आदिवासी फैशन की दुनिया में जानवरों और प्रकृति से जुड़ाव साफ नजर आता है, यही वजह है कि उनके कपड़ों और आभूषणों में इसकी पहचान दिखती है। ट्राइबल फैशन की बात की जाए तो ऐसे कई प्रिंट्स हैं, जिन्हें सेलिब्रिटीज से लेकर आम लोगों तक सभी पहनना पसंद करते हैं।
अफ्रीकी प्रिंट्स
अफ्रीकन प्रिंट्स की ये खूबियां होती हैं कि इनके डिजाइन बेहद दूर से ही नोटिस में आ जाते हैं, स्कार्फ से लेकर बेडशीट तक में अफ्रीकी प्रिंट्स मौजूद होते हैं। इन दिनों, इन प्रिंट्स में आपको सलवार सूट भी मिल जाएंगे, इन प्रिंट्स में साड़ियां, केपरी और ट्यूनिक्स के भी विकल्प मौजूद हैं। ट्राइबल प्रिंट्स वाले प्लाजो पैंट्स भी अभी डिमांड में हैं।
झारखंड में फल फूल रहा है आदिवासी फैशन
झारखंड आदिवासी बहुल इलाका है और कोरोना काल के बाद से ही यहां का आदिवासी फैशन काफी आगे बढ़ रहा है, कई स्थानीय फैशन डिजाइनर में भी उभर रहे हैं, जो आदिवासी प्रिंट्स को लोकप्रियता देने की कोशिश करते हैं। हाल ही में एक फैशन शो के दौरान लगभग 32 जनजातियों के ट्रेडिशनल पहनावे को एक मॉर्डन और स्टाइलिश अंदाज दिया गया था, महेंद्र सिंह धोनी ने भी ट्राइबल जैकेट्स पहन कर इसे प्रोत्साहित किया। इस प्रिंट्स के बारे में रोचक बात यह है कि इन कपड़ों को काटने से पहले पेपर पर उसका डिजाइन तैयार किया जाता है, क्योंकि ये कपड़े थान के रूप में नहीं, बल्कि एक ड्रेस के रूप में होते हैं, तो ऐसे में कपड़ों की बर्बादी ज्यादा न हो, इसलिए पेपर पर काम पहले कर लिया जाता है। दिलचस्प यह भी है कि झारखंड के लातेहार, सिमडेगा, खूंटी और गोड्डा के बुनकरों को इससे रोजगार भी मिल रहा है। इन कपड़ों की कीमत 1500 से शुरू होती है।
बोध और भूटिया ट्राइबल प्रिंट्स
आपने पश्मीना के बारे में काफी सुना होगा, लेकिन शायद ही आपको इसके बारे में जानकारी होगी कि पश्मीना ऊन की उत्पत्ति बोध और भूटिया जनजाति द्वारा लेह-लद्दाख और गढ़वाल की शानदार घाटियों से हुई थी। पश्मीना का संदर्भ अच्छी किस्म के कश्मीरी ऊन और उनसे बने कपड़ों से हैं, खासतौर से शॉल काफी पसंद किये जाते हैं और उनकी बुनाई के लिए कश्मीर और हिमाचल प्रदेश हैं, इन्हें देश के साथ-साथ विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता है।
इकाई और हिमालय के ड्रोपक्स
हिमालय की वादियों से प्रभावित ट्राइब फैशन की बात करें तो इकाई को वहां के ट्राइब ड्रोपक्स काफी पसंद करते हैं। यहां के लोग जीवन को शालीनता से देखते हैं और वे प्रकृति से भी जुड़े रहने की कोशिश करते हैं और इसकी छाप प्रिंट्स में पूर्ण रूप से नजर आती है। इन प्रिंट्स में स्कर्ट्स, ड्रेसेज, कुर्ती और साड़ियां काफी पसंद किये जा रहे हैं।
नागालैंड और फैशन
समकालीन फैशन और प्रिंट्स की बात करें तो नागालैंड का ट्राइबल फैशन काफी लोकप्रिय है, खासतौर से वहां से प्रभावित स्कर्ट्स और ड्रेसेज लोग पहनना बेहद पसंद कर रहे हैं। इनके अलावा, प्रिंटेड ब्लाउज की डिजाइनिंग और प्रिंटिंग में भी यहां का प्रभाव दिखता है। भारतीय जनजातीय फैशन की बात करें, तो नागालैंड को नजरअंदाज किया ही नहीं जा सकता है, क्योंकि यहां 16 जनजातियां अलग-अलग पोशाकें पहनती हैं और वे काफी समकालीन पोशाकें होती हैं। नागालैंड की महिलाओं के पास मेखला नाम की स्कर्ट पहनने के विभिन्न फैशन हैं, जो जनजातियों के अनुसार अलग-अलग होते हैं। जनजातियों के बीच मेखला पहनने का जो भी रूप है और इससे प्रभावित होकर कई फैशन डिजाइनर अपने डिजाइन लांच करते हैं। रेप्रॉन जैसे अंदाज वाले स्टाइल भी काफी पसंद किए जाते हैं।