मालती जोशी हिंदी साहित्य का एक बड़ा नाम रहीं। उन्होंने साहित्य की दुनिया में काफी योगदान दिया और साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी। यही वजह है कि उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया। आइए उनके बारे में विस्तार से जानें।
जीवन परिचय
मालती जोशी हिंदी साहित्य का एक बड़ा नाम रहीं। उन्होंने साहित्य की दुनिया में काफी योगदान दिया और साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी। यही वजह है कि उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया। मालती जोशी का जन्म औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में हुआ था। फिर उन्होंने हिन्दी विषय से एमए किया। फिर अपनी लेखनी की शुरुआत की, तो कई अनगिनत कहानियां और बाल कथाएं लिखीं। उनकी विभिन्न और अनेक रचनाओं की बात करें तो उन्होंने कई कहानियां, बाल कथाएं और उपन्यास लिखे। उनकी रचनाओं की खूबी रही है कि इनमें से अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी किया जा चुका है। साथ ही उनकी कहानियों को रेडियो और दूरदर्शन का भी हिस्सा बनाया जा चुका है। उनकी कुछ कहानियों पर गुलज़ार ने भी ‘किरदार’ धारावाहिक में कहानियों को दर्शाया है। साथ ही धारावाहिक ‘सात फेरे’ का भी निर्माण हुआ है। मालती जोशी की अगर शिक्षा की बात की जाए, तो मध्यप्रदेश में उनकी शिक्षा हुई। खासतौर से मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से उनका खास लगाव रहा। जी हां, उन्होंने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय एयर होलकर कॉलेज से स्नातक तक की शिक्षा हासिल की।
लेखन
मालती जोशी ने अपनी लेखनी के माध्यम से लेखन में एक युवा लड़की के पिता, दहेज व महंगाई जैसे मुद्दों पर विचार किया है और विस्तार से इस बारे में जानकारी दी है। आपके लिए यह जानना भी दिलचस्प होगा कि उन्होंने अपनी लेखनी की शुरुआत गीत लेखन से किया था। उनकी खासियत यह भी रही कि मराठी परिवेश में रहते हुए भी हिंदी भाषा पर खास कमांड बनाया। उनकी कहानी संग्रहों की कहानियों की बात करें तो ‘एक घर सपनों का’, ‘मध्यांतर मनन भये दस बीस’, ‘वसीयत का सारांश’, ‘मोरी रंग दे चुनरिया’, ‘अंतिम आक्षेप एक सार्थक दिन’, ‘बोल री कठपुतली’, ‘महकते रिश्ते’, ‘हाले स्ट्रीट’, ‘बाबुल का घर’, ‘शापित शैशव’, ‘वो तेरा घर यह मेरा घर’, ‘रहिमन धागा प्रेम का’, ‘पिया पीर ना जानी’ और औरत एक रात है प्रमुख हैं।
वहीं उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास की बात करें, तो ‘समर्पण का सुख’, ‘राग विराग’, ‘ज्वालामुखी के गर्भ में’, ‘सहचारिणी’, ‘चांद अमावस का’,’ पाषण युग’, ‘निष्कासन’, ‘गोपनीय’, ‘ऋणानुबंध’, ‘पटाक्षेप’ और ‘शोभायात्रा जैसे उपन्यास प्रमुख रहे हैं। उन्होंने अपने लेखन में कई बाल साहित्य भी लिखे हैं, जिनमें ‘बेचैन’, ‘रिश्वत’ ‘एक प्यासी सी दिल्ली’, ‘दादी की घड़ी’, ‘रंग बदलते खरबूजे’, ‘बड़ा आदमी’, और ‘वह खुश था’, ‘जीने की राह’ और एक कर्ज एक अदायगी जैसे बाल साहित्य प्रमुख रहे। साथ ही साथ मराठी कथा संग्रह
में ‘टूटने से जुड़ने तक’, ‘एक और देवदास’, ‘पाषाण युग’ और कुहासे प्रमुख रहे हैं। उनकी कहानियों की शैली की यह खूबी रही है कि उनकी भाषा सरल और सहज रही है। साथ ही संवेदनशीलता भी झलकती रही है। उनकी खूबी यह भी रही है कि उन्हें अपने किरदारों के जीवन में जरूरत से ज्यादा झांकना पसंद नहीं है। इसलिए वे अपने किरदारों के बारे की निजी जिंदगी में झांकने की बिल्कुल कोशिश नहीं करती हैं।
पुरस्कार और सम्मान
मालती जोशी ने अपने जीवनकाल में कई सारे पुरस्कार और सम्मान हासिल किये हैं। उन पुरस्कारों में भारतीय भाषा परिषद के द्वारा ‘कोलकाता का रचना’ पुरस्कार अहम रहा, जो उन्हें वर्ष 1983 को प्राप्त हुआ। इसके बाद, उन्हें वर्ष 1984 में मराठी पुस्तक ‘पाषाण युग’ के लिए ‘महाराष्ट्र शासन’ का पुरस्कार प्राप्त हुआ। फिर मध्य प्रदेश के राज्यपाल द्वारा ‘अहिंदी भाषी लेखिका‘ के रूप में भी उन्हें पुरस्कार दिया गया। साथ ही साथ वर्ष 1985 में सम्मानित किया गया। वर्ष 2006 में मध्यप्रदेश शासन का ‘शिखर सम्मान’ साहित्य अवदान के लिए दिया गया। उन्हें ‘ओजस्विनी पुरस्कार’ और ‘दुष्यंत कुमार साधना पुरस्कार’ से भी नवाजा जा चुका है। साथ ही साथ सम्मानित ‘मैथिलीशरण गुप्त’ जैसे प्रतिष्ठत राष्ट्रीय सम्मान और वनमाली स्मृति सम्मान’ से नवाजा जा चुका है। और तो और मालती जोशी को वर्ष 2018 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है।
मालती जोशी की कुछ अहम कहानियां
मालती जोशी की कहानियों की खूबी यह रही है कि उन्होंने महिलाओं की निजी जिंदगी में झांकने की कोशिश नहीं की है। उन्होंने हमेशा यही कोशिश की है कि महिलाओं के मुद्दे को भी संवेदनशील तरीके से बिना चीखे या चिल्लाये अपनी बात पहुंचा दी जाए। उन्होंने अपनी लेखनी में एक खूबसूरती और सहजता रखी, जिसमें जीवन की आपाधापी को खूबसूरती से दर्शा दिया गया है। साथ ही किसी तरह की परेशानी को क्रिएट नहीं करने की कोशिश की है।
दादी की घड़ी
बता दें कि ‘दादी की घड़ी’ मालती जोशी के महत्वपूर्ण बाल कहानी या बाल संग्रह की कहानी में से एक रही है। इसकी वह स्वयं रचनाकार हैं। किरदार दादी और दीपू हैं। घड़ी भी मूल वस्तु का हिस्सा हैं। इस कहानी से मालती जोशी ने यह कोशिश की है कि वह कहानी कला का परिचय दें और कार्यों की सफलता के लिए इच्छा शक्ति का महत्व भी दर्शाया है। साथ ही संयुक्त परिवार में आपसी समन्वय और प्रेम के महत्व को भी बखूबी दर्शाया है। बच्चों की जिंदगी के लिए यह एक अहम कहानी है, जिन्हें जरूर से जरूर पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।
स्नेह-बंध
यह भी मालती जोशी की एक महत्वपूर्ण कहानी है, इस कहानी में मुख्य पात्र मीता और उसकी सास हैं और कहानी उनके ही इर्द-गिर्द घूमती है। यह मानवीय जीवन से जुड़ीं संवेदनाओं को गंभीरता से दर्शाती हुई कहानी है, जो कई पहलुओं को काफी खूबसूरती से दर्शा देती है। इस कहानी में इंसान के अंदर के परिदृश्य को दर्शाया गया है। सास-बहू की यह कहानी सिर्फ गॉसिप पर नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाने की कोशिश करती है।
हादसे और हौसले
अगर बात करें, उनकी इस कहानी की तो, मालती जोशी की कहानियां जीवन से ही उपजती हैं और ‘हादसे और हौसले’ की यह कहानी उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। मालती जोशी अपनी कहानियों में किरदारों के माध्यम से जीवन के मर्म को समझने की कोशिश करती हैं और कहानियों को नया आकार भी देने की कोशिश करती हैं। इस कहानी में मध्यवर्गीय भारतीय जीवन के केंद्र में नजर आता है। इस रचना में जीवन की सच्चाई नजर आती है। उन्होंने बड़ी ही सहजता से इसका बखान किया है और सम्मान के साथ दर्शाया है।