ये तो हम सबको पता है कि हेल्दी खाएंगे तो हेल्दी रहेंगे. लेकिन हेल्दी खाना आख़िर होता क्या है? क्या जो हम खाते हैं हेल्दी होते हुए भी हमें वह फ़ायदे नहीं पहुंचा पाता, जो उसे पहुंचाना चाहिए? ऐसा होता है! और इसलिए होता है, क्योंकि हमारे शरीर को ज़रूरत के मुताबिक़ ही सारी चीज़ें चाहिए, तभी आपका शरीर सही तरीक़े से काम करेगा. इसलिए आपके शरीर के लिए सही तरीक़े का और सही मात्रा में फ़ूड लिया जाना ज़रूरी है. आपको बता दें कि आपकी बॉडी के फ़ंक्शन को बेहतर करने का काम करते हैं फ़ंक्शनल फ़ूड.आख़िर ये क्या हैं? और इसके बारे में केवल हर हेल्थ एक्स्पर्ट्स को ही नहीं, हम सभी को जानना ज़रूरी है, तभी हम अपनी बॉडी को सबसे अच्छा आहार दे पाएंगे. आइए, इसके बारे में विस्तार से जानें.
क्या है फ़ंक्शनल फ़ूड
तो फ़ंक्शनल फ़ूड का फंडा ये रहा: फ़ंक्शनल फ़ूड ऐसे भोजन को कहते हैं, जिसमें शरीर को पोषण देने के साथ-साथ कुछ ऐसे ऐक्टिव कम्पोनेंट होते हैं, जो शरीर को लाभ पहुंचाने के साथ-साथ, हमारी बायोऐक्टिविटी को भी सुधारते हैं. इस बारे में हेल्थ ऐंड स्पोर्ट्स न्यूट्रीशियन अश्मित विस्तार से बताते हैं,"फ़ंक्शनल शब्द से ही आप इस बात को समझ सकते हैं कि यह एक ऐसा फ़ूड है, जो आपके शरीर के रोज़ाना के फ़ंक्शन को मैनेज करता है. फ़ंक्शनल फ़ूड में हाइ न्यूट्रिशनल वैल्यू होती है. जैसे ये विटामिन्स, मिनरल्स, फ़ाइबर या प्रोबायोटिक्स से भरपूर होते हैं. ऐसे फ़ूड्स बीमारियों को भी हमसे कोसों दूर रखते हैं."
कौन से हैं बेस्ट फ़ंक्शनल फ़ूडऔर क्यों
इस कंसेप्ट के शुरुआत वर्ष 1980 के आसपास जापान में हुई थी, जब वहां की सरकार ने फ़ूड्स को उनके फ़ायदे के आधार पर मापना शुरू किया, ताकि वहां के लोग अधिक हेल्दी बनें. ओट्स, सब्ज़ियां, नट्स, सीड्स, अनाज जैसी चीज़ों को फ़ंक्शनल फ़ूड माना जाने लगा. जैसे ओट्स में बीटा-ग्लूकन होता है, जो दिल की बीमारी होने से बचाता है. साथ ही, इम्यून सिस्टम को भी मज़बूत करता है. वहीं सब्ज़ियां व फल भी ऐंटी आक्सिडेंट्स से भरपूर होते हैं इसलिए इन्हें इस कैटेगरी में रखा गया.फ़ंक्शनल फ़ूड्स को दो श्रेणियों में रखा गया है:
कन्वेंशनल और मॉडिफ़ाइड
कन्वेंशनल: कन्वेंशनल फ़ूड्स नैचुरल होते हैं. साथ ही, ये विटामिन्स, मिनरल्स, ऐंटी आक्सिडेंट्स व हार्ट के लिए हेल्दी फ़ैट्स से भरपूर होते हैं. ऐसे फ़ूड की श्रेणी में बेरीज़, किवी, नाशपाती, संतरा, केला भी आते हैं. इन फलों में ऐंथोसायनिन होता है, जो उम्र के असर को रोकने में सहायक होता है. सब्ज़ियों में देखें तो ब्रोकलि, फूलगोभी, पालक, ज़ुकिनी भी इसी तरह की सब्ज़ियां हैं. वहीं ड्राइ फ्रूट्स की बात करें तो बादाम, काजू, पिस्ता इस श्रेणी में आते हैं. चिया, तीसी (फ्लेक्स), कद्दू के बीज (सीड्स) इस श्रेणी में आते हैं. सीफ़ूड और कई मसाले, जैसे- दालचीनी, अदरक, काली मिर्च, हल्दी भी फ़ंक्शनल फ़ूड का हिस्सा माने गए हैं. कॉफ़ी, ग्रीन टी और ब्लैक टी की भी इस श्रेणी में गिनती की गई है, क्योंकि इनमें पॉलीफ़ेनोल्स होते हैं.
मॉडिफ़ाइड: मॉडिफ़ाइड फ़ंक्शनल फ़ूड्स की फ़ेहरिस्त में दूध, दही, चावल, नारियल, काजू मिल्क, ब्रेड औरअंडे जैसी चीज़ें शामिल हैं.
सेहत के लिए इनके फ़ायदे
फ़ंक्शनल फ़ूड का अगर सही तरीक़े से सेवन किया जाए तो विटामिन्स, मिनरल्स, हेल्दी फ़ैट्स व फ़ाइबर से भरपूर होने के कारण ये शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व देते हैं. ऐंटी ऑक्सिडेंट्स से भरपूर होने की वजह से यह फ्री रैडिकल्स जैसे हानिकारक तत्व को बढ़ने से रोकते हैं, सेल डैमेज को भी रोकते हैं. साथ ही कैंसर, डायबिटीज़ जैसी बीमारियों से भी रोकथाम करते हैं. ऐसे फ़ूड्स में क्योंकि ओमेगा थ्री फ़ैटी ऐसिड भी होता है तो यह इन्फ़्लेमेशन को रोकने, दिमाग़ को सही तरीक़े से काम करने में मदद करते हैं. फ़ाइबर से भरपूर होने की वजह से यह मोटापा बढ़ने की परेशानी को भी कम करता है. इसके अलावा पाचन तंत्र को भी दुरुस्त करता है. कई बच्चों की सेहत अगर अच्छी नहीं बन पाती है तो उसका कारण ऐसे फ़ूड्स की शरीर में कमी होना ही होता है. इसलिए सभी ज़रूरी पोषक तत्व बच्चों को मिल पाएं इसके लिए ऐसा भोजन खाना ज़रूरी है.