हिंदी कविता के कई प्रकार होते हैं। जानकारों का मानना है कि कविता सबसे पुरानी लिखित कृतियों में से एक है। आप जान लें कि कविताएं लगातार पारंपरिक रूपों के माध्यम से विकसित होती रही हैं। जिस तेजी से वक्त आगे बढ़ा है, ठीक उसी तरह कविता को लिखने और सोचने का तरीका भी बदला हुआ है। माना गया है कि काव्य, कविता जिसे पद्य भी कहते हैं, उसे साहित्य की अद्भुत विद्या भी कहा जाता है। इससे आप वाकिफ होंगे कि भारत में कविता का इतिहास सदियों पुराना है। माना जाता है कि ‘भरतमुनि’ ने इसकी शुरुआत की थी। कविता को साफ शब्दों में समझाया जाए, तो इसका कविता का शाब्दिक अर्थ यह है कि काव्यात्मक रचना यानी कि कवि के द्वारा की गई रचना का लिखित रूप से वर्णन है। जिस पर कवि की सोच और उसकी लिखावट का अधिकार होता है। कवि की रचना में उसकी सोच साफ तौर पर दिखाई देती है। कविता के प्रकार का इतिहास ठीक उतना ही पुराना है, जितने पुराने भारत के कई पौराणिक ग्रंथ हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि साहित्य की शुरुआत कविताओं से ही हुई है। आप कई सारे प्राचीन ग्रंथ में चौपाई का जो भी स्वरूप देखते हैं, वो भी कविता के प्रकार का अहम हिस्सा है। हमने अपने अध्ययन में पाया है कि कविता के प्रकार को जानकारों ने अपने तरीके से भिन्न तरीके से बयान किया है। इस लेख में हम उसी तरीके से यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि कविता के प्रकार कौन-कौन से हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इस संबंध में।
कविता के विभिन्न प्रकार
कविता के प्रकार का विवरण हर जगह पर भिन्न तरीके से किया गया है। मुख्य तौर पर कविता को तीन मुख्य शैलियों में बांटा गया है। इसे खास तौर पर कथात्मक कविता, नाटकीय कविता और गीतात्मक कविता कहा जाता है। कथात्मक कविता में खासतौर पर कविता को कथा के तौर पर बताया जाता है। नाटकीय कविता में नाटकीय क्रिया वाले नाटकों को कविता की तरह प्रस्तुत किया जाता है, वहीं गीतात्मक कविता किसी भी कवि के मन के हालातों और उसकी सोच को दिखाती है। इसके अलावा एक और अन्य तरीके से कविता के प्रकार के बारे में भी बताया गया है।
काव्य के एक नहीं, बल्कि कई प्रकार
कविता जिसे काव्य भी कहा जाता है, ऐसे में काव्य के एक नहीं बल्कि कई प्रकार हैं। इसमें प्रमुख तौर पर जिसके बारे में बताया गया है कि काव्य के प्रकार इस तरह से बांटे गए हैं। श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य, प्रबंध काव्य, मुक्तक काव्य, महाकाव्य, खंडकाव्य। अगर एक के बार इन सभी की व्याख्या की जाए, तो आपको यह विस्तार से समझ आएगा कि किस तरह कविता के प्रकारों ने शब्दों के खेल से खुद के लिए काव्य की नई परिभाषा सतत लिखते रहे हैं। इसकी शुरुआत करते हैं श्रव्य काव्य से।
क्या है श्रव्य काव्य
श्रव्य काव्य का मतलब यह होता है कि ऐसी रचना जिसका रसास्वादन सुनकर या पढ़कर किया जाता है। उदाहरण के तौर पर ‘रामचरितमानस’। ‘रामचरितमानस’ को गोस्वामी तुलसीदास ने 16 वीं सदी ने महाकाव्य के तौर पर रचित किया था। इस एक पौराणिक ग्रंथ कहा जाता है, जो कि साहित्य की सबसे महान कृति माना जाता है। माना जाता है कि ‘रामचरितमानस’ में चौपाई की संख्या 4608 है। इसके साथ ही इसमें दोहों की गिनती 1074 के करीब मानी गई है। साथ ही 86 श्लोक भी ‘रामचरितमानस’ में मौजूद हैं।
क्या होता प्रबंध काव्य
माना गया है कि छंद एक कथा के धागे में एक-दूसरे से बंधे होते हैं। उसे ही प्रबंध काव्य कहते हैं। यह बता दें कि प्रबंध काव्य ‘साकेत’ और ‘रामचरितमानस’ में शामिल है। साथ ही यह भी जान लें कि प्रबंध काव्य के दो तरह के भेद होते हैं। एक को कहा जाता है महाकाव्य और दूसरे को कहा जाता है खंड काव्य। प्रबंध काव्य में शामिल भेद महाकाव्य के रचनाकार मुख्य तौर पर मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘साकेत’, तुलसीदास रचित ‘रामचरितमानस’, जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘कामायनी’ और रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘उर्वशी’ है।
क्या होता है खंडकाव्य
श्वव्य काव्य और प्रबंध काव्य से अलग खंड काव्य होता है। इसमें मौजूद कविता घटना पर आधारित होती है। खासतौर पर जीवन से जुड़ी घटना के साथ मानव के किसी एक पक्ष का चित्रण इसमें किया जाता है। इसमें छंद का प्रयोग अधिक होता है। खंडकाव्य विशेष तौर पर ऐतिहासिक या फिर पौराणिक कथाओं पर आधारित है। कहानियां इस काव्य में सबसे अधिक बताई जाती है। मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘पंचवटी’, कालिदास की ‘मेघदूत’, ‘हल्दीघाटी का युद्ध’ और ‘पथिक’ भी खंड काव्य में लिखी गई है, हालांकि महाकाव्य से अलग खंड काव्य सीमित होता है। महाकाव्य में किसी भी विषय पर विस्तार से विवरण होता है और खंड काव्य में सीमित जानकारी होती है। महाकाव्य में वीर और शांत रस का उपयोग सबसे अधिक होता है। खंडकाव्य में श्रृंगार और करुण रस को महत्व दिया गया है।
जानिए क्या होता है मुक्तक काव्य
मुक्तक काव्य एक तरह से रचना होती है, जहां पर कथा नहीं होती है। इसमें कई सारे प्रसंग होते हैं। जैसे कि ‘मधुशाला’, ‘बिहारी सतसई’ आदि। इसमें खासतौर पर लय में गीतों के क्रम में काव्य को लिखा जाता है। आप यह समझ सकती हैं कि मुक्तक काव्य में कविता, दोहा और पद शामिल होते हैं। आप अगर कहीं पर कोई कविता या फिर दोहा और पद पढ़ती है, तो वो मुक्तक काव्य का हिस्सा हैं। रहीम और मीरा की सारी कविताएं मुक्तक काव्य का अहम हिस्सा हैं। इस काव्य में किसी एक की अनुभूति या फिर मन के भाव और अपनी कल्पनाओं का चिरण किया जाता है। इस काव्य में भी दो तरह के भेद है। पहले भेद को पाठ्य मुक्तक कहा जाता है। पाठ्य मुक्तक में विचार प्रधान छोटी- छोटी कविताएं होती हैं, वहीं गेय मुक्तक में भावनाओं को संगीतमय अंदाज में प्रस्तुत किया जाता है। आप इससे भी समझ सकती हैं कि महादेवी वर्मा, पंत, तुलसीदास, कबीर और मीरा की कविताएं गेय मुक्तक का हिस्सा हैं।
क्या होता है दृश्क काव्य
दृश्क काव्य पूरी तरह से दृश्यों पर आधारित होती है। जिस रचना का चिरण सुनकर या फिर पढ़कर किया जाता है उसे दृश्य काव्य कहते हैं। नाटक में शामिल कविताएं दृश्य काव्य का भाग होती हैं। यह भी जान लें कि श्वव्य काव्य को दृश्य काव्य में शामिल किया जा सकता है, लेकिन दृश्य काव्य के साथ ऐसा मुमकिन नहीं है, क्योंकि श्वव्य काव्य में गीत, दोहा और पद शामिल होते हैं, वहीं दृश्य काव्य में नाटक और एकांकी आते हैं। एकांकी का अर्थ यह होता है कि एक ऐसी रचना, जिसमें मानव जीवन के किसी एक पक्ष, एक चरित्र और एक समस्या और एक भाव की भी अभिव्यक्ति होती है। यह भी जान लें कि दृश्य काव्य में जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘स्कंदगुप्त’ नाटक को खास स्थान मिला है।
यह भी जान लें कि काव्य प्रकाश में हिंदी कविता के प्रकार को इस तरह भी बयान किया गया है कि यह तीन तरह से भी होते हैं। ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र के जरिए अपनी बात को साफ तौर पर रखा जाता है। यह भी समझ लें कि कविता के प्रकार में छंद भी अहम भूमिका निभाते हैं। छंद का उपयोग कविता के मुख्य खंड के निर्माण के लिए किया जाता है। साथ ही छंद कई सारी पंक्तियों से बना होता है। छंद एक कविता में पंक्तियों का एक समूह होता है। छंद भी कई प्रकार के होते हैं। मात्रिक छंद, वर्णिक छंद, वर्णिक वृत छंद, उभय छंद, मुक्त छंद और स्वच्छन्द छंद।
क्या है काव्य का इतिहास
गौरतलब है कि काव्य का इतिहास लगभग 850 साल पुराना है। इसकी शुरुआत तेरहवीं शताब्दी में हुई थी। उल्लेखनीय है कि कविता भी पहले कहानी की तरह लय के साथ अलंकारों से सजी हुई होती थी। यहां तक कि भारत के सभी विशेष प्राचीन ग्रंथ भी कविता के रूप में ही लिखे गए हैं, जो कि यह साफ तौर पर बताती है कि कहानी की तुलना में कविता का महत्व और स्थान साहित्य में हमेशा से ही सबसे विशिष्ठ और अतुलनीय रहा है। शायग यही वजह है कि साहित्य की शुरुआत भी कविता से मानी गई है। यहां तक कि कई ज्ञानग्रंथ यानी कि राजनीति, विज्ञान और आर्युर्वेद से जुड़े हुए ग्रंथों को भी पहले कविता के तौर पर लिखा गया था। यह और बात है कि आधुनिक समय में कविताएं भी अलग रूप ले चुकी हैं। एक वाक्य की कविता से लेकर कई पंक्तियों से सजी कविताएं सोशल मीडिया का हिस्सा बन चुकी हैं।