स्कूल की किताबें हम सभी के लिए हमेशा से कहानियों की दुनिया रही हैं। जहां पर जीवन से जुड़ी कई छोटी- बड़ी सीख मिलती है। क्यों न, एक बार फिर से हमारी स्कूल की किताबों की कहानी पर जमी धूल को हटा कर, जीवन के सीख ली जाएं। आइए विस्तार से जानते हैं स्कूल की किताबों में मौजूद प्रेरणादायक कहानियों के बारे में।
कछुआ और खरगोश
स्कूल की किताबों की सबसे अधिक लोकप्रिय कहानी कछुआ और खरगोश की रही है। खरगोश अपनी गति और चतुराई के लिए जाना जाता है। कछुआ धीमी गति से चलने वाला सरल पशु है। एक दिन खरगोश ने सोचा कि कछुए से दौड़ लगाई जाए। कछुआ इस बात पर खरगोश से सहमत हो गया और उसके साथ दौड़ लगाने के लिए तैयार हो गया। दोनों के बीच दौड़ शुरू हो गई और इस दौड़ में खरगोश अपनी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। खरगोश ने कुछ देर घमंड में आकर ठहरकर सोचा कि आराम कर लिया जाए। कछुए की गति काफी धीमी है, ऐसे में मुझे हरा नहीं पाएगा। खरगोश ने सोचा कि मैं कुछ देर झपकी ले लेता हूं। खरगोश ने ऐसा ही किया और सोने के लिए चला गया। खरगोश फिनिशिंग लाइन से पहले पेड़ के नीचे सो गया। खरगोश बिना किसी परेशानी के आराम से अपने घमंड भरी सोच के साथ सो गया। खरगोश की लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि कछुआ धीरे-धीरे अपनी गति से चलकर फिनिशिंग लाइन को पार करके इस दौड़ में जीत हासिल कर लेता है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि आलस्य और घमंड हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। खुद पर विश्वास हमें जीवन में सफलता की तरफ लेकर जाता है।
ऐसे मिला छिपा खजाना
एक बूढ़ा व्यक्ति मृत्यु के कगार पर था। बूढ़े व्यक्ति के बेटे आलसी थे। बेटों की हालत बूढ़े व्यक्ति ने सोचा कि मेरी मृत्यु के बाद उनका क्या होगा, इसी सोच के साथ बूढ़े व्यक्ति ने अपने बेटो को बुलाया और उनसे कहा कि मैंने मैदान में एक बड़ा खजाना गाड़ दिया है। यह कहने के कुछ दिन बाद उस बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई। इसके बाद तब उनके पुत्रों ने खेत में खजाने की बहुत खोज की। लेकिन असफल रहे हैं। इस पूरे वाकये के बाद तब गांव के एक बूढ़े आदमी द्वारा उन्हें खेत में बीज बोने की सलाह देने पर उन्होंने कुछ बीज बोए। इसके कुछ समय बाद बेटों को गेहूं की फसल मिली। और इस वक्त उन्हें यह गेहूं सोने की तरह लग रहा था और यही बूढ़े आदमी का खजाना था। इस कहानी से हमें .यह सीख मिलती है कि लालच से केवल निराशा हाथ लगी है।
चूहे ने की शेर की मदद
एक बार एक शेर पेड़ के नीचे सो रहा था। अचानक से पेड़ के बिल से एक चूहा बाहर आया और शेर के शरीर पर कूद गया। शेर ने उसे पकड़ लिया और फिर कुछ सोच कर उसे अपनी कैद से आजाद कर दिया। चूहा इस बात से बहुत खुश होता है और शेर को धन्यवाद देते हुए कहता है कि एक दिन जरूरत पड़ने पर वह शेर की जरूर मदद करेगा। इसके कुछ दिनों बाद शेर एक शिकारी के जाल में फंस गया और शेर ने दहाड़ा। शेर की आवाज सुनकर चूहा वहां आया और उसने जाल को काटकर शेर को जाल से मुक्त किया। शेर इस बात से बहुत खुश हुआ और चूहा को धन्यवाद किया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जरूरत के वक्त कोई छोटा या बड़ा नहीं होता। अगर हम किसी की सहायता करते हैं, तो दूसरा भी हमारी सहायता करता है।
मोर की शिकायत
एक बार एक मोर था , जो कि दिखने में बहुत ही खूबसूरत था और उसके पंख भी बहुत ही सुंदर थे। एक दिन बहुत ही तेज बारिश हुई और मोर नाचने लगा। नाचने के दौरान मोर बार-बार अपनी खूबसूरती को देख रहा था, तभी उसका ध्यान उसकी आवाज पर गया। जब उसने अपनी आवाज सुनी, तो उसे आवाज कठोर सुनाई दी। जैसे ही मोर को अपनी आवाज का अहसास हुआ, तो वह पूरी तरह से उदास हो गया। अपनी आवाज को सुनकर मोर की आंखों में आंसू आ गए। इसी वक्त उसे एक कोयल के गाने की आवाज सुनाई दी। कोयल की मधुर आवाज सुनकर मोर को उसकी कमी का अहसास होने लगा। मोर यह सोचने लगा कि भगवान ने उसे सुंदरता दी है, लेकिन उसे बेसुरा क्यों बना दिया है। मोर सोच ही रहा था कि तभी एक देवी उसके सामने आयी और बोलने लगी कि मोर तुम क्यों उदास हो। मोर ने अपनी कठोर और रोने वाली आवाज में शिकायत करते हुए कहा कि कोयल की आवाज इतनी मीठी है और मेरी आवाज क्यों मीठी नहीं है? मोर के इस सवाल का जवाब देते हुए देवी ने समझाने के भाव से कहा कि भगवान ने सभी का हिस्सा तय करके रखा है। हर जीव अपने तरीके से खास होता है। भगवान ने हर किसी को अलग- अलग बनाया है और वो भी एक तय काम के लिए है। भगवान ने मोर को सुंदरता दी, शेर को ताकत और कोयल को मीठी आवाज दी है। हम सभी को भगवान के दिए गए उपहारों का सम्मान करना चाहिए और जो मिलता है उसी में खुश रहना चाहिए। मोर को इस बात अहसास हुआ और वह यह समझ गया कि हर व्यक्ति अपने आप में खास होता है। किसी एक की तुलना किसी दूसरे से नहीं करना चाहिए।इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो आपके पास है उसमें खुश रहना चाहिए और जो आपके पास नहीं है, उसे सोचकर दुखी नहीं होना चाहिए। जीवन में स्वीकार करने की भावना होनी चाहिए।
दो माली
एक बार दो पड़ोसी थे, जिनके पास अपना-अपना बागान था। दोनों ही अपने बागान में पौधे लगाते थे। उनमें से एक पड़ोसी बहुत सख्त था, जो कि पौधों की ज्यादा फ्रिक करता था। इसी के नतीजन पौधों की जरूरत से अधिक देखभाल करता था। दूसरा पड़ोसी, उतना ही करता था, जीतने की आवश्यकता पौधों को हुआ करती है। साथ ही वह पौधों को उनकी मर्जी के हिसाब से बढ़ने देता था। अगले ही दिन बहुत तेज बारिश हुई और इस तूफान ने कई सारे पौधों को नष्ट कर दिया। अगली सुबह जब सख्त पड़ोसी उठा और उसने अपने पौधों की ऐसी हालत देखी और दुखी हो गया। उसने पाया कि सारे पौधे उखड़ गए हैं और बर्बाद हो गए। वहीं दूसरे पड़ोसी के सारे पौधे मिट्टी में मजबूती से अपनी पकड़ बनाए हुए थे। हुआ यूं कि शांत पड़ोसी ने अपने पौधों को जितनी जरूरत थी, उतना ही ध्यान रखा। साथ ही पौधों को खुद ही खुद से मजबूत होने का मौका दिया। इस वजह से उनकी जड़े मजबूती से जमीन में पकड़ी हुई थी। सख्त पड़ोसी ने ऐसा नहीं किया और जरूरत से ज्यादा ध्यान रखने के कारण पौधों की जड़ कमजोर हो गई थी। सख्त पड़ोसी के पौधे खुद का ख्याल रखना भूल गए थे। जिसका नुकसान उन लोगों को चुकाना पड़ा।इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर चीज की अति अच्छी नहीं होती है।
तीन मछलियां
एक तालाब में तीन मछलियां रहती थीं। तीनों मछलियां काफी अच्छी दोस्त थें और सब कुछ एक साथ किया करते थे। एक दिन एक मछुआरा तालाब के पास आता है और तीनों मछली को देखकर बहुत खुश होता है और तीनों को पकड़ने की योजना बनाता है। मछुआरे का इरादा समझकर तीनों में से एक बुद्धिमान मछली ने एक अलग तालाब खोजने की योजना बनाई और बाकी की दोनों मछलियों से चलने के लिए कहा। एक मछली ने हामी भरी और दूसरी मछली ने कहा कि यही तालाब हमारा घर है। वह इस तालाब को छोड़कर नहीं जाएगी। इसके बाद मछली ने आगे कहा कि आज तक इस तालाब में कभी कोई खतरा नहीं था। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि यह तालाब छोड़कर कहीं दूसरी जगह जाने की जरूरत है और तालाब छोड़कर दूसरी जगह जाना कायरता होगा। हालांकि दोनों मछलियां इस पर राजी नहीं होती हैं और तालाब को छोड़कर जाने का फैसला करती हैं। अगले दिन मछुआरा जाल बिछाकर मछली पकड़ता है। तालाब में बची हुई एक मछली फंस जाती है, और बाकी की दोनों मछलियां , जो तालाब छोड़कर गई हैं, वो बच जाती हैं। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी कठिन परिस्थिति का सामना करने के लिए हमेशा विवेक का सहारा लेना चाहिए। अपनी भावनाओं पर काबू पाना चाहिए।