मैत्रेयी पुष्पा ने महिला उत्थान को लेकर हमेशा अपनी आवाज उठाई है, उन्होंने अपनी कलम की ताकत से अपनी बात रखी है, ऐसे में उनके द्वारा लिखी गई किताब ‘खुली खिड़कियां’ में कई ऐसे मुद्दे हैं, जो आपके लिए प्रेरणादायक होंगे, तो इस बार पुस्तक गली में आइए जानें विस्तार से।
मैत्रेयी पुष्पा की लेखनी की यह खासियत रही है कि उन्होंने महिलाओं के मुद्दे पर काफी गहन अध्ययन और अनुभव के साथ लिखा है, वह ऊपरी तौर पर नहीं, बल्कि तर्कपूर्ण बातें करती हैं। उन्होंने अपनी इस किताब में पितृसत्ता वाली सोच पर वार करती हैं। लेखिका ने बेबाकी से औरत की पीड़ा को समझते हुए इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है, अच्छी बात यह है कि उन्होंने प्रगतिशील होने के साथ-साथ, महिलाओं से जुड़ीं अहम बातों को दर्शाने की कोशिश की है, खास बात यह है कि उन्होंने लेखिका ने महत्वपूर्ण सवाल भी उठाये हैं, जैसे स्त्री को अपनी संपत्ति मानने वाली सोच से लेकर ऐसी कई सोच, जो एक महिला के अपमानजनक है, उसे लेकर पूर्ण रूप से समाज पर सवाल उठाया है। लेखिका की गिनती हमेशा ही आधुनिक हिंदी साहित्यकारों में होती रही है, क्योंकि इसमें समाज की हकीकत को दर्शाने के लिए अहम बातें लिखी हैं और बने बनाये ढर्रे वाली बातों को नहीं अपनाया है, उन्होंने जिस सरल शैली में अपनी बातें लिखी हैं, उसमें उनका शहरी पाठक वर्ग और ग्राम पाठक वर्ग दोनों ही प्रभावित होंगे।
लेखिका ने अपने पात्रों में भी सामाजिक विमर्श की बात की है, साथ ही राजनितिक विचारों को भी स्पष्ट रूप से लिखने में कौताही नहीं की है। खास बात यह है कि इतने वर्ष पूरे कर लेने के बावजूद आज भी यह किताब प्रासंगिक है। किताब को छह भागों में बांटा गया है, जिसमें मनुष्य के सम्पूर्ण अस्तित्व को दर्शाया गया है। इसमें संस्कृति, समाज, साहित्य, राजनीति और आज के समय को दर्शाते हुए फिल्म और टेलीवजन के माध्यम को भी चुना है। लेखिका ने इसमें आदिवासी समूह की महिलाओं के बारे में और शहरी घरेलू कामगार महिलाओं पर भी बात की है, तो दूसरी तरफ इसमें अनुसूचित जाति की महिलाओं के बारे में भी जिक्र किया है, साथ ही अल्पसंख्यक महिलाओं के बारे में बात की है। मैत्रेयी ने यह भी बात रखी है कि महिलाओं का डर उनकी सबसे बड़ी परेशानी है। ऐसे में वाकई, यह किताब महिला चेतना के लिहाज से एक महत्वपूर्ण किताब है, जिसे एक बार तो जरूर पढ़ा जाना चाहिए।