आने वाले साल में आपने कई रिजोल्यूशन लिए होंगे कि आपको क्या-क्या नयी चीजें करनी हैं, इनमें से आपको एक रिजोल्यूशन जरूर लेना चाहिए कि आप पढ़ने की भी आदत डाल पाएंगे, तो आइए जानें ऐसे पांच साहित्यकारों के बारे में, जिनकी कोई भी किताब आपको मिल जाए, तो आपको पढ़ लेनी चाहिए।
श्रीलाल शुक्ल
श्रीलाल शुक्ल का अपना खास अंदाज रहा है, उनको पढ़ना हमेशा प्रासंगिक रहा है। जब ‘राग दरबारी’ उन्होंने लिखा था, उसे आज भी दुनिया भर में पढ़ा जा रहा है और उन्हें काफी पढ़ते हुए एन्जॉय भी करते हैं। उन्हें अपनी रचनाओं के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। श्रीलाल शुक्ल ने 10 उपन्यास के साथ-साथ, कई सारे कहानी संग्रह और साथ ही 9 व्यंग्य संग्रह भी रचे हैं।
कृष्णा सोबती
महिला साहित्यकारों की बात की जाए तो कृष्णा सोबती उन महिलाओं में से एक रहीं, जिन्होंने कई विषयों पर लेखन किया और उनके काम को काफी पसंद भी किया गया। बता दें कि उनका जन्म वर्ष 1925 में गुजरात में हुआ था, उन्होंने भारत और पाकिस्तान के विभाजन पर और साथ ही साथ महिलाओं के लिए भी काफी विषय पर लेखन किया है और हिंदी पाठकों का दिल जीता है। हिंदी साहित्य की दुनिया में वह हमेशा ही प्रासंगिक रहेंगी। ऐ लड़की, डार से बिछुड़ी,ज़िन्दगीनामा और यारों के यार इनकी लोकप्रिय कृतियां हैं।
निर्मल वर्मा
निर्मल वर्मा एक शानदार लेखक रहे हैं, आधुनिक कथाकारों की बात करें तो निर्मल वर्मा की कहानियों से वे काफी प्रेरणा लेते हैं। उनकी कहानी ‘माया दर्पण’ पर बनी (इसी शीर्षक पर) फिल्म बनीं और फिर इन्हें वर्ष 1973 में सर्वश्रेष्ठ हिंंदी फिल्म का पुरस्कार मिला। उनकी खास बात यह है कि इनकी कृतियां कम रही हैं, लेकिन उन्होंने जो कुछ भी लिखा है, शानदार लिखा है और उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है। रात का रिपोर्टर, वे दिन और लाल टीन की छत काफी लोकप्रिय कृतियां हैं।
ममता कालिया
ममता कालिया ने कई सारी किताबें लिखी हैं, खासतौर से उनकी रचनाओं की बात करें तो उन्होंने नाटक, उपन्यास, निबंध और कई कविताओं का भी लेखन किया है। ममता कालिया के खास उपन्यासों की बात करें तो नरक दर नरक, प्रेम कहानी, लड़कियाँ, एक पत्नी के नोट्स, दौड़, अँधेरे का ताला, दुक्खम्-सुक्खम्, कल्चर वल्चर और सपनों की होम डिलीवरी मुख्य उपन्यास रहे हैं।
राही मासूम रज़ा
राही मासूम रज़ा की खास बात यह रही कि उन्होंने भी काफी कम लेखन किया, लेकिन कमाल काम किया। वर्ष 1925 में ही राही मासूम रज़ा ने अपनी कृतियों की बदौलत देश-दुनिया में अपनी पहचान स्थापित किया। उन्हें हिंदी और उर्दू दोनों ही भाषाओं में जानकार माना गया। कटरा बी आर्ज़ू, टोपी शुक्ला, आधा गांव, नीम का पेड़, ओस की बूंद और सीन 75 समेत कई उपन्यासों ने उन्होंने अपनी लोकप्रियता हासिल की।