गुज़रा ज़माना फ़ैशन में बार-बार लौट आता है और बात जब ऐक्सेसरीज़ की हो तो ऐक्सेसरीज़ कभी आउट ऑफ़ फ़ैशन नहीं होती हैं. नोज़ रिंग का फ़ैशन कुछ ऐसे ही फ़ैशन में से एक है, जो कभी पुराना नहीं हुआ है. पहले नोज़ रिंग महिलाएं केवल शादी-ब्याह में पहनना पसंद करती थीं, लेकिन अब नोज़ रिंग महिलाएं सिर्फ़ ट्रडिशन के लिहाज से नहीं, बल्कि फ़ैशन के लिहाज से भी पहनना पसंद कर रही हैं. आइए जानें इसके लेटेस्ट ट्रेंड के बारे में…
वेस्टर्न और ट्रडिशनल दोनों में है पर्फ़ेक्ट
ज्वेलरी डिज़ाइनर श्रुति का मानना है कि सोशल मीडिया पर इन्फ़्लुअंसर्स जिस तरह से अभी स्टाइलिंग पर फ़ोकस कर रही हैं और हर ऑउटफ़िट के साथ, वे तरह-तरह के नोज़ रिंग पहन रही हैं तो इसकी वजह से आम लोगों में भी इस ट्रेंड को लेकर झुकाव हुआ है. ख़ासतौर से ऑक्सिडाइज़्ड नोज़ रिंग डिशनल और वेस्टर्न दोनों ही स्टाइल में ख़ूब पहने जा रहे हैं. बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा का तो ये ट्रेड मार्क है. सानिया मिर्ज़ा के कारण भी नोज़ रिंग के ट्रेंड को लोगों ने पसंद किया. वहीं सोनाक्षी की फ़िल्म दबंग से भी नोज़ रिंग काफ़ी लोकप्रिय हुई थी. सोनम कपूर ने भी कई इंटरनैशनल इवेंट्स में रैम्प वॉक करते हुए नोज़ रिंग पहन कर फ़्लॉन्ट किया है. इन दिनों लड़कियां जिस तरह हर दिन ईयरिंग्स बदल-बदल कर पहन रही हैं, नोज़ रिंग भी वे हर दिन के मुताबिक़ बदलती रहती हैं. यही वजह है कि डिज़ाइनर्स भी अब नोज़ रिंग को स्टीरियोटाइप यानी एक ही तरह ही तैयार नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसमें कई सारे एक्स्पेरिमेंट कर रहे हैं. साथ ही, ये नोज़ रिंग सिल्वर व गोल्ड जैसे मेटल में बनाए जा रहे हैं, जिससे आपके नोज़ में किसी तरह का इन्फ़ेक्शन न हो.
एक्स्पर्ट्स का मानना है कि अगर आपकी नाक बेहद लंबी और शार्प है तो आप पर छोटे हूप रिंग अच्छे लगेंगे. फ़्लोरल नोज़ पिन वेस्टर्न आउटफ़िट्स पर अधिक अच्छे लगते हैं. टीन एजर्स पर लूप नोज़ रिंग अच्छे लगते हैं. जिन लड़कियों का चेहरा गोल यानी राउंड है, वे हाफ़ बीडेड रिंग पहनें तो अच्छा रहेगा. यह वेस्टर्न ड्रेस या किसी ईवनिंग पार्टी में भी ख़ूब जंचेगा.
नोज़ हूप्स, स्टड्स, डायमंड, ऑक्सिडाइज़्ड नोज़ रिंग्स
इन दिनों नोज़ हूप्स टीनएजर्स को बेहद पसंद आ रहे हैं. यह सिल्वर और गोल्डन दोनों ही लुक में आते हैं, हर आउटफ़िट्स के साथ अच्छे लगते हैं. वहीं नोज़ स्टड्स भी ख़ूब पसंद किए जा रहे हैं, इनमें कई फ़ंकी डिज़ाइन युवा लड़कियों को ध्यान में रख कर बनाए जा रहे हैं. बिल्ली, तितली और बाक़ी जानवरों के आकार में भी इन्हें बनाया जा रहा है. इसके अलावा फ़्लोरल पैटर्न्स भी काफ़ी पसंद किए जा रहे हैं. फ़्लोरल पैटर्न के साथ-साथ, छोटे-छोटे डायमंड भी प्यारे लगते हैं. सिल्वर नोज़ रिंग की बात करें तो छोटे नोज़ स्टड्स एथनिक लुक देते हैं. बात जब ट्रडिशनल नोज़ रिंग्स की आती है तो डायमंड और गोल्ड वाले नोज़ रिंग्स अधिक पसंद किए जाते हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र स्टाइल की नथ भी आजकल वेस्टर्न ऑउटफ़िट पर पहनना पसंद किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में बुल्लक पहनने का चलन है.
नोज़ रिंग पहनने की शुरुआत
नोज़ रिंग पहनने का चलन, नोज़ पियर्सिंग के बाद से ही शुरू हुआ. कुछ रिकॉर्ड बताते हैं कि इसकी शुरुआत भारत में नहीं, बल्कि साउथ व सेंट्रल अमेरिका, सेंट्रल एशिया से हुई थी. बाइबल में नोज़ रिंग पहनने के चलन के बारे में कई संदर्भ हैं. कुछ मानते हैं कि इसकी शुरुआत मुगलों द्वारा की गई. कुछ का मानना है कि वर्ष 1960में जब हिप्पीज़ भारत आए तो वे इस ट्रेंड को लेकर आए थे. इसे हिप्पीज़ रूढ़िवादी सोच के ख़िलाफ़ क्रांति का प्रतीक मानते थे. बाद में वर्ष 1990 के दौर में इसे फ़ैशन ट्रेंड माना जाने लगा.
दूसरी तरफ़ कई पौराणिक कथाओं को देखें तो उनमें देवियों को नोज़ रिंग पहने दिखाया गया है. दक्षिण भारत की कन्याकुमारी को नैचुरल डायमंड नोज़ रिंग पहने देखा जा सकता है. कई सिंगर्स ने तो दोनों नोज़ पर रिंग पहनने का ट्रेड मार्क बनाया. एमएस सुब्बुलक्ष्मी जैसी सिंगर इन्हीं में से एक हैं. नोज़ रिंग से जुड़ी यह बात भी दिलचस्प है कि भारत के पूर्वी, दक्षिण और सेंट्रल भारत में जहां नाक के बाएं हिस्से यानी लेफ़्ट नॉस्ट्रिल में नोज़ रिंग पहनने का चलन है, वहीं दक्षिण भारत में महिलाएं इसे दाईं ओर यानी राइट नॉस्ट्रिल में पहनना पसंद करती हैं.