किताब हमारे जीवन और समाज का आईना होती हैं। ऐसे में किताब जहां अपने जीवन के पन्ने खोल कर हमें अपने जीवन में जगह देती है, ठीक इसी तरह किताब हमें कई बार जिंदगी सही तरीके से जीने की सीख भी देती है। इसलिए कई सारी ऐसी किताब मौजूद हैं, जो कि प्रेरणादायक होने के साथ हमारे आत्मविश्वास को भी बढ़ाती हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देने वाले उपन्यास भारतीय साहित्य में विभिन्न रूपों में मिलते हैं। ये उपन्यास महिलाओं की संघर्ष, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की कहानी कहते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
शिवानी की ‘पारिजात’ उपन्यास की समीक्षा

पारिजात को लेखक शिवानी ने लिखा है। यह एक दिल में बस में जाने लाली कहानी है, जो कि आपको आत्मनिर्भर बनाती हैं। आप यह भी कह सकती हैं कि यह एक तरह से काव्यात्मक और भावनात्मक उपन्यास है। इस किताब में मानव जीवन की सभी भावनाओं का जिक्र किया है। जहां पर किताब में शिवानी ने मानव स्वभाव, रिश्तों की जटिलताओं, और भावनाओं के विविध पहलुओं को बखूबी चित्रित किया है। प्रेम और बलिदान के साथ जीवन की सभी जटिलताओं का जिक्र अपनी सरल लेकिन प्रभावशाली लेखनी से किया है। इस उपन्यास की कहानी का जिक्र किया जाए,तो यह किताब खास तौर पर एक लड़की के जीवन को दिखाती है। जहां पर उसके जीवन की जद्दोजहद को इस किताब में दिखाया गया है। कहानी की नायिका अपने रिश्तों में प्रेम और दायित्व के बीच संतुलन बनाते हुए दिखाई देती है। लेखक शिवानी ने यह दिखाया है कि कैसे प्रेम के विभिन्न रूप जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है। शिवानी की लेखनी की खूबी यह है कि उनकी शब्दों में एक गहरी समझ और संवेदनशीलता झलकती है, जो पाठक को अपनी ओर खींचती है।हालांकि धीमी गति से यह कहानी आपको आगे लेकर जाती है, जो कि आपको थोड़ा सा धीमा महसूस करा सकती है। यह किताब उन लोगों के लिए है जो जीवन के गहरे पहलुओं को समझने में रुचि रखते हैं।यदि आप भावनात्मक, सूक्ष्म और दिल को छूने वाली कहानियाँ पसंद करते हैं, तो "पारिजात" जरूर पढ़ें।
कृष्णा सोबती का उपन्यास ‘बाजार दरजी’ की समीक्षा

कृष्णा सोबती ने कई सारी कहानियां लिखी है, उनके कई सारे उपन्यास में से बाजार दरजी सबसे आगे है। इसे एक तरह से कृष्णा सोबती द्वारा लिखित यह एक बेहद शक्तिशाली और संवेदनशील उपन्यास है, जो कि भारतीय समाज के कई सारे पहलुओं को छूने की कोशिश करती है। कृष्णा सोबती के लेखन की विशिष्ठ शैली इस उपन्यास में दिखाई देगी। उन्होंने अपने अनुभव और अपने नजरिए से समाज की मुश्किलें , रिश्तों और मानव स्वभाव को भी बखूबी इस उपन्यास में उजागर किया है। किताब का सार देखें, तो बाजार दरजी एक छोटे शहर के दरजी की कहानी है, जो कि अपने छोटे से व्यवसाय और साधारण जीवन में उलझी हुई लगती है। यह उपन्यास उसकी जिंदगी की यात्रा, संघर्ष और उसके द्वारा महसूस की जाने वाली इच्छाओं, सपनों और समाज के दबावों के बारे में है। कहानी की केंद्रबिंदु एक छोटा आदमी है, जो अपनी छोटी-सी दुकान में दुनिया की बड़ी समस्याओं से जूझता है। वह न केवल अपनी खुद की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करता है, बल्कि अपने परिवार और समाज से भी जुड़े जटिल रिश्तों को समझने की कोशिश करता है। इस कहानी की खूबी यह है कि यह मानवता के गहरे संघर्ष को दिखाती है। यह एक समाज की अनदेखी को दिखाती है। किताब में एक छोटे से आदमी के नजरिये से समाज के उच्च और निम्न वर्ग, और उनके बीच की खाई को बहुत प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया है। कृष्णा सोबती की इस किताब में भावनाओं को पढ़ने के साथ उसे महसूस भी किया जा सकता है। किताब में एक छोटे से आदमी के नजरिये से समाज के उच्च और निम्न वर्ग, और उनके बीच की खाई को बहुत प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया है। कृष्णा सोबती का यह उपन्यास विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो साहित्य में गहराई और समाज की वास्तविकताओं को समझने में रुचि रखते हैं।
अमृता प्रीतम की ‘सुतानी’ उपन्यास की समीक्षा

अमृता प्रीतम की सुतानी उपन्यास एक तरह से प्रभावशाली उपन्यास है, जो कि भावनात्मक जटिलताओं को साफ शब्दों में बारीकी से दिखाता है। अमृता प्रीतम की यह कहानी एक महिला के मानसिक संघर्ष और समाज के बंधनों से मुक्ति और अपने अस्तित्व की पहचान को तलाशती है। आप यह समझ लें कि अमृता प्रीतम का लिखा हुआ उपन्यास एक ऐसी महिला की कहानी है, जो कि समाज के पारंपरिक ढांचे और परिवार की सीमाओं को स्वीकार करने का संघर्ष कराती है। सुतानी की कहानी महिलाओं के संघर्ष को गहराई से दिखाती है साथ ही एक महिला की आजादी की तलाश भी करती है। अमृता प्रीतम ने अपने लेखन को सरल और सशक्त भाषा में रखा है। सुतानी में महिला आत्मनिर्भरता की यात्रा को दिखाती है। यह उपन्यास केवल एक कहानी नहीं, बल्कि एक महिला के दिल और दिमाग की यात्रा है, जिसमें उसे अपने अस्तित्व को समझने का अवसर मिलता है। यह उपन्यास न केवल महिला को समझने का एक तरीका है, बल्कि यह हमें समाज और संस्कृति पर भी सोचने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।
भगवती चरण वर्मा का उपन्यास ‘चित्रलेखा’ की समीक्षा

भारतीय साहित्य में एक मील का पत्थर माना जाता है। यह उपन्यास प्रेम, त्याग और आत्मा की गहरी यात्रा को दिखाती है। इस किताब की नायिका चित्रलेखा एक खूबसूरत आकर्षक महिला की कहानी है, जो कि अपने जीवन के भंवर में उलझी हुई है। वह अपने जीवन में मौजूद प्रेम के साथ उसके खुद के जीवन के संघर्षों को भी दिखाती है। एक तरह से चित्रलेखा प्रेम और त्याग की जटिल भावनाएं और उनके अंतरद्वंद्व को खूबसूरती से उकेरा गया है। भगवती चरण वर्मा के शब्द उनके विचारों की गहराई को दिखाती हैं। यह किताब एक तरह से इच्छाओं को आजादी देने के मकसद को दिखाती है। नारी के मनोभावों, उसकी इच्छाओं और उसकी स्वतंत्रता के संघर्ष को नायिका के माध्यम से बखूबी चित्रित किया गया है।