विशेष रूप से बच्चों के लिए लिखे जानेवाले साहित्य को बाल साहित्य की श्रेणी में रखा जाता है, जिनमें कहानियां, कविताएं, नाटक, गीत, चित्र पुस्तकें और अन्य विधाएं शामिल हो सकती हैं। मूल रूप से बाल साहित्य का उद्देश्य बच्चों का मनोरंजन करने के साथ उन्हें शिक्षित करना और उन्हें दुनिया के बारे में सिखाना है। आइए विस्तार से जानते हैं कि किस तरह बच्चों को साहित्य से जोड़कर उनका विकास किया जा सकता है।
बच्चों को साहित्य से जोड़ने के तरीके
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बच्चों को साहित्य से जोड़ने का सबसे सरल, सटीक और श्रेष्ठ तरीका है, कि उन्हें नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रेरित करें, जिससे उनमें पढ़ने की आदत विकसित हो। इससे न सिर्फ उन्हें शब्दों और वाक्यों को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि उनकी कल्पनाशक्ति भी बढ़ेगी। कोशिश कीजिए कि बच्चों का झुकाव विशेष रूप से साहित्यिक किताबों की तरफ हो, जिससे उन्हें विभिन्न लेखकों और शैलियों से परिचित होने का मौका मिले। संभव हो तो बच्चों की कल्पनाशक्ति बढ़ाने के लिए उन्हें कहानियां सुनाएं और लेखन के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उन्हें अपने विचारों को व्यक्त करने के साथ उनके अंदर साहित्य को लेकर भी रूचि बढ़ेगी। यदि आपके पास समय हो तो अन्य पैरेंट्स से बातचीत करके आप एक बाल साहित्यकारों की एक कमिटी भी बना सकती हैं, जो बाल साहित्य की मॉनिटरिंग करे। इसके अलावा कोशिश करें कि डिजिटल मीडियम के द्वारा भी उन्हें बाल साहित्य से जोड़ा जा सके।
बाल साहित्य की विशेषताएँ
एक अच्छे बाल साहित्य की विशेषता यही है कि वो आकर्षक होने के साथ रोचक भी हो। बच्चों का ध्यान आकर्षित करने और उन्हें कहानी में डुबो देने में सक्षम होने के साथ यह भी ज़रूरी है कि उसकी भाषा और विषय वस्तु, बच्चों के उम्र और उनकी समझ के अनुरूप हो। एक अच्छे बाल साहित्य का कल्पनाशील और रचनात्मक होना भी बहुत ज़रूरी है। बच्चों की कल्पना को जगाने और उन्हें नई चीजों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है एक अच्छा बाल साहित्य। बच्चों का मन-मस्तिष्क दुनियावी बातों से बेखबर होता है, ऐसे में जरूरी है कि उनके लिए रचा गया बाल साहित्य सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील हो, जिससे वे विभिन्न संस्कृतियों और दृष्टिकोणों का सम्मान करना सीखें। बच्चों को एक बेहतर युवा बनाने के लिए यह भी जरूरी है कि उनमें नैतिक मूल्यों की समझ विकसित की जाए और इसके लिए जरूरी है कि उनका परिचय एक ऐसे साहित्य से करवाया जाए, जो उन्हें अच्छे और बुरे के बीच अंतर करना सिखाए। यदि इन किताबों में सकारात्मक मूल्यों को स्पष्ट करती उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें हों, तो ये और अच्छी बात होगी।
बाल साहित्य के प्रसिद्ध लेखक
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गौरतलब है कि जॉन न्यूबी को बच्चों के लिए साहित्य रचनेवाला पहला साहित्यकार माना जाता है, जिन्होंने सत्रहवीं शताब्दी के दौरान बच्चों को ध्यान में रखकर साहित्य रचना की थी। सिर्फ यही नहीं 1658 में, बोहेमिया में जॉन अमोस कोमेनियस ने छः वर्ष से कम उम्र के बच्चों को साहित्य से जोड़ने के लिए रोचक कहानियों के साथ आकर्षक तस्वीरों वाली ऑर्बिस पिक्टस प्रकाशित की थी। इसे विशेष रूप से बच्चों के लिए निर्मित पहली चित्र पुस्तक भी माना जाता है। तब से लेकर अब तक बच्चों को ध्यान में रखकर दुनिया भर में कई साहित्यकारों ने अपना योगदान दिया, जिनमें प्रेमचंद और महादेवी वर्मा के साथ हिंदी के कमोबेश सभी साहित्यकारों ने बच्चों के लिए साहित्य रचा। अंग्रेजी में रस्किन बॉन्ड, रवींद्रनाथ टैगोर, सुभाष चंद्र बोस, जर्मन ब्रदर्स जैकब ग्रिम और विल्हेल्म ग्रिम, जेके रोलिंग, डॉक्टर सीस, रोनाल्ड डाहल, डेनिश लेखक हंस क्रिश्चियन एंडरसन और रुडयार्ड किपलिंग ने बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ साहित्य की रचना की है। फिलहाल वर्तमान समय की बात करें, तो हिंदी साहित्य में प्रभात, बांग्ला में नबनिता देव सेन, मराठी में माधुरी पुरंदरे, कन्नड़ में नागेश हेगड़े और मल्यालम में प्रोफेसर एस. शिवदास बच्चों के लिए बढ़िया साहित्य सृजन कर रहे हैं। इन साहित्यकारों के अलावा बच्चों के लिए रचे गए साहित्य की बात करें तो हिंदी में जातक कथाओं और पंचतंत्र की कहानियों के साथ बच्चों को ध्यान में रखकर बनाए गए मनोरंजक मैगजीन चंपक और चंदा मामा के अलावा कई ऐसे कॉमिक्स भी रहे हैं, जिन्होंने 80-90 के दशक में न सिर्फ बच्चों का मनोरंजन किया, बल्कि उन्हें पढ़ने के लिए भी प्रेरित किया।
बच्चों के विकास के लिए ज़रूरी है बाल साहित्य
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कहानियों के माध्यम से बच्चों का मनोरंजन करने के साथ बाल साहित्य उन्हें शिक्षित भी करता है। उदाहरण के तौर पर आप साहित्य के द्वारा बच्चों को इतिहास, विज्ञान, प्रकृति और विभिन्न संस्कृतियों की जानकारी आसानी से दे सकती हैं। बच्चों की कल्पना शक्ति और रचनात्मकता को विकसित करने के लिए भी बाल साहित्य जरूरी है । सिर्फ यही नहीं उनके भाषा कौशल को विकसित करने में भी बाल साहित्य बेहद मददगार होता है, क्योंकि कहानियां पढ़ने और सुनने से वे नई शब्दावली सीखते हैं। बाल साहित्य बच्चों को विभिन्न भावनाओं को समझने और दूसरों के साथ सहानुभूति रखने में मदद करने के साथ उन्हें एक सामाजिक इंसान भी बनाते हैं।