‘हैरी पॉटर’ की कुल सात उपन्यास लिखकर आज के दौर की सबसे प्रख्यात लेखिकाओं में शामिल हो चुकी जोआन कैथलीन रोलिंग का कहना है, “यदि आप पढ़ना नहीं चाहते हैं, तो इसका मतलब है आपको अभी सही किताब नहीं मिली है।” यदि आपके साथ भी ऐसा कुछ है तो आइए जानते हैं आपके लिए कौन सी किताबें सही रहेंगी।
किताबों का अर्थ है जिज्ञासाएं

एक वक्त था जब किताबों को सच्चा साथी कहा जाता था, लेकिन टेलीविजन के बाद मोबाइल, इंटरनेट और अब डिजिटल क्रांति ने लोगों को किताबों से काफी दूर कर दिया है। हालांकि आज भी ऐसे कई लोग हैं, जो न्यूज चैनल की जगह अखबार और मोबाइल की जगह किताबों के साथ वक्त गुजारना पसंद करते हैं, लेकिन उनकी संख्या काफी कम है। अधिकतर लोग अब पढ़ना नहीं चाहते और उसकी सबसे बड़ी वजह है लोगों की जिज्ञासाएं। आम तौर पर किताबें कुछ जानने की जिज्ञासा के लिए पढ़ी जाती है, लेकिन अब सारी जिज्ञासाएं डिजिटल माध्यमों से पूरी हो जाती है। इसके अलावा किताबें पढ़ने की एक वजह हमारी भावनाएं और हमारा शौक भी है। हालांकि यदि आप भी किताबों से मन लगाना चाहती हैं, लेकिन चाहकर भी आपका मन नहीं लग रहा तो कुछ ऐसे उपाय हैं, जिन्हें आजमाकर आप भी किताबों को अपना दोस्त बना सकती हैं।
कॉमिक्स या हल्की-फुल्की किताबों से करें पढ़ने की शुरुआत
पढ़ने की आदत डालने के लिए आप सबसे पहले अपनी रूचि अनुसार विषयों का चुनाव कर लीजिए। संभव हो तो अपने आस-पास किसी बुक स्टोर पर चले जाइए, वहां आपके लिए काफी किताबें होंगी। साहित्य पढ़ना चाहती हैं तो पहले कहानियों और कविताओं की किताबों से शुरुआत कीजिए। विशेष रूप से सरल हिंदी में लिखने वाले लेखकों को पढ़िए, जिनमें आप दिव्य प्रकाश दुबे, सत्य व्यास, गीत चतुर्वेदी, उदय प्रकाश से शुरुआत कर सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि पहली किताब आप पढ़ती हैं, दूसरी-तीसरी किताब से आप बातें करती हैं और चौथी-पांचवी किताब से आप बहस करने लगती हैं। ऐसे में आप पढ़ने के लिए सीधे कोई किताब हाथों में लेने की बजाय शुरुआत चंपक, टिंकल, चाचा चौधरी और पिंकी जैसे कॉमिक्स से भी कर सकती हैं। उनके रंगीन चित्रों के साथ कम गंभीर बातें आपको न सिर्फ पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे, बल्कि हो सकता है ये किताबें आपको आपके बचपन में ले जाएं।
साहित्य और इतिहास की किताबें हैं सर्वश्रेष्ठ

इन कॉमिक्स के बाद आप अपने आस-पास के स्कूली-कॉलेज के बच्चों की साहित्य और इतिहास की किताबें भी पढ़ सकती हैं, बशर्ते आप उन्हें कहानी के उद्देश्य से पढ़ें। जब आपकी उनमें रूचि होने लगे तो आप अंग्रेजी और हिंदी की थोड़ी सीरियस उपन्यास पढ़ सकती हैं। इनमें आप अंग्रेजी में जहां एनिड बलायतन, हैरी पॉटर, नैंसी ड्रियू, शरलॉक होम्स और अगाथा क्रिस्टी को पढ़ सकती हैं, वहीं हिंदी में आप अंग्रेजी से अनुवादित हिंदी किताबें, महापुरुषों की आत्मकथाएं और साहित्य में मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, हरिवंशराय बच्चन, शिवानी, अमर गोस्वामी और जैनेंद्र कुमार को पढ़ सकती हैं। आप चाहें तो अपनी रूचि अनुसार अहा ज़िंदगी, हंस, वागर्थ, आलोचना, वसुधा और अक्षर जैसी साहित्यिक पत्रिकाएं भी पढ़ सकती हैं।
अपने ‘मी टाइम’ को बनाएं पढ़ने का सही समय

अपने लिए सही किताबों का चयन करने के बाद, उन्हें पढ़ने के लिए एक समय का भी चुनाव कीजिए। हालांकि समय कुछ भी हो सकता है, बशर्ते वो आपका अपना समय हो, जिसे आप ‘मी टाइम’ भी कह सकती हैं। अपने इस ‘मी टाइम’ में कोशिश कीजिए कि जिस किताब को भी आपने अपने लिए चुना है, उसे पूरा पढ़ने की कोशिश कीजिए। यह आपके पढ़ने की शुरुआत है, सो हो सकता है आपको अपना पसंदीदा टॉपिक भी थोड़ा उबाऊ लगे, फिर भी उस किताब को खत्म करने की कोशिश कीजिए। इसके लिए बेहतर यही होगा कि आप अपनी शुरुआत किसी छोटी किताब से करें। इसके अलावा यह भी कोशिश करें कि लेटकर पढ़ने की बजाय, बैठकर पढ़ें, वर्ना पढ़ते वक्त आपके सोने की संभावना सबसे ज्यादा होगी।
मोबाइल की जगह किताबों को दें प्रधानता
ऐसा माना जाता है कि एक अच्छा पाठक वही होता है, जो किसी किताब के साथ पूरे मन से जुड़ जाता है, और ये तभी संभव है, जिससे आपको काफी कुछ सिखने को मिले। इसके लिए आप चाहें तो किताब पढ़ते समय अपने हाथ में कोई पेंसिल लेकर बैठ सकती हैं, जिससे यदि कोई पंक्तियां, किस्से, या कोट्स आपको पसंद आए तो आप उसे मार्क कर लें। ये किस्से और कोट्स आप सोशल प्लेटफॉर्म पर साझा भी कर सकती हैं, जिससे दूसरे लोग भी उस किताब से जुड़ सकें और आपके दिलो-दिमाग में भी वो किताब अंकित हो जाए। हालांकि ये बात भी सच है कि किसी आदत को अपनाना इतना आसान नहीं, लेकिन आप कोशिश तो कर ही सकती हैं। इस आदत को अपनाने के लिए आप चाहें तो रात को मोबाइल की जगह हाथों में कोई अच्छी किताब भी ले सकती हैं। हालांकि अच्छी और बुरी आदतों में सबसे बड़ा फर्क यही होता है कि अच्छी आदतों को लगने में काफी वक्त लगता है।

यदि आप चाहती हैं कि आपके साथ आपका बच्चा भी मोबाइल की जगह किताबों से दिल लगाए तो जरूरी है कि वो आपको पढ़ते हुए देखे, क्योंकि बच्चे वही सीखते हैं, जो वो देखते हैं। इसके लिए बच्चों के साथ कम से कम 15 मिनट साथ बैठकर पढ़ने का नियम बनाएं। जरूरी नहीं कि बच्चों के साथ बैठकर आप कोई किताब ही पढ़ें। आप कोई अखबार, पत्रिका, कॉमिक्स या कोई मज़ेदार विज्ञापन भी पढ़ सकती हैं और उन्हें भी इसमें रूचि लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। आपने जो भी पढ़ा है, उसे अपने बच्चे के साथ शेयर करें और चाहें तो उस पर चर्चा भी कर सकती हैं। यकीन मानिए इससे बच्चों के मानसिक विकास में न सिर्फ मदद मिलती है, बल्कि वे किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित भी होते हैं। हालांकि जब आपको लगे कि अब वे पढ़ने में रूचि ले रहे हैं, तो बच्चों को उनके अनुसार पुस्तकें लाकर दीजिए। आप चाहें तो किसी लाइब्रेरी की मेंबरशिप भी ले सकती हैं, जिससे बच्चों में किताबें एक-दूसरे से बदलने की आदत पड़े। यकीन मानिए एक बार आपके बच्चे को किताबें पढ़ने की धुन लग गयी, तो पूरी उम्र यह आदत छुड़ाए नहीं छूटेगी।
पढ़ते समय रखें इन बातों का ख्याल

भले ही अभी आपको किताबें पढ़ने का शौक न हो, लेकिन इस बात से आप भी इंकार नहीं कर सकती कि किताबों का असर हमारी ज़िंदगी पर काफी होता है। ये ऐसी लत है, जो एक बार लग गई तो चाहकर भी नहीं छूट सकती। ऐसे में यदि आपको भी किताब पढ़ने की लत लग जाए, तो कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। उदाहरण के तौर पर किताबें पढ़ते वक्त बीच-बीच में आँखों को झपकाकर कुछ देर उन्हें आराम दें। लगातार पढ़ना आपकी आँखों के साथ आपके दिमाग के लिए भी अच्छा नहीं है। इसके अलावा जब भी पढ़ें तो लेटकर पढ़ने की बजाय आराम से बैठकर पढ़ें, इससे आपकी गर्दन और कमर में दर्द भी नहीं होगा। रूचि और मनोरंजन के लिए पढ़ने के अलावा यदि आप परीक्षा की तैयारी के लिए पढ़ रही हैं, तब तो आपको कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। विशेष रूप से परीक्षा के दौरान एक ही रात में सब कुछ पढ़ लेनेवाली आदत अच्छी नहीं होती। रिसर्च के अनुसार 50 मिनट तक लगातार पढ़ने के बाद यदि आप ब्रेक न लें तो आप भूलने भूलने लगते हैं, क्योंकि हमारा दिमाग एक निश्चित समय के लिए चीजों को याद कर सकता है, उसके बाद नहीं। ऐसे में पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में ब्रेक ज़रूर लें।