिल है।
300 साल पहले ऐसे हुई नमक की खोज
जुबान पर स्वाद लाने वाले नमक की खोज चीनियों ने की थी, जो कि दवाई बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता था। वह भी लगभग 2700 ईसा पूर्व। यह भी माना जाता है कि 300 साल पहले सिंघ और पश्चिमी पंजाब की पहाड़ियों से नमक निकाला जाता था। भारत में नमक के आने का समय 1782 बताया जाता है। जानकारी के अनुसार ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल में नमक बनाने की जिम्मेदारी उठाई थी। उस वक्त किसी अन्य कंपनी को नमक बनाने का अधिकार नहीं मिला था। हालांकि भारत की आजादी के बाद से देश के औद्योगिक विकास के लिए नमक का उत्पादन शुरू किया गया और मद्रास, गुजरात और राजस्थान के नमकीन पानी के कुओं से भी नमक की पैदावार होने लगी थी। बाकी के नमक के उत्पादन से अलग सेंधा नमक ही ऐसा ही जो केवल हिमाचल प्रदेश की मंडी में निर्माण किया जाता है।
जानिए नमक मजदूर की कहानी
चुटकी भर नमक खाने का स्वाद को परिपूर्ण कर देता है, लेकिन क्या आप जानती हैं नमक के मजदूरों के बारे में। गुजरात में नमक बनाने वाले किसानों को ‘अगरिया’ पुकारा जाता है। इनकी संख्या 50 हजार से अधिक है, जो कि नमक की खेती वाली जगहों पर ही घर बनाकर मजदूरी का काम करते हैं। गुजरात के जोगणीनार और गांधीधाम जैसी जगहों पर नमक बनाया जाता है। यही पर रहकर वह नमक की मजदूरी करते हैं।
नमक के बारे में वे बातें, जिनसे आप हैं अनजान
भारत में बनने वाला कुल नमक का 70 प्रतिशत समुद्र के पानी से निकाला जाता है। यह भी जान लें कि देश में गुजरात और तमिलनाडु के अलावा नमक आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गोवा और दमन में भी नमक का उत्पादन होता है। उल्लेखनीय है कि आजादी से पहले भारत में नमक की कमी थी, देश में नमक का आयात किया जाता था। हैरानी की बात है कि भारत में केवल 35 प्रतिशत नमक का इस्तेमाल भोजन के लिए किया जाता है। वही वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र में मौजूद नमक कभी भी समाप्त नहीं होगा।
नमक का सबसे ज्यादा उत्पादन
नमक से जुड़ी यह भी अहम जानकारी है कि गुजरात में देश का 76 प्रतिशत नमक बनता है। पूरे विश्व में देखा जाए तो चीन और अमेरिका के बाद भारत में नमक का उत्पादन सबसे अधिक होता है। साल 2021-22 में देश में 227.65 लाख टन के नमक का उत्पादन किया गया है। गुजरात में 85 प्रतिशत नमक का उत्पादन और बाकी के नमक को तमिलनाडु में बनाया जाता है। अन्य जानकारी अनुसार कई लाख टन नमक को विदेशों में निर्यात के लिए हर साल भेजा जाता है। नमक के उत्पादन पर गौर करें तो 70 प्रतिशत नमक समुद्र के पानी से, 25 प्रतिशत नमक कुओं के खारे पानी से, पांच प्रतिशत झीलों से और कुछ प्रतिशत खानों से निर्माण किया जाता है।
नमक पर मुहावरें
नमक केवल खाने की कोई वस्तु नहीं है, बल्कि किसी भी प्रकार के खाने का जीवन है। ठीक इसी तरह नमक को मुहावरों में ढाल कर मानव जीवन से भी जोड़ा गया है। यही वजह है कि कई सारे हिंदी के लोकप्रिय और तेज-तर्रार मुहावरे ऐसे हैं, जहां पर भी नमक का इस्तेमाल चटपटे अंदाज में किया गया है, जो कि सुनने वाले को तीखी मिर्च जैसा प्रतीत होता है। जैसे- नमक का हक अदा करना। जख्मों पर नमक छिड़कना, नमक मिर्च लगाना, नमक हरामी करना।
नमक नाम पर बनाई गईं फिल्में
केवल खाने और मुहावरे में ही नहीं नमक ने अपनी अहमियत को भारतीय सिनेमा में भी बरकरार रखा है। साल 1996 में ‘नमक’ फिल्म रिलीज हुई थी और अभिनेता संजय दत्त ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई थी। वही साल 1982 में अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म ‘नमक हलाल’ रिलीज की गयीं।
खाने में नमक हो ज्यादा, करें ये उपाय
ऐसा अक्सर होता है, जब खाने में नमक ज्यादा होने से खाने का स्वाद बिगड़ जाता है। ऐसे में आप कई तरह से खाने में नमक के स्वाद को संतुलित कर सकते हैं। अगर सब्जी या फिर दाल में नमक अधिक हो जाए, तो बेसन को हल्का-सा भून कर इसमें मिला दें। आप यह भी कर सकती हैं कि सब्जी में नमक अधिक होने पर दही मिला सकती हैं। दही पसंद नहीं है तो नींबू या फिर एक चम्मच घी डालकर भी नमक का स्वाद कम कर सकती हैं।
हमारे लिए क्यों और कितना जरूरी है नमक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर किसी को हर दिन 5 ग्राम नमक से भी कम नमक खाना चाहिए। देखा जाए तो, नमक में मौजूद सोडियम हमारे शरीर में पानी के स्तर को सही बनाने से लेकर ऑक्सीजन को सभी अंगों तक पहुंचाने का काम करता है।