होममेकर को समय निकालकर किताबों का जरिया जरूर अपनाना चाहिए। किताबें न केवल एक महिला की सखी होती है, बल्कि किताबें महिलाओं को जीवन जीने की सीख भी देती है। किताबों की दुनिया में ऐसी एक नहीं बल्कि कई किताबें मौजूद हैं, जहां से आप सेल्फ वर्थ यानी कि खुद की कीमत समझ सकती हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि किताबें पढ़ना व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्म-सम्मान बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। खासकर हाउसवाइफ के लिए ये किताबें न सिर्फ आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं, बल्कि उन्हें अपने जीवन के उद्देश्य को समझने में भी मदद करती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं, ऐसी पांच किताबों के बारे में, जो कि हर महिला को जरूर पढ़नी चाहिए।
‘अपनों को जानो’ किताब समीक्षा

यह किताब भारतीय संस्कृति, पारिवारिक मूल्यों और समाज के संबंधों के बारे में गहरे विचारों को प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक न केवल पारिवारिक रिश्तों की गरिमा को सामने लाती है, बल्कि यह भी बताती है कि हम अपने रिश्तों को कैसे मजबूत बना सकते हैं और एक दूसरे को समझ सकते हैं। ओशो की यह किताब कहीं न कहीं आपकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को प्रभावित करती है। यह किताब बताती है कि कैसे परिवार के लोग एक-दूसरे के साथ मिल-मिलाकर तरीके से रह सकती हैं। यह किताब यह भी बताती है कि एक दूसरे की भावनाओं का आदान-प्रदान रिश्तों को पहले से अधिक सशक्त बनाता है। उल्लेखनीय है कि इस किताब को लिखने की लेखनी बेहद सरल है। लेखक ने अपनी बातों को बहुत ही सहज तरीके से रखा है, ताकि हर व्यक्ति इसे समझ सके, चाहे वह किसी भी आयु वर्ग का हो। इसमें कई उदाहरण और व्यक्तिगत अनुभवों का समावेश किया गया है, जिससे पाठक इसे अपने जीवन से जोड़ सकते हैं। ज्ञात हो कि अपनों को जानो" एक प्रेरणादायक और विचारशील पुस्तक है जो भारतीय परिवारों में रिश्तों की गहरी समझ और सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन देती है। यदि आप रिश्तों की अहमियत को समझने और उन्हें और अधिक सशक्त बनाने के लिए एक गहरी समझ पाना चाहते हैं, तो यह किताब आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।
‘जीवन के कुछ सरल सूत्र’ किताब समीक्षा

श्री श्री रविशंकर की यह किताब आपको अपने जीवन को अच्छी तरह से समझने के लिए मार्गदर्शन करती है। जीवन को सरल बनाते हुए कैसे मानसिक शांति पाई जाती है। एक तरह से देखा जाए, तो यह किताब एक प्रेरणादायक और उपयोगी किताब है,जो कि हमें जीवन को सरल और सरल और सहज बनाने में मार्गदर्शन करती है। इस किताब के माध्यम से लेखन ने जीवन को जटिलताओं को समझने की कोशिश की है। देखा जाए, तो यह किताब उन सभी के लिए है, जो अपने जीवन को बेहतर बनाना चाहते हैं, और जो हर दिन की परेशानियों से हमें बाहर निकालने में सहायता करती है। इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य पाठकों को जीवन के कुछ बुनियादी और प्रभावी सिद्धांतों से परिचित कराना है, जिन्हें अपनाकर वे अपने जीवन को बेहतर, खुशहाल और संतुलित बना सकते हैं। लेखक ने उन सरल, मगर प्रभावी विचारों पर ध्यान केंद्रित किया है, जो किसी भी व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मसंतोष की ओर मार्गदर्शन कर सकते हैं। इस किताब में बताया गया है कि खुद से प्यार करना, सकारात्मक सोच और साधारण जीवन को प्रमोट करती है। इस पुस्तर की लेखनी बहुत ही सहज और सरल है। लेखन ने इसे इतनी सफाई से लिखा है कि कोई भी व्यक्ति इसे आसानी से समझ सकता है। दिलचस्प है कि इसमें हर दिन की कठिनाइयों को लेते हुए कई सारे उदाहरण पेश किए गए हैं। इस किताब में बताया गया है कि सबसे पहले हमें खुद से प्यार करना सीखना चाहिए, क्योंकि जब तक हम से खुश नहीं होंगे , तब तक हम दूसरों को खुश नहीं कर सकते हैं। साथ ही यह किताब जीवन के प्रति सकारात्मक सोच को भी लेकर आती है और साधारण जीवन में जटिलता को कम करने की सीख भी दी गई है। साथ ही यह किताब आपको धैर्य और सहनशीलता भी सीखाती है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो यह किताब बताती है कि जीवन के कुछ सरल सूत्र होते है, जो हमें अपने जीवन को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। यदि आप अपने जीवन को बेहतर बनाने के साथ संतुलित करना चाहते हैं, तो आपको एक दफा इस किताब को जरूर पढ़ना चाहिए।
‘नारी को जानो’ किताब समीक्षा

स्वामी विवेकानंद की किताब नारी को जानो भी नारी के जीवन के प्रेरणादायी सफर को दिखाती है। यह एक तरह से विचारशील और जागरूकता उत्पन्न करने वाली किताब है, जो नारी की शक्ति , महत्व और उसकी सामाजिक भूमिका पर गहरे विचार प्रस्तुत करती है। इस किताब में नारी के जीवन, उसके अधिकारों, और उसकी स्थिति पर चर्चा की गई है, साथ ही यह भी बताया गया है कि समाज मे ंनारी रकी असली पहचान को कैसे समझाया जा सकता है और उसे कैसे सम्मानित किया जा सकता है। देखा जाए, तो यह किताब न केवल महिलाओं के लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रासंगिक है। इस किताब का मुख्य उद्देश्य पाठकों को यह समझाना है कि नारी का अस्तित्व केवल घरेलू या पारंपरिक भूमिका तक सीमित नहीं है। नारी ने समाज में हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है, और इस पुस्तक का उद्देश्य नारी के प्रति भ्रांतियों को दूर कर उसे उसके वास्तविक रूप में प्रस्तुत करना है। लेखक ने नारी को एक सशक्त और सक्षम व्यक्तित्व के रूप में चित्रित किया है। इस किताब में नारी की गरिमा को लेकर अनेक उदाहरण दिए गिए हैं जो कि आज के समय की लगती है, जो कि आपको प्रासंगिक बनाती है। इस किताब में लेखक ने नारी की असली पहचान को उजागर किया है। साथ ही नारी सशक्तिकरण को भी दिखाया है। यह बताया है कि कैसे विभिन्न जरीए से नारी अपनी पहचान बना सकती है और अपने अधिकारों का पालन कर सकती है। साथ ही समाज में नारी की स्थिति पर अपना नजरिया भी पेश किया है। पुस्तक में पारंपरिक भूमिकाओं के बारे में भी चर्चा की गई है, जैसे कि नारी को केवल घरेलू कार्यों तक सीमित किया जाता है, जबकि उसकी क्षमता इन कार्यों से कहीं अधिक है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो यह किताब एक प्रेरणादायक और गहरी सोच वाली किताब है। यह पुस्तक समाज के हर वर्ग को यह संदेश देती है कि नारी को सिर्फ सम्मान देना ही नहीं, बल्कि उसे समान अवसर और अधिकार भी देने चाहिए।
‘अंहकार और आत्ममूल्य’ किताब की समीक्षा

अंहकार और आत्ममूल्य एक तरह से विचारशील किताब है, जो कि इंसान के अंदर का अहंकार और आत्ममूल्य के बीच के संबंध को समझाने की कोशिश की है। यह किताब उन मानसिक और भावनात्मक पहलुओं को उजागर करती है, जो हमारे जीवन में अक्सर विपरीत प्रभाव डालते हैं। इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य पाठकों को यह समझाना है कि अंहकार और आत्ममूल्य के बीच फर्क होता है, और इस फर्क को समझकर हम अपने जीवन को और अधिक संतुलित और खुशहाल बना सकते हैं। लेखक का मानना है कि जब हम अपने आत्ममूल्य को समझते हैं, तो हम दूसरों से तुलना किए बिना अपने जीवन को शांति और संतोष के साथ जी सकते हैं। इस किताब को सहज, प्रभावी और प्रेरणादायक तरीके से लिखा गया है। इस किताब में बताया गया है कि हमारे जीवन में अंहकार का क्या प्रभाव पड़ता है। साथ ही यह किताब अंहकार और आत्ममूल्य के बीच का अंतर भी बताती है। साथ ही जीवन को आध्यात्मकि नजरिया भी प्रस्तुत करती है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो यह किताब एक प्रेरणादायक और विचारशील पुस्तक है, जो भारतीय.परिवारों में रिश्तों की गहबरी समझ को प्रस्तुत करती है।
‘मनुष्य को आत्मनिर्भर कैसे बनाएं’ किताब समीक्षा

डॅा. ए. पी. जे अब्दुल कलाम की यह किताब आत्मनिर्भरता और आत्म सम्मान पर आधारित है। यह किताब हाउसवाइफ को अपने जीवन में आत्मनिर्भर बनने और खुद पर .यकीन करने की योग्यता प्रदान करती है। लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से यह सिद्धांत प्रस्तुत किया है कि केवल आत्मनिर्भर बनकर ही हम अपने जीवन में वास्तविक स्वतंत्रता और सफलता पा सकते हैं। यह किताब न केवल व्यक्तित्व विकास के लिए है, बल्कि समाज में हर व्यक्ति की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए भी एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक साबित हो सकती है। इस पुस्तक में मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्तर को भी प्रस्तुत करती है। इस किताब में लेखक ने आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता के रास्ते को दिखाया है। कुल मिलाकर देखा जाए,तो यह किताब हमें आत्मनिर्भरता बनने के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। अगर आप अपने जीवन में आत्मनिर्भरता लाना चाहते हैं, तो यह किताब आपके लिए एक बेहतरीन मार्गदर्शक हो सकती है।