पेरेंटिंग यानी की परवरिश को लेकर कई सारी किताबें बाजार में मौजूद हैं, जो कि कई माता-पिता की पसंद बन चुकी है। पेरेंटिंग को लेकर कहा जाता रहा है कि परवरिश के लिए किताबें नहीं अनुभव काम आते हैं। लेकिन अक्सर लोग पेरेटिंग पर शुरुआती शिक्षा के लिए और बच्चों के भाव को समझने के लिए किताबों का सहारा लेते हुए दिखाई देते हैं। आज हम आपके सामने पेरेंटिंग से जुड़ी किताबों का जिक्र करने जा रहे हैं, जो बच्चों की परवरिश में मार्गदर्शन का काम करती हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
शिव खेड़ा की किताब ‘बच्चों की परवरिश’

परवरिश में मूल्यों और नैतिक शिक्षा पर शिव खेड़ा की यह किताब खास जोर देती है। उनका कहना है कि बच्चों को वास्तविक पहलुओं को भी सिखना चाहिए। इसमें खास तौर पर जीवन के हर पड़ाव पर मिलने वाले रिश्ते से ईमानदारी और परिश्रम के महत्व को भी बताया है। किताब में यह भी कहा गया है कि बच्चों के लिए एक सकारात्मक और प्रेरणादायक माहौल बनाना जरूरी है। यदि माता-पिता खुद उदाहरण प्रस्तुत करें और सकारात्मक सोच अपनाएं, तो बच्चे भी यही गुण अपनाते हैं। उन्होंने अपनी किताब में अनुशासन और आजादी का संतुलन भी बताया है। इस किताब में बच्चों के जीवन में लक्ष्य निर्धारित की महत्ता पर भी जोर दिया गया है। उनका कहना है कि बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि सफलता का रास्ता लगातार प्रयासों से होता है और असफलता भी जीवन की सीख का एक हिस्सा है। कुल मिलाकर यह किताब बच्चों की परवरिश में माता-पिता का मार्गदर्शन करती है। यह किताब बच्चों को न केवल शारीरिक तौर पर बल्कि मानसिक और भावनात्मक तौर पर भी स्वस्थ और सक्षम बनाने की राह दिखाती है। यह किताब न केवल माता-पिता के लिए, बल्कि किसी भी व्यक्ति के लिए जो बच्चों के साथ काम करता है, एक प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
स्वामी विवेकानंद की किताब ‘मां-बाप बनने का सही तरीका’

स्वामी विवेकानंद की यह किताब भी माता-पिता का मार्गदर्शन सही तरीके से करने का प्रयास करती है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि बच्चों को सही संस्कार और सद्गुण सिखाना सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने माता-पिता से यह अपेक्षाएं रखी जाती हैं कि वे अपने बच्चों को केवल बाहरी शिक्षा न दें, बल्कि उनके भीतर नैतिकता, आदर्श और उच्च मानवीय गुणों का भी विकास करें। इस किताब में बच्चों को आध्यात्मिक और मानसिक विकास पर जोर देने की राह भी दिखाई गई है। उन्होंने इस किताब में कहा है कि बच्चों को केवल शारीरिक विकास जरूरी नहीं है, बल्कि मानसिक विकास भी जरूरी है। इस किताब में भी उन्होंने सुझाव दिया है कि माता-पिता को खुद एक आदर्श बनकर बच्चों के लिए एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि माता-पिता बच्चों के जीवन का आदर्श होते हैं, वहीं उनकी पाठशाला बन जाते हैं। इस किताब में स्वामी विवेकानंद ने यह भी बताया कि माता-पिता को बच्चों को आदर्श व्यक्तित्व के तौर पर खुद को ढालने का प्रयास करना चाहिए। इस तरह आप बच्चों के जीवन में आदर्श विचारों को प्रेरित कर सकती हैं। कुल मिलाकर यह किताब सिखाती है कि कैसे परवरिश के जरिए समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।
शंकर पांडे की किताब ‘हमारे बच्चे हमारा भाग्य’

शंकर पांडे की यह किताब एक तरह से मानसिक और सामाजिक विकास पर आधारित है। इस किताब के जरिए बच्चों के भविष्य को आकार देने में मदद मिलती है। साथ ही माता-पिता को एक अच्छा मार्गदर्शन भी मिलता है। इस पुस्तक में शंकर पांडे ने बच्चों की परवरिश में माता-पिता की भूमिका पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है और यह बताया है कि कैसे बच्चों को सही दिशा देने से न केवल उनका बल्कि समाज और राष्ट्र का भी भविष्य उज्जवल हो सकता है। किताब में शंकर पांडे यह बताते हैं कि माता-पिता को बच्चों के लिए एक आदर्श बनकर उनके जीवन में दिशा देने की आवश्यकता है। लेखक ने यह भी बताया है कि बच्चों के अच्छे पालन से न केवल परिवार बल्कि समाज और राष्ट्र का भविष्य भी तय होता है। इसके साथ इस किताब में शंकर पांडे ने आधुनिकता और पारंपरिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को भी समझाया है। इस किताब में शंकर पांडे ने यह बताया है कि अगर बच्चों में आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच विकसित होती है, तो वे किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं और जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए, तो इस किताब में बच्चों की सही परवरिश और उनके उज्जवल भविष्य के लिए माता-पिता के कर्तव्यों पर गहरे विचार भी प्रस्तुत किए हैं। इस किताब के जरिए यह संदेश मिलता है कि बच्चों के साथ किए गए अच्छे बर्ताव और उनके जीवन में अच्छे संस्कारों का प्रभाव न केवल उनके जीवन पर, बल्कि समाज और राष्ट्र पर भी पड़ता है।
सुरेश शर्मा की किताब ‘मां-बाप के लिए पेरेंटिग गाइड’

सुरेश शर्मा की इस किताब की खूबी यह है कि यह किताब न केवल माता-पिता का मार्गदर्शन करती है, बल्कि बच्चों के साथ संवाद और उनके मानसिक और भावनात्मक विकास और अन्य तरह की समस्याओं को सुलझाने का कार्य भी करती है। यह ऐसी समस्याएं हैं, जिनका सामना माता-पिता अक्सर करते हैं। यह किताब माता-पिता को समझाती है कि अपने बच्चों के साथ आपको हमेशा सकारात्मक रिश्ता रखना चाहिए। इस किताब में वे इस बात पर जोर देते हैं कि पेरेंटिंग एक गहरी समझ और धैर्य का काम है, जिसमें माता-पिता को बच्चों की भावनाओं को समझना और उनका सम्मान करना चाहिए। इस किताब में यह बताया गया है कि एक बच्चे के जीवन में माता-पिता की भूमिका बड़ी होती है। उनका मानना है कि बच्चों का भविष्य उनके माता-पिता की शिक्षाओं और उनके द्वारा दिए गए मूल्यों पर निर्भर करता है। पेरेंटिंग का उद्देश्य बच्चों को सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सशक्त बनाना है। उन्होंने इस किताब में इस बात पर भी जोर दिया है कि माता-पिता के लिए जरूरी है कि उन्हें बच्चों का व्यवहार समझना चाहिए। साथ ही बच्चों के भावनात्मक और मानसिक विकास को भी इस किताब में अहम बताया गया है। लेखक का इस किताब में यह कहना है कि बच्चों में आत्मविश्वास, आत्म सम्मान और मानसिक मजबूती को बढ़ावा देने के लिए माता-पिता को उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए भी माता-पिता को प्रेरित करना चाहिए। इससे बच्चे मानसिक तौर पर खुशहाल और स्वस्थ रहते हैं। इस किताब में बच्चों के भावनात्मक और सामाजिक विकास पर भी बहुत जोर दिया जाता है। डॉ शर्मा ने इस किताब में यह भी बताया है कि बच्चों को आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास और दूसरी चीजों को अच्छे संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके अनुसार बच्चों के सामाजिक कौशल और भावनात्मक विकास को सही तरीके से बढ़ावा देना और उनके मानसिक विकास के लिए जरूरी है। डॉ शर्मा की यह किताब एक प्रमुख और गहरी दृष्टि वाली किताब है, जो बच्चों के समग्र विकास के लिए एक आदर्श मार्गदर्शिका साबित हो सकती है। यह किताब बच्चों का मानसिक विकास और शिक्षा एक-दूसरे से जुड़ी एक प्रक्रिया है और इन दोनों पर सही ध्यान देने से ही बच्चों का विकास संभव है।
पेरेंटिंग पर अंग्रेजी में मौजूद किताबें

परेंटिग पर अंग्रेजी में भी कई किताबें मौजूद हैं। इसमें सबसे पहले नाम आता है, ‘द होल ब्रेन चाइल्ड’ का। आप इसका हिंदी अनुवाद भी पढ़ सकती हैं। इस किताब में बच्चों के मस्तिष्क के विकास के बारे में बताया गया है और यह समझाया गया है कि माता-पिता का साथ किस तरह बच्चों का मानसिक विकास करता है। इसके बाद अगली किताब का नाम है, ‘बच्चों से कैसे संवाद करें’। यह किताब बच्चों के साथ प्रभावी संवाद बनाने के लिए सरल और प्रभावकारी सलाह देती है। इसके बाद अगली किताब का नाम आता है, सकारात्मक परिवार की सात आदतें। स्टीफल कोवी की यह किताब अंग्रेजी में ‘द सेवन हैबिट ऑफ़ हाइली इफेक्टिव फैमिली ’ नाम से अंग्रेजी में प्रकाशित हुई है। यह किताब परिवार में सामंजस्य और प्रभावी पेरेंटिंग के लिए आदतों पर आधारित है। इसमें बताया गया है कि किस तरह परिवार के सदस्य एक-दूसरे के साथ संबंध स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद अगली किताब ‘पॉजिटिव डिसिप्लिन’ नाम से मौजूद है। इसका हिंदी संस्करण ‘सकारात्मक अनुशासन’ नाम से प्रकाशित हो चुका है। जेल नीलसन की यह किताब पेरेटिंग में अनुशासन और बच्चों के सही मार्गदर्शन को लेकर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। इसमें बताया गया है कि बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए सजा देने की बजाय उन्हें सकारात्मक तरीके से समझाया जाए।