होली का त्यौहार बेहद नजदीक है, ऐसे में कई ऐसे शायर, कवि और लेखक-लेखिका हैं, जिन्होंने खूबसूरत रंगों को जेहन में रखते हुए कई रचनाएं की हैं, जिसमें जिंदगी के बेहतरीन रंग भरे हुए हैं, तो आइए ऐसी ही कुछ रचनाओं को पढ़ते हैं।
इमाम बख़्श नासिख़
ग़ैर से खेली है होली यार ने
डाले मुझ पर दीदा-ए-ख़ूँ-बार रंग
अब की होली में रहा बे-कार रंग
और ही लाया फ़िराक़-ए-यार रंग
फणीश्वर नाथ रेणु
साजन ! होली आई है !
सुख से हंसना
जी भर गाना
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व हो गया आज-
साजन! होली आई है !
हंसाने हमको आई है !
साजन! होली आई है !
इसी बहाने
क्षण भर गा लें
दुखमय जीवन को बहला लें
ले मस्ती की आग-
साजन! होली आई है !
जलाने जग को आई है !
साजन! होली आई है !
रंग उड़ाती
मधु बरसाती
कण-कण में यौवन बिखराती,
ऋतु वसंत का राज-
लेकर होली आई है !
जिलाने हमको आई है !
साजन! होली आई है!
खूनी और बर्बर
लड़कर-मरकर-
मधकर नर-शोणित का सागर
पा न सका है आज-
सुधा वह हमने पाई है !
साजन ! होली आई है !
साजन ! होली आई है !
यौवन की जय!
जीवन की लय!
गूंज रहा है मोहक मधुमय
उड़ते रंग-गुलाल
मस्ती जग में छाई है
साजन ! होली आई है !
सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
केशर की, कलि की पिचकारी
पात-पात की गात सँवारी
राग-पराग-कपोल किए हैं
लाल-गुलाल अमोल लिए हैं
तरू-तरू के तन खोल दिए हैं
आरती जोत-उदोत उतारी
गन्ध-पवन की धूप धवारी
हरिवंशराय बच्चन
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
देखी मैंने बहुत दिनों तक
दुनिया की रंगीनी,
किंतु रही कोरी की कोरी
मेरी चादर झीनी,
तन के तार छूए बहुतों ने
मन का तार न भीगा,
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
नजीर बनारसी होली कविता
कहीं पड़े न मोहब्बत की मार होली में
अदा से प्रेम करो दिल से प्यार होली में
गले में डाल दो बाँहों का हार होली में
उतारो एक बरस का ख़ुमार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
लगा के आग बढ़ी आगे रात की जोगन
नए लिबास में आई है सुब्ह की मालन
नज़र नज़र है कुँवारी अदा अदा कमसिन
हैं रंग रंग से सब रंग-बार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
हवा हर एक को चल फिर के गुदगुदाती है
नहीं जो हँसते उन्हें छेड़ कर हंसाती है
हया गुलों को तो कलियों को शर्म आती है
बढ़ाओ बढ़ के चमन का वक़ार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
ये किस ने रंग भरा हर कली की प्याली में
गुलाल रख दिया किस ने गुलों की थाली में
कहाँ की मस्ती है मालन में और माली में
यही हैं सारे चमन की पुकार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
तुम्हीं से फूल चमन के तुम्हीं से फुलवारी
सजाए जाओ दिलों के गुलाब की क्यारी
चलाए जाओ नशीली नज़र से पिचकारी
लुटाए जाओ बराबर बहार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
मिले हो बारा महीनों की देख-भाल के ब'अद
ये दिन सितारे दिखाते हैं कितनी चाल के ब'अद
ये दिन गया तो फिर आएगा एक साल के ब'अद
निगाहें करते चलो चार यार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
बुराई आज न ऐसे रहे न वैसे रहे
सफ़ाई दिल में रहे आज चाहे जैसे रहे
ग़ुबार दिल में किसी के रहे तो कैसे रहे
अबीर उड़ती है बन कर ग़ुबार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
हया में डूबने वाले भी आज उभरते हैं
हसीन शोख़ियाँ करते हुए गुज़रते हैं
जो चोट से कभी बचते थे चोट करते हैं
हिरन भी खेल रहे हैं शिकार होली में
नज़ीर अकबराबादी
हाँ इधर को भी ऐ गुंचादहन पिचकारी
देखें कैसी है तेरी रंगबिरंग पिचकारी
तेरी पिचकारी की तक़दीद में ऐ गुल हर सुबह
साथ ले निकले है सूरज की किरण पिचकारी
जिस पे हो रंग फिशाँ उसको बना देती है
सर से ले पाँव तलक रश्के चमन पिचकारी
बात कुछ बस की नहीं वर्ना तेरे हाथों में
अभी आ बैठें यहीं बनकर हम तंग पिचकारी
हो न हो दिल ही किसी आशिके शैदा का 'नज़ीर'
पहुँचा है हाथ में उसके बनकर पिचकारी