21वीं सदी में अपने विचारों से लोगों के जीवन को सकारात्मकता का मार्ग दिखाने का कार्य विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद ने किया। कई लोगों के जीवन से नकारात्मकता और निराशा को दूर करने का कार्य स्वामी विवेकानंद वर्तमान में अपने विचारों से करते आ रहे हैं। ‘अपनी जिंदगी के नायक खुद बनो’, इस तरह के विचारों के साथ स्वामी विवेकानंद कई लोगों के जीवन के आदर्श बने हैं। आज ‘साहित्य की खिड़की’ में हम स्वामी विवेकानंद के ऐसे ही 10 विचारों से खुद को रूबरू कराने जा रहे हैं, जो कि हमें कहीं न कहीं जीवन को सही दिशा में सुचारू तौर पर आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। आइए इन विचारों को पढ़ने के साथ उसे अपने जीवन में अपनाने का उद्देश्य जगाते हैं।
1-स्वामी विवेकानंद का कहना था कि इंसान ईश्वर में तब तक विश्वास नहीं कर सकता, जब तक उसे खुद पर विश्वास न हो।
2- स्वामी विवेकानंद ने जीत और हार को लेकर भी अपने विचारों को साझा किया। उन्होंने कहा था कि अगर आप जीते तो आप संचालन करेंगे और अगर हारे तो मार्गदर्शन।
3- खुद को कभी भी नकारात्मक विचारों से नहीं आंकना चाहिए। इस पर स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे। यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे।
4- विचारों पर उन्होंने कहा है कि एक विचार लो। उस विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो, उस विचार को जियो। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों,नसों और शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो। यही सफल होने का तरीका है।
5- यह याद रखें कि किसी दिन जब आपके सामने कोई समस्या न आए, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
6- खुद से मुलाकात को भी उन्होंने जीवन के लिए अहम बताया था। उनका मानना था कि दिन में एक बार स्वंय से बात करें, अन्यथा आप एक बेहतरीन इंसान से मिलने का मौका चूक जायेंगे।
7- यदि आप दुनिया बदलना चाहते हैं, तो आपको पहले खुद पर यकीन करना होगा। आपको अपने आप पर विश्वास करने की जरूरत है और जो आपको लगता है आपके लिए सही है और दूसरों की राय को जाने और अपनी मान्यताओं के बारे में जाने दिए बिना चलते रहना चाहिए।
8- सारे उत्तरदायित्व अपने कंधों पर ले लो। याद रखो तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। सारी शक्ति तुम्हारे अंदर है।
9-अनुभव सर्वश्रेष्ठ गुरु है। हम अक्सर इस का गुणगान करते हैं, परंतु असलियत में इसके अर्थ से अनभिज्ञ हैं।
10- क्या तुम अनुभव नहीं करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नहीं है। बुद्धिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढ़तापूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चाहिए। धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो जाएगा।