हिंदी साहित्य में कविता लय की तरह कार्य करती है, जो कि काव्य के शब्दों को उच्चारण के साथ ही खिलने और ताल मिलाने का रास्ता दिखाती है। कविता की खूबी यह होती है कि जब भी कविता सुनी या पढ़ी जाती है, तो ऐसा मालूम होता है कि शब्द अपने लय की धुन पर नाच रहे हैं। यही वजह है कि कविता का महत्व और भी बढ़ जाता है। भले ही कविता केवल दो पंक्ति की हो या फिर दो सौ शब्दों की। कविता हमेशा अपने लय में किसी माहौल जरूर बना देती है। अकेले में सुनी या बोली गई कविता का उतना ही महत्व होता है, जितना एक समुदाय में बोली गई कविता का होता है। कविता को समझने और अपनाने का तरीका हर किसी का अलग होता है। सोशल मीडिया के जमाने में कविता का महत्व पहले से अधिक बढ़ गया है। आइए विस्तार से जानते हैं साहित्य में हिंदी कविता का भविष्य कैसा हो सकता है।
क्या है कविता का अर्थ
कविता का सीधे तौर पर यह शाब्दिक अर्थ होता है कि काव्यात्मक रचना या कवि की कृति , जिसे शब्दों और भावों के बंधन से बांधा जाता है। एक लय में सभी शब्दों का तालमेल करते हुए कविता की माला पिरोई जाती है। माना गया है कि साहित्य में कभी भी कविता को परिभाषित नहीं किया गया है। इसती वजह यह है कि हर किसी के मन की स्थिति शब्दों के साथ जब कविता के रूप में समक्ष आती है, तो उसका रूप अलग होता है। आप यह मान सकती हैं कि जितने मनुष्य उतनी अनुभूति।
वक्त के साथ बदलती कविता
वक्त के साथ कविता ने अपना रंग बदला है। समाज की बदली हुई सोच का असर सीधे तौर पर कविता पर दिखाई देने लगा है। पहले जहां पर धर्म, आस्था और समाज पर कविताएं अधिक लिखी जाती थीं, वहीं बदलते वक्त के साथ आधुनिक युग में कविताएं तर्क, प्रेम और जीवन दर्शन को लेकर लिखी जाती हैं। पहले जहां लंबी कविताओं का वर्चस्व साहित्य में दिखाई पड़ता था, वहीं बदलते समय के साथ कविता केवल दो या तीन पंक्तियों में सिमट कर भी अपनी पहचान कायम करती आ रही हैं। कविता की खूबी यह है कि यह अहसासों के साथ मानव जीवन के सारे भाव क्रोध, प्रेम, लालच, आलस, अकेलेपन और संस्कृति के साथ समाज को भी बखूबी खुद में सिमट लेती है। कविता का यह स्वरूप भी दिख कर सामने आया है कि सरल शब्दों के साथ भी कविता को आसानी से भावों के माला में पिरोया जा सकता है। शायद यही वजह है कि आधुनिक कविता ज्यादा प्रामाणिक और व्यक्ति मन और समाज को समझने में अधिक सरल रही है।
आधुनिक कविता के सामने प्राचीन काव्य
प्राचीन काव्य में काव्य का आदर्श स्वरूप ही दिखाया गया है। आधुनिक समय के आने के साथ ही प्राचीन काव्य का रूप प्रचलन से बाहर जाता हुआ भी प्रतीत हो रहा है। जानकारों का मानना है कि प्राचीन काव्य बदलते वक्त के साथ अपना स्वरूप बदलने में सक्षम नहीं रह पा रहा है। प्राचीन काव्य नए विषयों, व्यवस्था परिवर्तन,सामाजिक दिक्कतें और विसंगति जैसे सवालों को कविता के रूप में ढालने में सक्षम नहीं रह पाया है। आधुनिक समय में कविता को प्रेम, अकेलानपन और जीवन दृष्टि से जुड़े विषयों से युक्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि कविता लिखने के लिए या फिर सोचने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं है। यह केवल मानवीय भावनाओं और सोच पर आधारित होती है। यही वजह है कि स्कूल जाता हुआ लड़की भी अपने सोच के पंख खोलते हुए कविता लिख सकती है, वहीं 60 साल की बुर्जुग महिला भी अपने जीवन और एंकात के अनुभव पर कई पन्ने कविता से भर सकती हैं।
कविता का सही मूल्यांकन
प्राचीन युग से लेकर आधुनिक समय तक कविता का सही मूल्यांकन हमेशा ही हुआ है। हिंदी कविता ने हर बार हर दशक के साथ अपने कहने के तरीके को बदला है। इसकी वजह यह भी है कि हिंदी कविता हमेशा से वर्तमान पर कार्य करती रही है। बहुत ही कम ऐसी कविता है, जो कि बीते हुए समय के किस्से बयान करती हैं। कविता का अर्थ हमेशा से यही रहा है कि मैंने आज क्या देखा और क्या महसूस किया है। कविता के जरिए ही जीवन का सत्य और सब प्रकार के अनुभवों को व्यक्त किया जा सकता है। यह भी माना गया है कि कविता लिखना, पढ़ना और सुनना मानव जीवन के लिए संजीवनी का काम भी करती है। कविता न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि कविता शिक्षा और आदर्श जीवन शैली के लिए भी सीख प्रदान करती है। आपके विचारों को स्वतंत्र करने, किताबों से दोस्ती और तनाव दूर करने में भी खुद को शिक्षित करने में भी कविता का बड़ा योगदान अहम माना गया है।
भागदौड़ के जीवन में कविता
भागदौड़ के जीवन में कविता भी भागती हुई सी प्रतीत हो रही है। मुमकिन है कि आने वाले वक्त में कविता का यही स्वरूप देखने को मिले, जहां पर कविता केवल एक वाक्य से पूरी होती हुई दिखाई दे। कहा जाता है कि कविता जब भी लिखी जाती है, तो वह सोच के लंबे दरवाजे खोलते हुए कई शब्दों की गांठ जोड़ते हुए पैराग्राफ में सिमटी हुई दिखाई देती है, वहीं शायरी केवल एक या दो वाक्यों में बंधी होती है।माना जा रहा है कि आने वाले समय में शायरी के दो वाक्य को कविता ने अपना लिए हैं। कई ऐसे लेखक हैं, जो कि कविता को दो या तीन लाइन में खत्म करना पसंद करते हैं। इसका साफ उदाहरण सोशल मीडिया पर साफ तौर पर देखा जा सकता है, जहां पर दो लाइन के साथ कविताएं अपने जीवन को जीती हुई दिखाई पड़ रही हैं। साहित्य की पृष्ठभूमि पर भी कविताओं ने कई नए कवियों को जगह दी है, जो कि एक या दो लाइन की कविता के साथ किताबें छाप कर ख्याति प्राप्त कर रहे हैं।
सोशल मीडिया के दौर में कविता
डिजिटल युग में कविताओं ने भी खुद को डिजिटल बना दिया है। दो मिनट की रील के साथ इन दिनों इंस्टाग्राम पर 2 मिनट की कविताएं भी दिखाई दे रही हैं। इंस्टाग्राम पर कई ऐसे कवि मौजूद हैं, जो कि अपने जीवन के किस्सों को 2 या 3 वाक्यों में समेटते हुए खुद की आवाज के साथ ट्रेंड हो रहे हैं। नए जमाने की कविता ने कई सारे कवि और कविताएं दी हैं। कई सारे ऐसे वायरल पोस्ट गूगल पर मौजूद हैं , जो कि अज्ञात नाम से वायरल कविताएं बन गई हैं। आने वाले समय में साहित्य में कविता का रंग और स्वरूप पूरी तरह से डिजिटल क्रांति के कब्जे में आ चुका है। हिंदी कविता का भविष्य सोशल मीडिया के दौर में बदलता और निखरता हुआ दिखाई दे रहा है।
पन्नों से दूर होती हुई कविता
कविताएं बीते कई सालों से पन्नों पर कलम के माध्यम से अपने किस्से बयान करती रही है। प्रिंट के युग में कविताओं ने छपना शुरू किया है, वहीं डिजिटल दुनिया में कविताएं पन्नों से पूरी तरह से दूर होती हुई दिखाई दे रही हैं। युवा पीढ़ी किताबें खरीदने की जगह किंडल पर कविताएं और कहानियां सुनना पसंद कर रही है। यही वजह है कि कविताओं की किताबें किंडल रूप में अधिक खरीदी जा रही हैं। एक वजह यह भी है कि हार्ड कॉपी खरीदने के दौरान प्रिंट की कीमत भी खरीददार को अदा करनी पड़ती है, वहीं किंडल कॉपी में ऐसा नहीं करना होता है। इसी वजह से कविताएं डिजिटल समय में अपना वेशभूषा भी बदलती जा रही है। हिंदी की नई पीढ़ी के कवियों में भाषाओं में काफी बदलाव देखा गया है। शब्द ऐसे इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जो कि बोल-चाल वाले हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि हिंदी साहित्य नें कविता और कहानियों में शब्दों की साधारणता आती हुई दिख रही है। कविता और कहानियों का ध्यान शब्दों से अधिक भावनाओं से हैं। मुश्किल शब्दों की जगह आसान शब्दों में कविताओं के भावों को व्यक्त किया जा रहा है। आप इसे हिंदी कविता का आसान युग भी समझ सकते हैं। प्राचीन शब्दों में भारी शब्दों का इस्तेमाल कर कविता को भी वजनदार किया जाता था। वर्तमान में सरल शब्दों में पाठकों तक कविता की भाषा पहुंचाई जा रही है।
हिंदी की लोकप्रिय कविताएं और कवि
केदारनाथ सिंह की कविता ने जाना ने कम शब्दों में अहसासों की बागनी लगा दी है। केदारनाथ सिंह अपनी कविता में कहते हैं कि ‘मैं जा रही हूं , उसने कहा, जाओ, मैंने उत्तर दिया, यह जानते हुए कि जाना हिंदी की सबसे खौफनाक क्रिया है’, वहीं हिंदी कविता के इतिहास के सबसे लोकप्रिय नाम इस प्रकार रहे हैं, माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त, हरिवंशराय बच्चन,महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला,रामधारी सिंह दिनकर , शमशेर बहादुर सिंह,नागार्जुन, अज्ञेय, त्रिलोचन, रघुवीर सहाय, धूमिल और राजकमल चौधरी का रहा है।