फ़ास्ट फैशन मौजूदा समय का सबसे लोकप्रिय ट्रेंड हैं, जिसमें महिलाएं मौकों को देखकर नहीं बल्कि हर सीजन कपडे खरीदने में यकीन करती हैं. नए कपड़ों को खरीदना मतलब पुराने कपड़ों का पुराना होना. कपड़ों का पुराने होते ही, वह हमारे वार्डरोब से निकलकर बहुत जल्दी कूड़े में पहुँच जाते हैं और यही कूड़ा परेशानी का सबब है. एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में प्रदूषित जल का 20 फीसदी हिस्सा सिर्फ फैशन इंडस्ट्री की वजह से हो रहा है. इसके अलावा फैशन कारोबार से होने वाले कार्बन डायऑक्साइड गैस में 60 फीसदी की रफ्तार से बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. यह साल 2030 तक 2.8 अरब टन प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगा. कुलमिलाकर जो कपडे हमें खूबसूरत बनाते हैं, वे पर्यावरण को बदसूरत बना रहे हैं. पर्यावरण को खूबसूरत बनाने के लिए, अपने वार्डरोब में सस्टेंबिलिटी को शामिल करें. आइए जानते हैं कैसे
कपड़ों को रिपीट करने में हिचक कैसी
अक्सर हमें लगता है कि कपड़ों को रिपीट नहीं करना चाहिए. इससे हमारी फैशनिस्टा वाली इमेज प्रभावित हो सकती है लेकिन कपड़ों को रिपीट नहीं करना मतलब और अधिक कपड़ों का खरीदना जो आपके जेब के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचता है, क्योंकि एक कपड़े को बनने में अलग-अलग संसाधनों और ऊर्जा की ज़रूरत होती है, जो कारखाने इन्हें तैयार करते हैं, वो ग्रीनहाउस गैसें निकालते हैं, उससे पर्यावरण बिगड़ता है. भारी धातुएं हवा में घुल कर प्रदूषण फैलाती हैं. इसके अलावा, कचरा निकलकर नदियों और समुद्र में मिलता है. तो कहने का सिम्पल मतलब है कि कपड़ों को रिपीट करें. अपने वार्डरोब को अच्छे से ऑर्गनाइज करके रखें, जिससे आपको यह समझने में आसानी होगी कि आप किस तरह से दो कपड़ों को मिलाकर एक नया लुक पा सकती हैं. गौरतलब है कि बॉलीवुड की अभिनेत्रियां भी अपने कपड़े रिपीट करती हैं, फिर चाहे आलिया हो या करीना कपूर खान. तो अगली बार आप भी अपने कपड़ों को रिपीट करने से हिचके नहीं.
वार्डरोब में सिर्फ फैशन नहीं टिकाऊपन पर भी हो फोकस
आप किसी परिधान को जितने लम्बे समय तक पहन सकती हैं, उतना ही अच्छा है. एक रिपोर्ट के अनुसार आमतौर पर किसी कपड़े की उम्र दो साल तक की होती है, लेकिन अगर आप पर्यावरण की हितैषी हैं, तो इस समय को बढ़ा सकती हैं. आप इस पीरियड को छह महीने से एक साल तक बढ़ा सकती हैं. इसके लिए आपको कपड़ों को धोते हुए खास केयर करने की ज़रूरत है. सबसे पहले अगर ज़रूरत ना हो, तो कपड़ों को जल्दी जल्दी ना धोएं. धोते हुए उन्हें ज़्यादा देर तक ना धोएं और बहुत ही जेंटल डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें. छह से एक साल तक कपड़े की सेल्फ लाइफ बढ़ा कर आप कार्बन, पानी और दूसरी तरह के वेस्टेज में 20 से 30 प्रतिशत तक की कटौती कर देती हैं.
लौटें देशी की ओर
फ़ास्ट फैशन को फॉलो करने के बजाय, देशी फैशन को अपनाना मौजूदा समय की मांग है. हाथकरघा , हैंडलूम को अपनाने में दिक्कत क्यों है. यह बात सभी को पता है कि खादी का कपड़ा मदर नेचर के लिए सबसे बेस्ट होता है, क्योंकि इसे हाथ चरखे और सौर करघे की सहायता से बनाया जा सकता है, जिसमें इलेक्ट्रिसिटी की ज़रूरत नहीं है, मतलब कार्बन का किसी तरह का कोई वेस्ट पर्यावरण में खादी के कपडे के बनने के दौरान नहीं जाता है. खादी का एक मीटर कपड़ा, जहां सिर्फ तीन लीटर पानी में बनता है वहीं मिल वाले कपड़े के एक मीटर के लिए 56 लीटर पानी खर्च होता है. गौरतलब है कि 2017 के एक रिपोर्ट के अनुसार अनुसार, चरखे के लिए ज़रूरी शॉर्ट-स्टेपल कपास के लिए कम उपजाऊ जमीन भी बेस्ट होती है. इसके अलावा उसकी पैदावार किसी केमिकल की भी ज़रूरत नहीं होगी. कुल मिलाकर खादी आपको नया लुक देने के साथ ही प्रकृति को बचाए रखेंगे और फिर इससे लोकल लोगों को अच्छा रोजगार भी मिलेगा.
रेंट , डोनेट और रीसायकल
अगर आप अपने कपड़ों से फिर भी बोर हो गयी हैं और आपको लगता है कि अब आप इसका इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं तो उसे कूड़ेदान में फेकने की जगह, किसी ज़रूरतमंत को दे सकती हैं. अगर कोई हेवी साड़ी , सलवार शूट या घाघरा है, जो बहुत अच्छी कंडीशन में हैं, तो आप उसे रेंट पर देकर कपड़े के साथ सस्टेंबिलिटी जोड़ने के साथ- साथ, अपने पॉकेट में कुछ एक्स्ट्रा मनी भी एड कर सकती हैं. अगर आपके कपड़े आपने खरीदते हुए इस सावधानी को बरता है कि उसके रंग, धागे और डिजाइन किसी तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं, तो आप उन कपड़ों को रीसायकल के लिए दे सकती हैं. अगर आपको कम्पनी की तरफ से रीसायकल का ऑप्शन नहीं मिल रहा है, तो भी आप कपड़ों को कभी भी कूड़ेदान में नहीं फेंके. आप उससे कोई कवर, पर्स , बैग, तोरण बनाकर कपड़े के हर टुकड़े के साथ न्याय कर सकती हैं. बस आपको अपने भीतर की क्रिएटिविटी को जगाना है
खरीदारी करते हुए समझदारी दिखाएं
अब जब भी आप कपड़ों की शॉपिंग पर हैं, हर महीने , हर सेल में कपडे खरीदने से बचें, कपड़े खरीदते हुए इस बात को ज़रूर सोचें कि उसका इस्तेमाल आप कई अलग अलग मौसम में कर सकती हैं. क्या कपड़े की सस्टेंबिलिटी ज़्यादा रहेगी. आपके परिधान में इस्तेमाल होने वाला कपड़ा ऑर्गनिक है. कौन-सा फैब्रिक एमडीआर नेचर के लिए अच्छा नहीं है, अगली बार जब भी कपड़े की खरीदारी करें, यह समझदारी ज़रूर अपनाएं.