पहले चिकनकारी का बोलबाला नवाबों के शहर लखनऊ तक ही सीमित था. जब भी चिकनकारी का ज़िक्र होता था, चिकनकारी कुर्तों की ही बातें होती थीं. लेकिन चिकनकारी ने फ़ैशन की दुनिया में जिस क़दर एक्स्पेरिमेंट्स किए गए हैं और जैसे बदलाव आए हैं, वे वाक़ई चौंकाते हैं. अब किसी शादी में, दुल्हन को चिकनकारी के काम के सादगी से लबरेज लहंगे में देख कर भी ताज्जुब नहीं होता है. न ही किसी रैम्प वॉक में लोकप्रिय अभिनेत्री को चिकनकारी लॉन्ज जैकेट को फ़्लॉन्ट करते हुए देख कर. दरअसल, पिछले कुछ सालों में हेरिटेज फ़ैशन चिकनकारी ने एक अलग पहचान बना ली है. अब यह सिर्फ़ ट्रडिशनल वेयर की कैटेगरी में नहीं, बल्कि कई सारे आयाम में सामने आ रही है.
चिकनकारी कैसे आई भारत
चिकनकारी दरअसल, महीन कपड़े पर सुई-धागे से विभिन्न टांकों द्वारा की गई हाथ की कारीगरी की कला है. विशेषकर यह नवाबों के शहर लखनऊ की कला कहलाती है. एकदम अलग पहचान होने के कारण ही, इसे विदेशों में भी बेहद पसंद किया जाता है. चिकन शब्द फारसी भाषा के चाकिन से बना है. चाकिन का अर्थ है- कशीदाकारी. जिस प्रकार मुगल काल ने भारत की कला, संगीत और संस्कृति को समृद्ध किया और देश को ताजमहल और लाल किले जैसी अनेक इमारतें दीं, उसी प्रकार चिकनकारी भी मुगलों की ही तहज़ीब की विरासत मानी जाती है. माना जाता है कि नूरजहां के ये यह पसंदीदा परिधान होते थे. आपको यह बात जान कर हैरानी होगी कि चिकनकारी में कुल 32 टेक्नीक्स का इस्तेमाल होता है. इसलिए भी चिकनकारी के कपड़े महंगे होते हैं.
फ़ैशनेबल चिकनकारी
फ़ैशन डिज़ाइनर्स का मानना है कि चिकन के लोकप्रिय होने की सबसे बड़ी वजह इसका डेलिकेट, हल्का और अधिकतर फ़्लोरल एम्ब्रॉयडरी वाला होना है. यह अच्छी बात है कि हेरिटेज फ़ैशन के नाम पर डिज़ाइनर लगातार इसके नए स्टिचेज़ और फ़ैब्रिक्स को अप टू डेट रख रहे हैं. यहां तक कि चिकनकारी स्विम वेयर में भी काफ़ी एक्स्पेरिमेंट्स किए जा रहे हैं. लखनऊ की सेवा जो कि चिकनकारी की फ़ेमस दुकानों में से एक है, उसमें कई सालों से जुड़े दुकानदारों का कहना है कि अब कुर्तों से अधिक साड़ियों की डिमांड बढ़ी है. ऑफ़िस जानेवाली युवतियां और महिलाएं इसे पहनना पसंद करती हैं, क्योंकि ये बेहद हल्की होती हैं और इसे कैरी करना आसान होता है. जॉर्जट और शिफ़ॉन में कम रेंज से लेकर अधिक रेंज की साड़ियां चिकन में ख़ूब पसंद की जा रही हैं. इसके अलावा जो दुल्हन एकदम सादगी से शादी करना चाहती हैं, वे रेडिमेड साड़ियां, लहंगे लेना पसंद करती हैं. हालांकि लहंगे में चिकनकारी में थोड़ी ज़्यादा रेंज का होता है. लेकिन फिर भी चिकनकारी का लड़कियों में इस क़दर केज़ है कि सभी इसे पहनना पसंद करती हैं.
चिकनकारी है सदाबहार
चिकनकारी पर इन दिनों डिज़ाइनर्स इसलिए भी अधिक फ़ोकस कर रहे हैं कि कई ऐसे फ़ैब्रिक होते हैं, जिनको आप या तो आम दिनों में पहन सकती हैं या ख़ास मौक़े पर. लेकिन चिकनकारी एक ऐसा स्टाइल है, जिसे आप सिम्पल ओकेज़न से लेकर ख़ास अवसर तक कहीं भी पहन सकती हैं और यह कभी पुराना नहीं होता है. बस इसकी देख-रेख में थोड़ा अधिक ख़्याल रखना होता है. चिकनकारी की ड्रेसेस और साड़ियां एक बार पहनने के बाद भी पुराने नहीं लगते हैं. ये सदाबाहर होती हैं और इसलिए इसका क्रेज़ और बढ़ रहा है. इसे वर्थ फ़ॉर मनी माना गया है.
डिज़ाइनर्स जिन्होंने दिए नए आयाम
अबू जानी और संदीप खोसला जैसे कई डिज़ाइनर्स ने जम कर चिकनकारी एम्ब्रॉयडरी पर एक्स्पेरिमेंट्स किये हैं. उन्होंने सोनम कपूर से लेकर सारा अली ख़ान तक को चिकनकारी के ख़ूबसूरत डिज़ाइन्स पहनाए हैं. जहां चिकनकारी पहले कॉटन फ़ैब्रिक तक ही सीमित था, अब ऑर्गैन्ज़ा, सिल्क में भी इसे लेकर ढेरों एक्स्पेरिमेंट्स हो रहे हैं. दीपिका पादुकोन, जाह्नवी कपूर, करीना कपूर ख़ान भी चिकनकारी पहनना बहुत पसंद करती हैं.
कैसे कैसे हो रहे हैं एक्स्पेरिमेंट्स
चिकनकारी अंदाज़ के ब्लॉउज़ भी इन दिनों पसंद किए जा रहे हैं, सिम्पल साड़ी के साथ चिकनकारी एम्ब्रॉयडरी वाले ब्लॉउज़ की डिमांड बढ़ी है. चिकनकारी साड़ी अब शादियों और रिसेप्शन पर भी धड़ल्ले से पहनी जा रही हैं. व्हाइट कलर के अलावा भी अन्य ब्राइट कलर्स में एक्स्पेरिमेंट्स हो रहे हैं. इसके अलावा चिकनकारी शॉर्ट कुर्तीज़, को वेस्टर्न लुक के लिए हॉट पैंट के साथ ख़ूब स्टाइल किया जा रहा है. इसके अलावा जींस और पलाज़ो, लॉन्ग शर्ट्स के साथ भी स्टाइलिंग की जा रही है. ख़ास बात यह है कि यह ट्रेंड में पुराना नहीं होता है. चिकनकारी में कुर्ती, साड़ी के अलावा अब नीचे लोअर्स में भी एक्स्पेरिमेंट हो रहे हैं. शरारा अंदाज़ मेहंदी, हल्दी में लड़कियां ख़ूब पसंद कर रही हैं. बॉटम पैंट्स के रूप में भी डिमांड बढ़ी है. एंकल लेंथ बॉटम, ट्राउशर्स (नैरो और सिगरेट कट दोनों में भी पसंद किया जा रहा है) सादगीभरे होने के बावजूद इन्हें बहुत लोकप्रियता मिल रही है.